Endometriosis से क्यों महिलाएं होती हैं ज्यादा प्रभावित, जानें कारण, लक्षण और बचाव
Endometriosis
Endometriosis Disease In Women: एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय (Endometriosis Uterus) में होने वाली समस्या है। जिसमें एंडोमेट्रियल टिशूओं में असामान्य तरीके से बढ़ने लगते है और वह गर्भाशय से बाहर फैलने लगते हैं। कभी-कभी एंडोमेट्रियम की लेयर गर्भाशय की बाहरी लेयर के अलावा ओवरी, आंतो और अन्य प्रजनन अंगों (Reproductive Organs) तक भी फैल जाती है। एंडोमेट्रियोसिस फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, लिम्फ नोड्स और पेरिटोनियम पर असर कर सकता है।
आमतौर पर, गर्भाशय में मौजूद एंडोमेट्रियल टिशू पीरियड्स के दौरान बहार निकल जाते हैं, लेकिन अगर ये किसी और अंग में होते हैं तो बाहर नहीं निकल पाते हैं। ऐसे में इनका साइज बड़ा हो जाए, तो शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। यह समस्या किसी इंफेक्शन के कारण ना होकर शरीर की अंदर की प्रणाली में कमी के कारण होती है। ये ओवरी, फैलोपियन नलिका में, Peritonium में (पेट की अंदर की परत है) लसीका पर्व (Lymph Nodes) बॉडी में कहीं भी मिल सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस एक बहुत ही सामान्य समस्या है। लगभग भारतीय महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस पाया गया है फिर भी बहुत सी महिलाओं को इस बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। 18 से लेकर 35 की उम्र की महिलाओं में यह बीमारी होती है।
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एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण
हर महिला में एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ में हल्के लक्षण हो सकते हैं, जबकि अन्य में गंभीर लक्षण हो सकते हैं। एंडोमेट्रियोसिस का सबसे पहले लक्षण पैल्विक दर्द और पीरियड के दौरान गंभीर ऐंठन है।
- महिलाओं की मांसपेशियों में खिंचाव
- पीरियड्स के समय अधिक ब्लीडिंग होना
- थकान, चक्कर आना, कब्ज
- यौन-संबंध के समय या बाद में अधिक दर्द होना
- बांझपन
- बिना पीरियड्स के पैल्विक के हिस्से में दर्द
- पेशाब करते समय दर्द
- जमे हुए खून के कारण एंडोमीट्रियल सिस्ट् (Endometrial Cyst) बनना
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एंडोमेट्रियोसिस के कारण
- असामान्य पीरियड में बल्ड फ्लो
- परिवार के इतिहास
- प्रतिरक्षा प्रणाली विकार (Immune System Disorders)
- सर्जिकल निशान आरोपण (Surgical Scar Implantation)
एंडोमेट्रियोसिस से बचाव
इस बीमारी से शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल को कम करके इसे विकसित होने से रोक सकते हैं। गर्भनिरोधक दवाइओं का इस्तेमाल अक्सर एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए किया जाता है। इसलिए इसके बारें में डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं। रोजाना एक्सरसाइज करें, जिससे शरीर का मोटापा कम होगा और एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम होगी। शराब या कैफीन से बनी चीजों का सेवन ना करें, इससे एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ता है।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।
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