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Health Tips: आचार्य मनीष से जानें, क्या है पंचकर्म थेरेपी? इससे कैसे दूर होते हैं रोग

Health Tips: आयुर्वेद की मदद से इलाज किया जाए, तो यह रोगों को दूर करने से ज्यादा उन्हें खत्म करने में मदद करता है। पंचकर्म थेरेपी आयुर्वेदिक तरीका है, जो कई गंभीर बीमारियों का जड़ से इलाज करता है। आइए जानते हैं इस थेरेपी के बारे में।

Health Tips: भारत में कई प्रकार की उपचार पद्धति मौजूद हैं। इनमें आयुर्वेद सदियों पुराना और आज भी अपनाया जाने वाला तरीका है। हालांकि, एडवांस ट्रीटमेंट्स भी जल्दी इलाज करते हैं लेकिन आयुर्वेद पर लोगों को विश्वास है क्योंकि इस उपचार पद्धति के कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं। आयुर्वेद में पंचकर्म थेरेपी की भी विशेष जगह है। पंचकर्म थेरेपी का उद्देश्य शरीर को अंदर से शुद्ध करना और बीमारियों की जड़ को खत्म करना होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

क्या है पंचकर्म?

आयुर्वेदिक डॉक्टर, डॉ. आचार्य मनीष HIIMS अस्पताल, बताते हैं कि अगर किसी को कोई रोग है, तो उनके इलाज के तरीके में पंचकर्म भी शामिल है। पंचकर्म का अर्थ है पांच क्रियाएं और ये पांच प्रक्रियाएं शरीर से विषैले तत्वों (toxins) को बाहर निकालने के लिए अपनाई जाती हैं। जब हमारे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं, तो एनर्जी का सोर्स बढ़ता है। इसकी मदद से शरीर के विभिन्न अंगों जैसे फेफड़ों, किडनी, लिवर, मूत्रमार्ग और पेट तथा आंतों की सफाई होती है और बीमारियों वाले बैक्टीरिया को बाहर निकाला जाता है। ये भी पढ़ें- PCOS में प्रेग्नेंसी कितनी सेफ? जानिए IVF से जुड़ी जरूरी जानकारी हर महिला के लिए

हर किसी के लिए अलग है पंचकर्म

पंचकर्म क्रिया सभी लोगों के लिए अलग-अलग होती है। इस क्रिया को किसी पर किस तरह करवाया जाएगा, यह डॉक्टर बताएंगे। मरीज के शरीर की ताकत और इम्यूनिटी के अनुसार, पंचकर्म थेरेपी दी जाती है।

पंचकर्म के 5 चरण क्या?

1. वमन- इसमें औषधियों के माध्यम से उल्टी कराकर शरीर से कफ दोष को बाहर निकाला जाता है। इसमें उल्टी वाली दवाएं दी जाती हैं। अस्थमा और मोटापे से परेशान लोगों के लिए यह असरदार है। 2. विरेचन- पंचकर्म के दूसरे चरण में प्राकृतिक तरीके से दस्त करवाई जाती है। इसके माध्यम से पित्त दोष को शरीर से बाहर निकाला जाता है। यह आंतों की सफाई करता है और पीलिया जैसे रोग का इलाज करता है। 3. बस्ति- औषधीय घी और काढ़े के एनिमा के माध्यम से वात दोष को संतुलित किया जाता है। इसे वात, पित्त और कफ तीनों दोषों के लिए फायदेमंद माना जाता है। गठिया, बवासीर और कब्ज की समस्या का इलाज करने के लिए रामबाण यह तरीका है। 4. नस्य- इसमें नाक के रास्ते औषधियां देकर सिरदर्द और गर्दन के रोगों का इलाज किया जाता है। यह माइग्रेन और बालों के इलाज के लिए असरदार मानी जाती है। इससे सिर के टॉक्सिन्स को बाहर निकाला जाता है। 5. रक्तमोक्षण- इसमें शरीर से खराब खून को बाहर निकाला जाता है, जिससे त्वचा रोग और अन्य खून से संबंधित बीमारियां ठीक होती हैं।

पंचकर्म के लाभ

  • शरीर और दिमाग से टॉक्सिन्स रिलीज करें।
  • इम्यूनिटी बढ़ाएं।
  • उम्र बढ़ने से होने वाली समस्याओं को रोकें।
  • पाचन क्रिया को मजबूत करें।
  • बॉडी टिशूज को रिपेयर करें और वेट कम करवाएं।
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