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Maha Kumbh में डुबकी लगा चुके लोगों को किन बीमारियों का डर? पानी निकला दूषित

Bacteria In Maha Kumbh Water: महाकुंभ में अब तक 54 करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी लगाई है, यह मेले प्रशासन की ओर से जारी रिपोर्ट के आधार पर बताया जा रहा है। मगर अब एक नई चिंता सामने आ गई है संगम के पानी की। जी हां, सीपीसीबी ने भी संगम के पानी को दूषित बताया था। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रयागराज में संगम के पानी में बैक्टीरिया होने की पुष्टि की है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट से कि इस पानी में नहाना चाहिए या नहीं।

Bacteria In Maha Kumbh Water: प्रयागराज में इस वक्त संगम तट पर लाखों श्रद्धालू आस्था की डुबकी लगाने रोजाना पहुंच रहे हैं। मेला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, संगम में अबतक 54 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है, जो यह बताती है कि संगम का पानी नहाने लायक नहीं है। सीपीसीबी की रिपोर्ट में संगम तट के पानी को दूषित और सेहत के लिए हानिकारक बताया गया है। वहीं, एनजीटी ने भी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के पानी में कई गंभीर बैक्टीरिया होने की पुष्टि की है। आइए जानते हैं ऐसे में क्या हमें इस पानी से नहाना चाहिए?

संगम के पानी से नहाना सेफ या नहीं?

3 फरवरी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने यहां के पानी में उच्च मात्रा में फेकल बैक्टीरिया की मौजूदगी पाई है, खासतौर पर शाही स्नान वाले दिन ये कीटाणु और ज्यादा बढ़ जाते हैं। क्यों बढ़े ये बैक्टीरिया और क्या है इसके कारण? जानें सबकुछ।

क्यों बढ़ रहे हैं बैक्टीरिया?

रिपोर्ट के अनुसार, इन नदियों के तटों के पास जानवरों और इंसानों का मल पानी में घुल रहा है, जो पानी को दूषित कर रहा है। वहीं, CPCB की रिपोर्ट के माध्यम से बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) ने इस बात का भी मूल्यांकन किया गया है कि पानी की गुणवत्ता नहाने लायक है या नहीं? जिस पर उन्होंने माना कि अब पानी नहाने योग्य भी नहीं है। अमेरिका में एक वाटर बेस्ड इवेंट में KnowYourH2O का कहना है कि मल पानी में अतिरिक्त कार्बनिक पदार्थों को जोड़ता है, जिससे वह पानी सड़ता है और उसमें ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

संगम के पानी का शरीर पर असर?

इस अमेरिकी प्रोग्राम में यह भी बताया गया था कि इस पानी में नहाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि फेकल बैक्टीरिया से टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डायरिया हो सकता है। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा गठित 2004 की एक समिति ने सिफारिश की थी कि फेकल कोलीफॉर्म की सीमा 500 एमपीएन/100 ml होनी चाहिए तथा यह भी कहा था कि नदी में नहाने लायक पानी 2,500 एमपीएन/100 ml से कम या उसके बराबर होनी चाहिए। 4 फरवरी को रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों में फेकल कोलीफॉर्म पर सीपीसीबी ने शास्त्री ब्रिज से पहले गंगा में इसका स्तर 11,000 एमपीएन/100 ml और संगम पर 7,900 एमपीएन/100 ml बताया था। वहीं, संगम में पुराने नैनी पुल के पास गंगा-यमुना के पानी की रीडिंग 4,900 एमपीएन/100 ml थी। ये सभी आंकड़े बसंत पंचमी के बाद रिकॉर्ड किए गए थे।

नहाना सेफ या नहीं?

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इंटरनल मेडिकल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अतुल कक्कड़ ने बताया कि हम मल वाले पानी में नहीं नहा सकते हैं। इस पानी को नहीं पिया जा सकता है और न हीं इसमें नहाया जा सकता है। इस पानी से संक्रमण का रिस्क डबल हो जाता है, जिससे त्वचा रोग, दस्त, उल्टी, टाइफाइड और हैजा जैसी बीमारियों के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ये भी पढ़ें- Baba Ramdev Health Tips: डाइट में बदलाव क्यों जरूरी? Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।


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