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वह शख्स जिसने फूल को भी पहना दी ‘चड्ढी’, खुद को कहता है कल्चरली मुसलमान

Happy Birthday Gulzar : फिल्मी दुनिया में ऐसे गीतकारों की कमी नहीं है, जिन्होंने मोहब्बत के साथ अन्य मुद्दों पर भी शानदार गीत लिखे, लेकिन इस मामले में शायर साहिर लुधियानवी को कोई जवाब नहीं है। इसके बाद सभी विषयों पर कलम चलाने वाला अगर कोई फिल्मी गीतकार जेहन में आता है तो वह हैं […]

Edited By : jp Yadav | Updated: Aug 18, 2023 19:30
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Happy Birthday Gulzar
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Happy Birthday Gulzar : फिल्मी दुनिया में ऐसे गीतकारों की कमी नहीं है, जिन्होंने मोहब्बत के साथ अन्य मुद्दों पर भी शानदार गीत लिखे, लेकिन इस मामले में शायर साहिर लुधियानवी को कोई जवाब नहीं है। इसके बाद सभी विषयों पर कलम चलाने वाला अगर कोई फिल्मी गीतकार जेहन में आता है तो वह हैं हमारे-आपके प्रिय गुलजार। उनका जन्मदिन (18 अगस्त) है और देश-दुनिया के लोग अपने प्रिय गीतकार की लंबी उम्र की दुआएं मांग रहे हैं।

छोटी उम्र में देखा देश का बंटवारा

13 वर्ष की उम्र में देश के बंटवारे को अपनी आंखों के सामने देखने वाले संपूर्ण सिंह कालरा ने कभी सोचा भी न होगा एक दिन वह फिल्म निर्माता, निर्देशक और उम्दा गीतकार बनेंगे। बेशक बंटवारे के दौरान उनके दिल पर छेनी की तरह हालात ने वार किया और वह गुलजार बन गए, जिसका मतलब होता है- गुलाब उद्यान और बसे हुए शहर या फिर एक और अर्थ होता है उत्कर्ष।

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खुद को बताते हैं कल्चरली मुसलमान

गुलजार का उर्दू भाषा के प्रति बचपन से ही गहरा रुझान रहा है। यह उनके गीतों में भी झलकता है। उन्होंने उर्दू के शब्दों का गजब का इस्तेमाल किया है- अपने गीतों में। यही वजह है कि उनके लिखे ताजा गीतों में भी उनकी कलम बिना उर्दू जुबां के आगे नहीं बढ़ती है। यह जानकरी किसी को भी हैरानी हो सकती है कि उन्होंने एक साक्षात्कार में खुद को कल्चरली मुसलमान बताया था। इसमें उनका आशय उर्दू अदब और भाषाई कल्चर था, जिस उन्होंने बेतल्कुफ अपना और उसे सींचा भी और बड़ा भी किया।

प्रेम-बिछड़ने के गीत हैं उनकी जान

ऐसे में आप समझ सकते हैं कि वह धर्म और समुदाय को लेकर क्या सोचते होंगे। उन्होंने आम लोगों का मन पढ़ा और प्रेमियों की जुबान सीखी और यह वजह है कि फिल्मी सफर के दौरान बेहद खूबसूरत गीत लिखे और आज भी लिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने धार्मिक विषय पर अधिक गीत नहीं लिखे। उनके गीतों में हमेशा आपको रूहानी एहसास मिलेगा। प्रेम और बिछड़न का वह दरिया मिलेगा, जिसमें आप डूबकर भी उबर आएंगे।

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उनके गीत हैं लाजवाब

संजीव कुमार और सुचित्रा सेन अभिनीत फिल्म ‘आंधी’ का कोई भी गीत सुन लीजिए, दिल की गहराइयों तक उतर जाएगा। ऐसे न जाने कितने ही गीत हैं, जो गुलजार की कलम से निकले हैं। ‘जंगल बुक’ सीरियल का गीत ‘जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहनकर फूल खिला है’ जी हां यह गीत गुलजार साहब ने ही लिखा है। यकीन नहीं आएगा, लेकिन यही तो गुलजार साहब की खूबी है।

बाल मन को पढ़ने का हुनर है गुलजार के पास

गुलजार तो हर उम्र वर्ग के लोगों का मन और उनकी तासीर पढ़ने का माद्दा रखते हैं, लेकिन उन्होंने बाल मन को भी खूब पढ़ा है। यह वजह है कि उन्होंने ‘किताब’ नाम की उम्दा फिल्म बनाई, जो एक बच्चे की मनः स्थिति पर है। ‘किताब’ फिल्म आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कल थी। फिल्म देखने के दौरान आप सहज ही एक अनजाना सा रिश्ता निर्देशक गुलजार के साथ बना लेंगे।

18 अगस्त, 1934 को झेलम जिले (अब पाकिस्तान) में गुलजार का जन्म हुआ। यह भी कम संयोग की बात नहीं है कि गुलजार की तरह ही गीतकार शैलेंद्र का भी जन्म पाकिस्तान (बंटवारे से पहले) में हुआ। 30 अगस्त 1923 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में जन्मे शैलेन्द्र हिन्दी सिनेमा के सुनहरे दौर के सफल गीतकारों में शुमार हैं। गुलजार उनकी बहुत कद्र करते थे। एक ही सोच और विचार का होने के चलते अक्सर दोनों मुलाकातें भी होतीं थी।

शैलेंद्र ने दिलाया था पहला काम

यहां पर यह दिला दें कि गुलजार को फिल्मी गीतकार बनाने में शैलेंद्र का अहम योगदान था। सच बात तो यह है कि गीतकार गुलजार को गीत लेखन में लाने वाले शैलेन्द्र ही थे।  गुलजार फिल्मों में काम नहीं करना चाहते थे, लेकिन शैलेंद्र उनके हुनर से वाकिफ थे, इसलिए उन्होंने गीतकार बनाने की ठान ली और मौका भी दिला दिया। गुलजार का मन उस समय किताब लिखने का था।

हुआ यूं कि किसी बात को लेकर शैलेंद्र एसडी बर्मन से नाराज हो गए। एक दिन शैलेन्द्र ने गुलजार से कहा कि वह बिमल रॉय की फिल्म के लिए गीत लिखें। शैलेन्द्र गुरु की तरह थे, इसलिए गुलजार उनके इस गुजारिश को इन्कार नहीं कर पाए। फिर बिमल रॉय की फिल्म ‘बंदिनी’ के लिए गीत ‘मेरा गोरा रंग…’ लिखा। यह गीत खूब लोकप्रिय हुआ और इसी के साथ उन्हें बतौर गीतकार फिल्में मिलने लगीं और गुलजार आगे चलकर सफल गीतकार गुलजार हो गए।

यहां पर बता दें फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के तौर पर काम शुरू किया था और उन्होंने जो सीखा वही अपने फिल्मों में निर्देशन के दौरान इस्तेमाल किया।

 

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Written By

jp Yadav

First published on: Aug 18, 2023 07:24 PM

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