व्लादिमीर पुतिन - एक ऐसा नाम, जो दुनिया के ताकतवर नेताओं में शुमार है. लेकिन रूस के इस ताकतवर नेता का उदय किसी कल्पना से कम नहीं है. पुतिन की कहानी शुरू होती है लेनिनग्राद के एक ऐसे अपार्टमेंट से, जहां जिंदगी जीने के लिए बेसिक चीजों भी नहीं थीं. ये ही अनुभव उन्हें जिंदगी के सबक देकर चले गए. हम पुतिन की कहानी को कल्पना इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सड़कों पर गुंदागर्दी करने वाला एक मामूली लड़का किसी देश का राष्ट्रपति बन सकता है. पुतिन पिछले पांच बार से रूस के राष्ट्रपति की कुर्सी पर काबिज हैं. रूस में इतने समय तक इनसे ज्यादा केवल जोसेफ स्टालिन ही सत्ता में रहे हैं. अब जानिए, कैसे एक मामूली केजीबी जासूस रूसी राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचा.
कैसे था पुतिन का बचपन
पुतिन दूसरे विश्व युद्ध के सात साल बाद पैदा हुए थे. लेनिनग्राद की घेराबंदी में उनके बड़े भाई की मौत हो गई थी. उनके माता-पिता बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाए थे. उनका बचपन बड़ा कठिन बीता था, जो आगे के लिए उन्हें पाठ पढ़ा गया.व्लादिमीर पुतिन सड़क पर लड़ने वाले यानि आवारागर्दी करने वाले एक लड़के थे. उनका बचपन लेनिनग्राद (सेंट पीटर्सबर्ग) के कोमुनलका में बीता है. कोमुनलका वह अपार्टमेंट होता है, जिसमें कई परिवार एक साथ रहते हैं. इन परिवारों को किचन और बाथरूम कई चीजें एक दूसरे के साथ शेयर करनी होती हैं.
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जब चूहा दे गया सबक
पुतिन बचपन में जिस अपार्टमेंट में रहते थे, वहां बहुत सारे चूहे थे. वो चूहों को लकड़ी लेकर भगाते रहते थे. एक दिन उनका पाला पड़ गया एक बड़े चूहे से. पुतिन ने एक लकड़ी उठाई और उसे भगाना शुरू कर दिया. आगे-आगे चूहा, पीछे-पीछे पुतिन. एक जगह जाकर सामने दीवार आ गई और चूहे को भागने की जगह नहीं मिली. चूहे ने खुद को पुतिन के सामने फंसा हुआ महसूस किया. लेकिन चूहे ने हार नहीं मानी और ऐसी चाल चली, जो पुतिन को जिंदगीभर का सबक दे गया. चूहा पलटा और पुतिन पर झपट पड़ा. ऐसे में पुतिन को वहां से भागना पड़ा और चूहा आराम से निकल गया. पुतिन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस चूहे से सबक मिला कि अगर आप घिर जाएं तो क्या करना चाहिए.
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पहला मुक्का मारने का सबक
पुतिन लेनिनग्राद की सड़कों पर अक्सर अपने से बड़े और ताकतवर लड़कों से भिड़ जाते थे. पुतिन ने उस वक्त को याद करते हुए एक बार बताया था कि वे सड़क पर 'गुंडागर्दी' करते थे. ऐसे लोगों से जीतने के लिए उन्होंने जूडो और रूसी मार्शल आर्ट सांबो सीखी, जिसकी बदौलत वे अपने से बड़े लड़कों से भी भिड़ लेते थे. उन्होंने यह भी बताया था कि पचास साल पहले लेनिनग्राद की गली के झगड़ों ने भी एक चीज सिखाई थी. उन्होंने कहा था कि अगर आपको लगे कि कहीं लड़ाई होगी ही, उसके बिना काम नहीं चलेगा, तो ऐसे में सबसे पहला मुक्का आपको मारना होगा.
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कैसे बने जासूस?
पुतिन ने लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद साल 1975 में वह सोवियत खुफिया सेवा (KGB) में चले गए. केजीबी के लिए काम करना जासूसी उपन्यास पढ़ने वाले पुतिन के लिए एक सपना था. वे कई देशों में तैनात रहे, उन्हें केजीबी में लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी, लेकिन केजीबी में उनका काम सामान्य ही थी. बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में पुतिन के पूर्व वरिष्ठ सहयोगी निकोलई लियोनोव के हवाले से उन्हें 'सामान्य जासूस' बताया था.
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सियासत में कैसे मारी एंट्री?
केजीबी छोड़ने के बाद साल 1991 में पुतिन लेनिनग्राद के मेयर अनातोली सोबचक के डिप्टी बन गए. धीरे-धीरे उन्होंने उनका भरोसा जीता और उनके सबसे करीबी एडवाइजर बन गए. जब सोबचक मेयर पद से हटे तो पुतिन मॉस्को पहुंच गए और उन्होंने राष्ट्रपति प्रशासन के लिए काम करना शुरू कर दिया. उस वक्त रूस में बोरिस येल्तसिन राष्ट्रपति थे. उनकी सरकार के आखिरी दिन चल रहे थे. इन्हीं दिनों में पुतिन तेजी के साथ आगे बढ़े. इसी बीच वह कुछ समय के लिए KGB की जगह बनी फेडरल सिक्योरिटी सर्विस के चीफ भी रहे. इसके बाद उन्हें सिक्यूरिटी काउंसिल के सेक्रेट्री के तौर पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया.
ऐसे मिली राष्ट्रपति की कुर्सी
साल 1999 में राष्ट्रपति येल्तसिन बीमार चल रहे थे. उन्हें अपने एक उत्तराधिकारी की जरूरत थी. इसी वक्त मॉस्को में एक साथ कई बम धमाके होते हैं. ये हमले चेचन्या के अलगाववादियों ने किए थे. बम धमाकों के बाद पुतिन ने उन अलगाववादियों के साथ जंग छेड़ दी, जिसे जीतते हुए उन्होंने चेचन्या को वापस रूस में मिला लिया. इसके बाद पुतिन की लोकप्रियता बढ़ी और 31 दिसंबर 1999 को उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया गया. इसके तीन महीने बाद उन्होंने अपना पहला राष्ट्रपति कार्यकाल जीत लिया.
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राष्ट्रपति की कुर्सी के लिए बदला कानून
साल 2000 के बाद वे मार्च 2004 में दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए. लेकिन दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद अब वह लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते थे. क्योंकि रूस के संविधान के मुताबिक, कोई भी शख्स लगातार तीन बार राष्ट्रपति की कुर्सी पर नहीं बैठ सकता. ऐसे में पुतिन 2008 से 2012 तक रूस के प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद वे फिर साल 2012 और 2018 में राष्ट्रपति चुने गए. लेकिन फिर उनकी करियर की राह में कानून रोड़ा बन गया. जिसके मुताबिक, वे लगातार तीन बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते. ऐसे में उन्होंने 2021 में एक कानून पारित करवा दिया. इस कानून के तहत ऐसी किसी भी सीमा को खत्म कर दिया गया. अब लगातार पांचवें या छठे कार्यकाल के लिए भी राष्ट्रपति बन सकते हैं।
बेहद प्राइवेट रखते हैं पर्सनल लाइफ
पुतिन बहुत कम लोगों पर भरोसा करते हैं, इनमें उनके लेनिनग्राद के दोस्त से लेकर केजीबी के कार्यकाल के दौरान रहे कुछ सहयोगी हैं. वह जिन पर भी भरोसा करते हैं, उनका साथ नहीं छोड़ते. पुतिन अपनी पर्सनल लाइफ को बेहद प्राइवेट रखते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने शादी के 30 साल बाद अपनी बीवी ल्युडमिला को तलाक दे दिया था. पुतिन की दो बेटियां हैं, एक बेटी शिक्षाविद और बिजनेसवुमेन हैं, जिनका नाम मारिया वोरोन्त्सोवा है और दूसरी बेटी एक रिसर्च फाउंडेशन की हेड हैं, जिनका नाम कैटरीना तिखोनोवा बताया जाता है. पुतिन अपने परिवार को कभी भी सामने नहीं लाते हैं.