किन लोगों में याददाश्त खोने का ज्यादा खतरा, 4 लाख शोध के बाद दिखे ये संकेत
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Study On Alzheimer: दुनिया भर में ज्यादातर लोग किसी न किसी प्रकार के डिमेंशिया से पीड़ित हैं- जिनमें से एक है अल्जाइमर बीमारी। बढ़ती उम्र के साथ-साथ होने वाली अल्जाइमर बीमारी का संबंध आंतों की सेहत से हो सकता है, जिनकी आंतों की सेहत सही नहीं होती है, उन्हें अल्जाइमर अपनी चपेट में ले सकता है और ये दावा ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने करीब 4 लाख लोगों पर की गई स्टडी के आधार पर किया है।
एडिथ कोवान विश्वविद्यालय (Edith Cowan University) के अध्ययनकर्ता इमैनुअल एडवुई ने कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि पहले भी अल्जाइमर को पेट से जुड़ी परेशानियों से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन इस संबंध के पीछे की असली वजह सामने नहीं आ रही थी। उन्होंने अल्जाइमर पीड़ितों और आंतों की समस्याओं से जूझ रहे लोगों से जुड़े स्टडीज का विश्लेषण किया गया। जिसके आधार पर यह दावा किया कि जो लोग दोनों ही समस्याओं से पीड़ित हैं, उनके जीन में समानताएं हैं। यह खुलासा आंतों की खराब हेल्थ वाले लोगों को अल्जाइमर होने की जेनेटिक वजह की पुष्टि करता है।
बीमारी का पता करने में मदद
इमैनुअल के मुताबिक, आंतों की सेहत और अल्जाइमर का संबंध सामने आने के बाद ये जान सकेंगे कि किन पर अल्जाइमर का ज्यादा खतरा है। उनमें यह बीमारी होने की संभावना पहले से ही जांच जा सकेंगे। अगर बीमारी शुरुआती फेज में है तो इसके बढ़ने की स्पीड कम कर सकेंगे। उपचार के लिए नए रास्ते खोजने पर भी काम हो सकेगा। समझने की ताकत व भावनाओं का आंतों से रिश्ता रिसर्च इंस्पेक्टर प्रो. सिमोन लॉज ने बताया कि अल्जाइमर हमारे दिमाग की समझने की ताकत व भावनाओं से जुड़े हिस्सों पर प्रभाव डालता है। इन दोनों का आंतों की सेहत से क्या रिश्ता है, यह हमारे सामने आ चुका है। वहीं, एक्सपर्ट आंतों की हेल्थ को अच्छा रखने के लिए भरपूर फाइबर वाला भोजन लेने, भरपूर मात्रा में पानी पीने, प्रोसेस फूड्स न लेने, भोजन को ठीक से चबाकर और धीरे-धीरे खाने के सुझाव देते हैं।
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2030 तक 8.2 करोड़ होंगे पीड़ित
डिमेशिया (दिमाग में नुकसान से होने वाली बीमारियां) का सबसे ज्यादा असर करने वाला रूप अल्जाइमर है।
यह याददाश्त से लेकर सोचने और समझने की ताकत को खत्म करता है, इसका पूरा उपचार फिलहाल नहीं है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2030 तक दुनिया में 8.20 करोड़ लोग इसकी चपेट में हो सकते हैं और इस वजह से इकॉनमी पर 2 लाख करोड़ डॉलर का बोझ पड़ेगा।
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