प्रदूषण से बढ़ रहा कैंसर का खतरा,छोटे बच्चे ज्यादा असुरक्षित क्यों?
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Air Pollution and Risk of Cancer in Children: वायु प्रदूषण बच्चों के लिए लगातार घातक और खतरनाक बनता जा रहा है। 2012 से अब तक National Cancer Registry Program के आंकड़ों के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और महानगरों के आसपास कई इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। नवजात से लेकर 14 साल की आयु के अनुपात में सभी एज ग्रुप की तुलना में बचपन में कैंसर का खतरा 0.7 % से 3.7 % ज्यादा है।
Nature Journal में प्रकाशित स्टडी में PM 2.5 Level के संपर्क और बच्चों में लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Lymphoblastic Leukemia) के जोखिम के बीच रिलेशन बताया गया है। एनालिसिस में पाया गया है कि बच्चों को प्रदूषित हवा से ज्यादा खतरा होता है, क्योंकि वे बड़ों की तुलना में अधिक तेजी से सांस लेते हैं और प्रदूषित कणों को अपने अंदर लेते हैं।
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मेट्रोपॉलिटन सिटीज की स्थिति गंभीर
National Center for Disease Informatics and Research और WHO के स्टडी के अनुसार, देश के महानगरों में हाई पॉल्यूशन के कारण बच्चों के लिए कैंसर जानलेवा बनता जा रहा है। हाईएस्ट इनकम वाले देशों की तुलना में भारत में कैंसर से जूझ रहे बच्चों का बच पाना बहुत मुश्किल होता है।
आंकड़े क्या बताते हैं
स्टडी के अनुसार, दिल्ली में प्रति दस लाख पर 203.1 बच्चे सभी प्रकार के कैंसर से प्रभावित हैं, जबकि नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स में यह आंकड़ा केवल 12.2 प्रति दस लाख है। उत्तर भारत के अन्य शहरों में जहां प्रदूषण की दर कम है, वहां 2012 और 2022 यह आंकड़ा मात्र 15. 6 प्रति 10 लाख है। जिन राज्यों की हवा खराब है वहां यह आंकड़ा बहुत ऊपर है। पटियाला की कैंसर रजिस्ट्री में प्रति दस लाख बच्चों पर 121.2 मामले दर्ज किए गए। नवजात से लेकर 14 साल की आयु के बीच प्रति दस लाख पर 84.2 लड़के कैंसर से प्रभावित होते हैं, जबकि मेघालय में यह आंकड़ा प्रति दस लाख पर केवल 7.3 है। लिम्फोमा के मामले में दिल्ली में लड़कों में यह संख्या 30.7 प्रति 10 लाख है, जो मेघालय में काफी कम 2.3 है।
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होने वाले बच्चे पर भी असर करती है जहरीली हवा
खराब और जहरीली हवा के कारण जन्म के समय कम वजन और बच्चों की मृत्यु तक होती है। भारत के बच्चों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव दिल्ली या उत्तर भारत तक ही नहीं, बल्कि अन्य महानगरों के आसपास के इलाकों तक फैला हुआ है। वायु प्रदूषण होने वाले नवजात से लेकर बच्चे की पूरी सेहत पर असर करता है।
बौनापन
जर्मनी और फ्रांस के रिसर्चरों ने एक स्टडी में दिखाया है कि वायु प्रदूषण का बच्चों के विकास पर नेगेटिव असर पड़ता है और यह बौनेपन से भी जुड़ा हुआ है।
एनीमिया और सांस की परेशानी
Nature Journal में प्रकाशित एक स्टडी से पता चला है कि भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में PM 2.5 एक्सपोजर में प्रत्येक 10 microgram Cubic Meter के बढ़ने से एनीमिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन बढ़ जाता है।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।
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