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Explainer: OBC वोट बैंक को एकजुट कर क्या अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर पाएगी ‘बसपा’, क्या है मायावाती का ‘भाईचारा मॉडल’?

Mayawati Bhaichara committee: बिहार में बसपा सवर्ण-ओबीसी-दलित गठजोड़ की कोशिश कर रही है. इससे पहले भी मायावती ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में ओबीसी मोबिलाइजेशन पर काम किया है. अब एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव 2027 से पहले पार्टी ने BAMCEF (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉयी फेडरेशन) को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया है जो ओबीसी-दलित एकता का आधार बनेगा.

मायावती

Mayawati Bhaichara committee: बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ओबीसी भाईचारा कमेटी की बैठक कर पार्टी को नई दिशा देने की कोशिश कर रही हैं. बसपा ओबीसी वोटर्स को केंद्र में रखकर अभी बिहार फिर यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा में अपनी खोई जमीन तलाश रही है.

बसपा का ओबीसी वोट बैंक पर फोकस क्यों है? क्या ओबीपी वोटों के सहारे मायावती बिहार जैसे राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकती है. दरसअल, आज बसपा की लखनऊ पार्टी मुख्यालय में ओबीसी भाईचारा कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक है. यह बैठक न केवल बिहार विधानसभा चुनाव का हिस्सा है, बल्कि बसपा के भविष्य को (यूपी विधानसभा चुनाव 2027) मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है.

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BSP ने शुरू किया ओबीसी वोट बैंक को जोड़ने का अभियान

मायावती ने अपने हालिया बयानों में कहा था कि ओबीसी भाईचारा हमारी ताकत है. 2007 की तरह फिर से हम इस समुदाय को जोड़ेंगे ताकि यूपी और बिहार जैसे राज्यों में हमारी वापसी हो सके. उन्होंने ये भी कहा था कि यूपी में 2027 विधानसभा चुनाव बसपा के लिए परीक्षा की घड़ी है. बता दें बसपा अब 'भाईचारा कमेटी' मॉडल को फिर से सक्रिय कर रही है जो हर जिले में ओबीसी उपजातियों को जोड़ेगी.

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पहले भी कई राज्यों में ओबीसी मोबिलाइजेशन पर काम किया है

बिहार में भी बसपा सवर्ण-ओबीसी-दलित गठजोड़ की कोशिश कर रही है. इससे पहले भी मायावती ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में ओबीसी मोबिलाइजेशन पर काम किया है. अब एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव 2027 से पहले पार्टी ने BAMCEF (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉयी फेडरेशन) को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया है जो ओबीसी-दलित एकता का आधार बनेगा.

क्या बसपा अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर पाएगी?

बहरहाल ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि ओबीसी वोट बैंक को एकजुट करके क्या बसपा अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर पाएगी. लेकिन हाल ही में पार्टी ने दलित-मुस्लिम गठबंधन को मजबूत करने का जमीनी स्तर पर अभियान शुरू किया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार बीते कुछ चुनावों में ओबीसी वोटों का ध्रुवीकरण बसपा की हार का एक बड़ा कारण बना है. ऐसे में पार्टी ओबीसी वोट बैंक पर फोकस है. बता दें यूपी में ओबीसी आबादी करीब 50% से ज्यादा है. फिलहाल बिहार में आरजेडी और जेडीयू का ओबीसी वर्ग में मजबूत वोट बैंक है.

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