‘कॉस्मेटिक्स बेचा, देवदास का सेट बनाया…’ फिर मारी राजनीति में एंट्री, ऐसा है मुकेश साहनी का राजनीतिक करियर
राजनीति में एंट्री के समय मुकेश साहनी ने खुद को 'सन ऑफ मल्लाह' के तौर पर प्रोजेक्ट किया। फाइल फोटो
मुकेश साहनी के पिता की हत्या ने बिहार को दहला दिया है। एक राजनीतिक पार्टी के सर्वेसर्वा के पिता की हत्या से कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है। लोकसभा चुनाव 2024 में तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन करने वाले मुकेश साहनी हेलिकॉप्टर में आरजेडी नेता के साथ मछली खाने को लेकर चर्चा में आए थे। उससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ गठबंधन में चार सीटें जीतकर मुकेश साहनी ने बिहार की राजनीति में धमाका कर दिया था।
हालांकि मुकेश साहनी का राजनीतिक सफर आसान नहीं रहा है। साहनी ने 2015 में बिहार में सियासी एंट्री मारी। उन्हें गृहमंत्री अमित शाह की खोज भी कहा जाता है। 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान मुकेश साहनी ने अपने उम्मीदवार नहीं खड़े किए थे, बल्कि बीजेपी को समर्थन दिया था। हालांकि 2015 का चुनाव बीजेपी, महागठबंधन से हार गई और कुछ समय बाद मुकेश साहनी भी एनडीए से अलग हो गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में मुकेश साहनी महागठबंधन का हिस्सा बने, उन्हें तीन सीट मिलीं। लेकिन वे तीनों सीटें हार गए।
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2020 के चुनावों में मुकेश साहनी और आरजेडी के बीच बात नहीं बनी तो विकासशील इंसान पार्टी के नेता एनडीए में लौट गए और 11 सीटों पर चुनाव लड़े। मुकेश साहनी के चार विधायक जीते। वे खुद विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाए तो बीजेपी ने उन्हें एमएलसी बनाया। नीतीश सरकार में पशुपालन और मत्स्य संसाधन मंत्री बनाए गए लेकिन मार्च 2022 में मुकेश साहनी के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए।
मुकेश साहनी को इससे झटका लगा और बीजेपी के साथ उनके संबंध बिगड़ गए। 2023 में मुकेश साहनी ने निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 100 दिवसीय आरक्षण यात्रा भी की। 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान मुकेश साहनी एक बार महागठबंधन में लौटे और आरजेडी के साथ मिलकर तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. लेकिन आशातीत सफलता नहीं मिली। बिहार के जाति और आर्थिक सर्वे के मुताबिक राज्य में निषाद समुदाय की आबादी 2 प्रतिशत (34 लाख+) से ज्यादा है।
राजनीति से पहले का जीवन
मुकेश साहनी एक समय बॉलीवुड में सेट डिजायनर थे। फिर 2013 में राजनीति में आए। शुरुआत में उन्होंने खुद को 'सन ऑफ मल्लाह' के तौर पर प्रोजेक्ट किया। राजनीति में एंट्री से पहले मुकेश साहनी निषाद विकास संघ नाम का संगठन चलाते थे। इसी संगठन के जरिए उन्हें सामाजिक पहचान मिली।
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मुकेश साहनी की यात्रा को जानने वाले बताते हैं कि शुरुआत में उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, तो वे दरभंगा से मुंबई चले गए और वहां जाकर कॉस्मेटिक का काम करने लगे। फिर फिल्मों के सेट डिजाइन का काम करने लगे। शाहरुख खान की फिल्म देवदास और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों का सेट मुकेश साहनी की कंपनी मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड ने डिजाइन किया था।
मुकेश साहनी के परिवार में कौन-कौन
मुकेश साहनी मुंबई में रहते थे और उनके पिता जीतन साहनी दरभंगा के सुपौल बाजार के अफजला पंचायत स्थित अपने घर में रहते थे। मुकेश साहनी की मां मीना देवी का आठ साल पहले निधन हो गया था। जीतन साहनी के दो बेटे हैं। मुकेश और संतोष। दोनों अपने पिता से अलग रहते थे। जीतन साहनी की एक बेटी रिंकू साहनी हैं, जिनकी शादी हो गई है। वह भी अपने भाई की तरह मुंबई में रहती हैं।
मुकेश साहनी ने कविता साहनी से शादी की है। उनके दो बच्चे मुस्कान साहनी और रणवीर साहनी हैं।
साहनी खानदान के अन्य सदस्य भी गांव में रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जीतन साहनी के घर में दो नौकर और एक ड्राइवर आते-जाते रहते थे।
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