Cough Syrup For Children: बच्चों को खांसी और जुकाम के लिए दी जाने वाली कफ सिरप जानलेवा भी साबित हो सकती है इसकी शायद ही किसी ने कभी कल्पना की हो. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और राजस्थान से कफ सिरप पीने के कारण बच्चों की मौत होने के मामले ने देश को दहला दिया है. अबतक कफ सिरप पीने से मध्य प्रदेश में 14 मासूमों की मौत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि बच्चों को दिए गए इन कफ सिरप से बच्चों के ऑर्गन फेल होने लगे, और किडनी फेलियर (Kidney Failure) से मासूमों की जान चली गई. ऐसे में माता-पिता के सामने बड़ी दुविधा है कि बच्चा अगर खांसी या जुकाम से परेशान हैं तो उसे कफ सिरप दें या ना दें. हालांकि, सरकार ने नई एडवाइजरी में कहा है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए कफ सिरप को पूरी तरह बैन कर दिया गया है. ऐसे में बच्चों की डॉक्टर श्रुति घटालिया ने बताया है कि बच्चे को कफ सिरप नहीं दी जा रही तो खांसी-जुकाम दूर करने के लिए कौन से घरेलू उपाय (Home Remedies) आजमाए जा सकते हैं. डॉक्टर का कहना है कि इस तरह बच्चे की तकलीफ कम की जा सकती है.
बच्चे के लिए कैसे चुनें सही कफ सिरप
डॉ. श्रुति घटालिया ने बताया कि बच्चों में खांसी ज्यादातर वायरल की वजह से होती है जो सेल्फ लिमिटिंग होकर ठीक हो जाती है. ऐसे में जहां तक हो सके बच्चों को खांसी की दवाइयां देने की जरूरत नहीं होती है. आप घरेलू इलाज कर सकते हैं, जैसे हल्का सा कोई गर्म लिक्विड, सादा गर्म पानी या सूप दे सकते हैं. बच्चे को बिना सिर ढके हल्की स्टीम दी जा सकती है. पानी की भाप से ही बच्चे के गले में होने वाली इरिटेशन कम होती है.
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बच्चों की नाक बहती है तो जब बच्चा रात में सोने जाता है तो यह लिक्विड गले में गिरता है जिस वजह से खांसी आती है, ऐसे में गर्म पानी (Warm Water) मददगार साबित होता है. डॉ. श्रुति बताती हैं कि अक्सर ही यह देखा जाता है कि माता-पिता दुकानों पर जाकर बच्चे के लिए खांसी की दवा या कोई सिरप खरीद लाते हैं जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है. 1 साल से छोटे बच्चों के लिए सांस नली सिंकुड़ने की दवा दी जाती है, वायरल में कफ सप्रेसेंट दवाइयां नहीं दी जाती हैं.
4 साल से छोटे बच्चे के लिए बैन हैं ये दवाइयां
भारत सरकार ने बच्चों के लिए फिनाइलेफ्राइन और क्लोरफेनिरामाइन जैसे फिक्स्ड कोंबिनेशंस को 4 साल से छोटे बच्चे के लिए बैन कर दिया है. डॉक्टर की सलाह है कि 5 साल से छोटे बच्चों में वायरस की वजह से सांस नली सिंकुड़ती है और कभी-कभी हांफने वाली खांसी होती है. ऐसे में बच्चों को ब्रोंकोडाईलेटर्स देना चाहिए जो डॉक्टर प्रिस्क्राइब करते हैं. डॉक्टर को यह निर्णय लेने दें कि बच्चे को कौन सी खांसी है और उसे कौन सी दवाई देनी है. खुद जाकर दवाई खरीकर बच्चे को नहीं पिलानी चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिए निर्देश
कफ सिरप मामले के पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है और बताया है कि बच्चों को अगर खांसी-जुकाम हो तो माता-पिता को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.
- बच्चों को होने वाली ज्यादातर खांसी की दिक्कत सेल्फ लिमिटिंग होती है और बिना दवाओं के ठीक हो सकती है.
- खांसी-जुकाम की दवा 2 साल से बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए. ये दवाएं 5 साल से छोटे बच्चों को भी नहीं देनी चाहिए और इससे बड़े बच्चों को सावधानी के साथ सुपरविजन में दी जानी चाहिए. बच्चों को एकसाथ कई दवाइयां देने से भी परहेज करना चाहिए.
- बच्चे को खांसी हो तो उसे प्रोपर हाइड्रेशन देना और आराम देने जैसी चीजें पहली अप्रोच होनी चाहिए.
- बच्चे की दवाईयों को अच्छी मैनुफेक्चरिंग की तकनीकों से बनाया जाना चाहिए जहां सैनिटाइजेशन यानी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है.
अस्वीकरण - इस खबर को सामान्य जानकारी के तौर पर लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें या चिकित्सक से परामर्श करें. न्यूज 24 किसी तरह का दावा नहीं करता है.
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