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Father’s Day 2025: ‘पीकू’ से ‘बरेली की बरफी’ तक, जब स्क्रीन पर पिता ने बेटियों को बनाया सशक्त और दी आजादी

इस फादर्स डे पर 'पीकू' में अमिताभ बच्चन और 'बरेली की बर्फी' में पंकज त्रिपाठी को एक अच्छे और प्यारे पिता के किरदार में जरूर देखें। ये हिंदी फिल्में पिता और बेटी के रिश्ते को बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाती हैं।

Photo Credit- News 24
ऐसे दौर में जब फिल्म 'मिसेज' जैसी कहानियां जरूरी लगती हैं ताकि महिलाओं की स्थिति को दिखाया जा सके, वहीं कुछ पुरुष, खासकर पिता ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी बेटियों को हमेशा मजबूत और आजाद ख्यालों वाला बनाया। वक्त के साथ परवरिश का तरीका जरूर बदला है, लेकिन उनका इरादा हमेशा यही रहा कि बेटियों को यह महसूस हो कि वे प्यार, सम्मान और आजादी की हकदार हैं।आइए जानते हैं 5 ऐसी फिल्मों के बारे में जिसमें दिल को छू लेने वाली पिता और बेटी की कहानियां दिखाई गई है।

'पीकू'

फिल्म में भास्कर बनर्जी(अमिताभ बच्चन) का किरदार शुरू में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन धीरे-धीरे वह दिल जीत लेता है। वह एक अकेले पिता हैं जिन्होंने अपनी बेटी पीकू को इतना आत्मनिर्भर बनाया कि वह हर मुश्किल का सामना कर सके। जब पीकू अपने पापा के लिए सब कुछ छोड़ देती है, तब समझ आता है कि वह अपने पापा जैसी ही है। यही इस फिल्म को इतना प्यारा बनाता है।

'बरेली की बर्फी'

इस फिल्म में बिट्टी (कृति सेनन) बाकी लड़कियों से थोड़ी अलग है। वह इतने छोटे शहर में रहते हुए भी अकेले घूमने चली जाती है और वो बातें भी बेझिझक कहती है जो आमतौर पर वहां की लड़कियां नहीं कहतीं। यही उसे खास बनाता है। उसकी सोच और आजादी के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके पिता नरोत्तम मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) का है, जो अपनी बेटी को वही जिंदगी जीने देते हैं जैसी वो चाहती है।

'यादें'

‘यादें’ एक ऐसे पिता की कहानी है जो अपनी तीनों बेटियों की परवरिश अकेले करता है। राज पुरी (जैकी श्रॉफ) अपनी छोटी बेटी ईशा (करीना कपूर) के सबसे करीब होते हैं। ईशा की हिम्मत और सोच अपने पिता से ही आई है, जिन्हें उसने हमेशा संघर्ष करते देखा। राज कभी भी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटते और ईशा में भी वही गुण नजर आते हैं। दोनों की बॉन्डिंग बहुत मजबूत है।

'हम आपके हैं कौन'

अनुपम खेर बॉलीवुड में अच्छे और समझदार पिता का रोल अक्सर निभाते रहे हैं। 'हम आपके हैं कौन' में उन्होंने प्रोफेसर सिद्धार्थ चौधरी का किरदार निभाया है, जो अपनी दोनों बेटियों- निशा और पूजा को अच्छे संस्कार और आजादी देते हैं। फिल्म के अंत में वह दिखाते हैं कि वो हमेशा अपनी बेटी की खुशी को सबसे ऊपर रखते हैं, और उनकी बेटी भी उन्हें निराश नहीं करती।

'गोलमाल'

‘गोलमाल’ में उत्पल दत्त का किरदार मजाकिया जरूर है, लेकिन उसमें भी एक बहुत प्यारा संदेश छिपा है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक बेटी अपने पिता की तरह समझदार बनती है, जो उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है। पिता और बेटी की जोड़ी मिलकर समाज की नकारात्मक सोच से लड़ती है और हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़ी रहती है। ये भी पढ़ें- एक्स पति ऋतिक रोशन के साथ बच्चों की परवरिश पर बोलीं सुजैन खान, जानें इंटीरियर डिजाइनर ने क्या कहा?


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