Know How To Be Safe From Air Pollution: जैसे-जैसे सर्दियां आगे बढ़ रही हैं, दिल्ली NCR में वायु प्रदूषण और AQI लेवल भी बढ़ता जा रहा है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार, शनिवार को भी दिल्ली के कई इलाकों में AQI 468 के आसपास रिकॉर्ड किया गया है। वहीं, नोएडा में AQI 492 दर्ज किया गया ,जो एयर क्वालिटी के लिए गंभीर माना जाता है। अब स्थिति ऐसी बन गई है कि लोगों को मास्क पहनना पड़ रहा है, क्योंकि सांस लेने में दिक्कत हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बहने वाली हवा प्रदूषकों के फैलाव के लिए प्रतिकूल है, लेकिन बड़ी मुसीबत यह है कि प्रदूषण के बीच ही रहना पड़ेगा। ऐसे में लोग प्रदूषण से बचाव कैसे करें? क्या सावधानियां बरतें? कौन-सा मास्क लगाना बेहतर होगा, इस बारे में विस्तार से बात करते हैं…
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Ye hazy hazy lamhe.#DelhiAirPollution #DelhiAirQuality #shame pic.twitter.com/tyYPAV4dnP
---विज्ञापन---— Neeti Palta (@neetipalta) November 3, 2023
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क्या होता है AQI और PM लेबल?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हवा की क्वलिटी के स्तर का मापन एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI कहलता है। हवा में घुले जहरीले तत्वों का मापन PM10 और PM2.5 कहलाता है। दिल्ली में कई इलाकों में AQI मापने के यंत्र लगे हैं। दुनिया के हर देश में आज AQI मापा जाने लगा है। भारत में AQI को मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज ने लॉन्च किया था। AQI को 8 प्रदूषण कारक PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, NH3, Pb तय करते हैं। PM2.5 हवा में घुलने वाला एक प्रदूषक है। इसके कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इसका स्तर ज्यादा होने पर धुंध बढ़ती है और विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता। PM10 को Particulate Matter कहते हैं। इस प्रदूषण के कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण होते हैं। PM10 और 2.5 धूल मिट्टी, निर्माण कार्यों और कूड़ा-पराली जलाने से बढ़ता है। PM10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (MGCM) और PM2.5 60MGCM होना चाहिए। इससे ज्यादा लेवल नुकसानदायक हो सकता है।
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#WATCH | Delhi: Morning visuals from Anand Vihar as the AQI in the area stands at 448, in the ‘Severe’ category as per the Central Pollution Control Board (CPCB). pic.twitter.com/tBs1YWaY3n
— ANI (@ANI) November 4, 2023
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वायु प्रदूषण कैसे फैलता और क्या प्रभाव पड़ता?
चिमनियों, निर्माण कार्यों और नगर निगम के कचरे की भट्टी से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण फैलता है। मोटर गाड़ी, हवाई जहाज, समुद्री जहाजों, क्रूज़ जहाजों के धुएं से प्रदूषण फैलता है। जलने वाली लकड़ी, आग लगने, चूल्हे, भट्टी से वायु प्रदूषण होता है। सामान्य तेल शोधन और औद्योगिक गतिविधियों से, खेती बाड़ी में इस्तेमाल होने वाले रसायनों, धूल मिट्टी उड़ने से, पेंट, बालों के स्प्रे, वार्निश, एरोसोल स्प्रे, गड्ढे भरने के लिए कचरा इस्तेमाल करने से मीथेन गैस पैदा होती, जिससे प्रदूषण फैलता है। पटाखे और आतिशबाजी का धुआं भी प्रदूषण फैलाता है। उपरोक्त सभी कारकों से कॉर्बन आक्साइड, सल्फर ऑक्साइड पैदा होती है, जो हवा में घुलकर इसे न केवल जहरीला बनाती है, बल्कि प्रदूषित भी करती है। इससे वायु की गुणवत्ता खराब होती है और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। प्रदूषित हवा में आंख, गले और फेफड़े की तकलीफें बढ़ती हैं। सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का कोई सिस्टम इंसान के शरीर में नहीं है। PM2.5 फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
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Air quality across Delhi continues to be in the ‘Severe’ category as per the Central Pollution Control Board (CPCB).
AQI in Anand Vihar area at 448, in Jahangirpuri at 421, in Dwarka Sector-8 at 435 and around IGI Airport (T3) 421 pic.twitter.com/ks3dgGZJtu
— ANI (@ANI) November 4, 2023
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मास्क कितने प्रकार के होते और कैसे काम करते?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सामान्य मास्क डिस्पोजेबल होता है, जिसे एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है। सस्ता होने की वजह से लोग इसका उपयोग अधिक करते हैं, लेकिन प्रदूषण का स्तर 300-400 से अधिक होने पर यह फायदेमंद नहीं होता है। इसलिए N श्रेणी के मास्क इस्तेमाल करने की सलाह डॉक्टर देते हैं। यह मास्क बड़े प्रदूषक कणों को पकड़ने या रोकने में कामयाब माने जाते हैं। N90, N95 और N99 श्रेणी के मास्क अच्छे होते हैं। यह मास्क 0.3 माइक्रॉन तक के कणों को मुंह में जाने से रोकते हैं। इनके अलावा KN95 या FFP2 मास्क भी मिलते हैं। बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलने पर N95, N99, N100 मास्क इस्तेमाल करना चाहिए। मास्क इस्तेमाल करत समय ध्यान देना जरूरी है कि मास्क डिस्पोजेबल है या री-यूजेबल। N95 मास्क भी डिस्पोजेबल होता है। री-यूजेबल मास्क का उपयोग करना चाहिए। दिल्ली में यही मास्क कारगर साबित होता है।
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कितनी देर पहन सकते हैं कोई मास्क?
विशेषज्ञों के मुताबिक, मास्क को कितनी देर तक पहना जा सकता है, यह निर्भर करता है मास्क लगाने से पैदा होने वाली नमी से। सामान्य मास्क आधे से लेकर 2 घंटे तक पहने जा सकते है। अच्छी क्वालिटी वाले मास्क 4 घंटे तक पहने जा सकते हैं। री-यूजेबल मास्क में रेस्पिरेटर युक्त मास्क को कई बार पहन सकते हैं, क्योंकि इनमें आसानी से नमी नहीं आती। निश्चित नहीं है कि हमें कितनी देर मास्क पहनना चाहिए। लोगों के बीच कितनी देर तक रहते हैं, उस पर मास्क पहनना निर्भर करेगा। री-यूजेबल मास्क को 7 दिन से ज्यादा समय तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। री-यूजेबल मास्क को इस्तेमाल के बाद अच्छे से धोना चाहिए। साफ हवादार जगह पर सुखाना चाहिए। ध्यान रहे कि यह फट न जाए। मास्क ढीला न हो जाए।