Survey Report: क्या उम्मीद की किरण बन रहा AI? पर्सनल लाइफ पर फोकस करना चाहते हैं 27% कर्मचारी
Can AI be option for better work life: ओपनएआई(OpenAI) के चैट जीपीटी(ChatGPT) जैसे जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल पर कंपनियों की बढ़ती निर्भरता कई कर्मचारियों की रातों की नींद हराम कर रही है। जून 2023 में पीडब्ल्यूसी(PwC) वार्षिक ग्लोबल वर्क-फोर्स के सर्वे से पता चला है कि एक तिहाई कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि वे अगले तीन साल में ऑफिस में रोबोटों को लाए जाने को लेकर चिंतित हैं।
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क्या उम्मीद की किरण बन रहा AI ?
हालांकि कर्मचारियों की ये चिंताएं वैध हैं, फिर भी एक उम्मीद की किरण जिन्दा है। एआई कर्मचारियों को अपनी काम करने की दक्षता(efficiency) में सुधार करने और व्यवहारिक दिनचर्या पर खर्च होने वाले समय को कम करने का एक जबरदस्त अवसर प्रदान करता है, जो उन्हें बेहतर लाइफ जीने का मौका देगा।
पर्सनल लाइफ पर फोकस करना चाहते हैं 27% कर्मचारी
दिलचस्प बात यह है कि एक्सेंचर के हालिया शोध के अनुसार, यूके में कई श्रमिकों ने नौकरी की संतुष्टि और प्रोडक्टिविटी में बढ़त के लिए एआई को श्रेय दिया है, जिसमें अगस्त और सितंबर 2023 के बीच यूके में 2 हजार श्रमिकों का सर्वे किया गया था। इन कर्मचारियों ने अपनी वर्क-लाइफ संतुलित करने पर जोर दिया है, 27% कर्मचारी ऑफिस का काम खत्म होने के बाद पर्सनल लाइफ पर अधिक फोकस करना चाहते हैं।
कम हो रहे काम के घंटे
2023 में क्लाउड-आधारित एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म विजियर द्वारा शुरू किए गए एक अन्य यूके-आधारित स्टडी में पाया गया कि जिन कर्मचारियों ने पहले से ही वर्क-स्टेशन में एआई को शामिल कर लिया है, वे प्रतिदिन 1.55 घंटे की बचत कर रहे हैं। वहीं भारत के 2,039 डेस्क कर्मचारियों का सर्वे करने वाले स्लैक के अनुसार, भारत में लगभग 75% पेशेवरों ने राइटिंग और एडिटिंग, इमेज और वीडियो क्रिएशन के लिए एआई टूल को अपनाया है और इसके जरिए प्रति सप्ताह लगभग 4.9 घंटे बचाए हैं।
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