Kantara Overrated: देश को ‘कांतारा’ क्यों है पसंद…क्या है इसका मतलब? यहां जानिए सबकुछ
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कांतारा शब्द की चर्चा हर तरफ हो रही है। यह एक कन्नड़ फिल्म का टाइटल है। फिल्म हाल ही रिलीज़ हुई है और बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है। इसी के साथ गूगल पर 'कांतारा' का मतलब भी खोजा जा रहा है। क्या आप जानते हैं कि कांतारा का हिंदी में क्या मतलब होता है? शायद नहीं। यहां जानिए कांतारा का सही मतलब।
कन्नड़ फिल्म 'कांतारा' एक एक्शन और रहस्यमयी फिल्म है, जिसका हिंदी मतलब है- 'रहस्य्मयी जंगल'। जंगल के देवता को कन्नड़ भाषा में 'कांतारे' भी कहा जाता है। इसी को ध्यान में रखकर निर्माता ने फिल्म का नाम 'कांतारा' रखा गया है। अब न सिर्फ फिल्म सुर्खियां बटोर रही है, बल्कि नाम भी चर्चा में है।
कर्नाटक में इस जंगल के देवता की बहुत मान्यता भी है जिसकी वेशभूषा में लोकनर्तक राज्य में घूम-घूम कर शो करते हैं। इस फिल्म के लीड रोल में ऋषभ शेट्टी हैं, जिन्होंने बतौर लेखक और निर्देशन भीकमाल कर दिखाया है।
कांतारा की भाषा, बजट और कमाई
फिल्म की मूल भाषा कन्नड़ है। हिंदी में यह फिल्म 14 अक्टूबर को रिलीज़ हुई है। फिल्म का बजट लगभग 20 करोड़ था, जबकि फिल्म ने अब तक 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार कर चुकी है।
क्यों सुपरहिट हुई कांतारा?
(i) बॉलीवुड के प्रति नाराजगी
फिल्म कांतारा के सुपरहिट होने के कई कारण हैं। उन कारणों में से सबसे पहला कारण सुशांत सिंह की मौत के बाद लोगों की बॉलीवुड के प्रति नाराज़गी। बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक पहले हॉलीवुड की नक़ल करते थे और अब साउथ की फिल्मों से कॉपी करने लगे हैं। यही वजह है कि हिंदी दर्शक साउथ की फिल्मों को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं।
इसका अंदाजा इस बात से भी बखूबी लगाया जा सकता है कि हिंदी दर्शकों को बॉलीवुड फिल्मों से कहीं ज़्यादा साउथ की फिल्मों का इंतजार रहता है। यदि कांतारा जैसी फिल्मों का हिंदी बॉक्स ऑफिस पर डंका बज रहा है, तो इसके पीछे बॉलीवुड की थकी, बोरिंग घिसी-पिटी कहानियां हैं। बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्मों में नयेपन का आभाव साफ देखा जा सकता है। दूसरी ओर साउथ की फिल्में बेतुकी होकर भी बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई कर कर रही हैं। उदहारण के तौर पर राजमौली की 'RRR' और प्रशांत नील की 'KGF भाग-2' ...इन फिल्मों ने न सिर्फ दक्षिण भारत, बल्कि हिंदी बेल्ट के साथ-साथ विदेशों में भी सफलता और कमाई के झंडे गाड़े हैं।
(ii) दूसरा कारण: IMDB की रेटिंग्स
Amazon की एक सब्सिडियरी कंपनी है IMDB, जो 1990 में लॉन्च हुई थी। फिल्म, टीवी और सेलिब्रिटी कंटेंट के लिए दुनिया का सबसे लोकप्रिय और आधिकारिक सोर्स माने जाने वाली एक प्रमुख और चर्चित वेबसाइट बन गयी है, जिसपर आम लोग और मूवी क्रिटिक अपना रिव्यु दे सकते हैं। बेशक, लोगों वो मूवी देखी हो या नहीं देखी हो। इन रिव्यु से ही कहीं न कहीं आकर्षित होकर ज्यादातर लोग मूवी देखने का मूड बना लेते हैं। एक तरफ बॉलीवुड से नाराज़गी, ऊपर से IMDB की रेटिंग्स ... यकीनन साउथ फिल्म इंडस्ट्री के लिए 'सोने पे सुहागा' वाली बात हो गई है।
(iii) तीसरा कारण: श्रद्धा, संस्कृति और पौराणिक कथाएं
बचपन में हम सभी ने अपनी दादी-नानी की गोद में लेटकर ढेरों कहनियां सुनी होंगी।कहानी सुनना किसको नहीं पसंद। दोस्तों की कहानियां भी आप दिन-प्रतिदिन सुनते ही होंगे और अगर कहानी सच्ची हो, तो आप खुद को कहानी के पात्र रिलेट करने लगते हैं । 80 और 90 के दशक में पैदा हुए ज्यादातर लोग दादी और नानी से कहनियां, पौराणिक कथाएं सुनी होंगी और जब कहानी सुनते हैं, तो वही कहानी के पात्र हमें घर कर जाते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम , लोकनृत्य लोगों से सामाजिक एकजुटता और सामंजस्य पैदा होता है। यही वजह है इस आधुनिक युग में भी रामलीला का क्रेज कम नहीं हुआ। आज भी उसी चाव से रामलीला देखने जाते हैं। संस्कृति से सामाजिक समावेश, सामुदायिक सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण को बढ़ावा मिलता है। कन्नड़ भाषीय लोग अपने स्थानीय सांस्कृतिक मूवी को देखते हुए उत्साहित होंगे और हिन्दू धर्म में 84 करोड़ देवी देवता हैं। पत्थर को भगवान मान लेने वाले हम कांतारा देवता को पवित्र मानते हैं ।
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'भूत कोला' का है जिक्र
कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों हर साल मनाए जानी वाली प्रथा को 'भूत कोला' कहा जाता है, इसमें 'दैव' की पूजा करते हैं। यह आमतौर पर छोटे स्थानीय समुदायों और ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है। पूजा के दौरान गांव का ही कोई व्यक्ति वेश-भूषा धारण कर नृत्य करता है और इसी नृत्य के दौरान व्यक्ति के अंदर देवता आ जाते हैं । यह भी माना जाता है कि यह देवता (पंजुरली) की ओर से लोगों की समस्याओं का जवाब देता है।
तो फिल्म कैसे ओवररेटेड है?
जिस तरह से IMDB पर जबरदस्त स्टार्स रेटिंग्स मिल रही है, उस हिसाब से कहीं भी ये फिल्म अपने आपको साबित नहीं कर पाती। ट्रेलर से लग रहा था कि फिल्म एक सस्पेंस थ्रिलर है, जिसका मुख्य आधार 'देवता' की कहानी है, लेकिन यह देखकर बहुत निराशा हुई कि लगभग पूरी फिल्म पुलिस/सरकार के खिलाफ लड़ने वाले गरीब लोगों की कहानी है। आखिर में अमीर-गरीब के शोषण की वही घिसी -पिटी कहानी, जो हम पहले की फिल्मों में देख-देख कर ऊब चुके हैं। फिल्म 'देवता' का बस ऐसे ही इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं देवता का काफी फिल्मीकरण भी किया गया है। जब सब तहस-नहस हो जाता है और काफी लोग मारे जाते है तभी शिवा के शरीर में प्रकट होते है? मतलब आखिर में प्रकट होते हैं देवता। क्या और लोगों के जान की कीमत नहीं मानते देवता? क्यों जब शिवा ही मरने वाला होता है तभी उनके शरीर में आते हैं ? फिल्म कांतारा के 80% हिस्से में सिर्फ आपको वही अमीर-गरीब शोषण, भूमि विवाद ही दिखाया गया है लेकिन 20% हिस्से में ही 'देवता' का जिक्र है।
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