Uttarakhand News: अंकिता भंडारी मामले में CM धामी का बयान, कहा- कोई भी हो… मिलेगी कड़ी सजा
Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) के ऋषिकेश (Rishikesh) में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari Murder) में सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने घटना पर दुख जताया है। साथ ही कहा कि ऐसे जघन्य अपराध के लिए आरोपियों के कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। अपराधी चाहे कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। वहीं उत्तराखड़ के डीजीपी अशोक कुमार (DGP Ashok Kumar) ने कहा कि पूरा मामला जिलाधिकारी के नेतृत्व में रहा है। राजस्व पुलिस ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में पटवारी पुलिस व्यवस्था है, यह मामला भी उन्होंने देखा है।
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और क्या कहा सीएम धामी ने
बता दें कि उत्तराखंड के ऋषिकेश में करीब पांच दिन पहले वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली अंकिता भंडारी संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी। शुक्रवार को राजस्व पुलिस ने अंकिता का शव बरामद करते हुए रिसोर्ट के मालिक समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही मामले की खुलासा भी कर दिया। इसी खुलासे पर उत्तराकंड के सीएम पीएस धामी का भी बयान आया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सीएम धामी ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है। पुलिस काम कर रही है। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली है। ऐसे जघन्य अपराधों के लिए कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी, चाहे कोई भी अपराधी हो।
DM ने मामले की जांच लक्ष्मण झुला पुलिस को दी थी
वहीं उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि अंकिता 5-6 दिन पहले लापता हो गई थी। रिसॉर्ट का क्षेत्र नागरिक पुलिस थाना क्षेत्र में नहीं आता है। यहां पटवारी पुलिस व्यवस्था है और उसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र जिलाधिकारी के अधीन होता है। उन्होंने मामला लक्ष्मण झूला पुलिस को सौंपा, जिन्होंने 24 घंटे में मामले को सुलझा लिया। जांच में रिसॉर्ट मालिक आरोपी निकला है। मालिक पुलकित आर्य समेत 3 आरोपित गिरफ्तार किया गयाहै। डीजीपी ने कहा कि पुलकित आर्य का पिता एक पार्टी से संबंध हैं। पुलकित को जेल भेजा जा चुका है।
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आखिर क्या है राजस्व पुलिस व्यवस्था?
बता दें कि उत्तराखंड के काफी इलाकों में पटवारी पुलिस व्यवस्था है। इसे राजस्व पुलिस भी कहा जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1861 में सरकारी खर्चों में कटौती करने और राजस्व अधिकारी का उपयोग पुलिसकर्मियों की भूमिका में करने के लिए इस व्यवस्था को लागू किया था। इन्हें शुरुआत में पटवारी पुलिस के नाम से जाना जाता था। फिर इस व्यवस्था को राजस्व पुलिस का नाम दिया गया। उत्तराखंड के कई हिस्से राजस्व पुलिस क्षेत्र में आते हैं। यह पुलिस संबंधित जिलाधिकारी के अधीन होती है।
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