भारत में डॉक्टर बनने का सपना कई छात्रों का होता है, लेकिन इसका रास्ता मेहनत और समर्पण से भरा होता है। इसमें केवल MBBS की पढ़ाई ही नहीं, बल्कि इंटर्नशिप, मेडिकल काउंसिल की मान्यता और लाइसेंसिंग की प्रक्रिया भी शामिल होती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि डॉक्टर बनने से लेकर प्रैक्टिस शुरू करने तक का पूरा सफर कैसा होता है, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी है।
1. कक्षा 12वीं की शिक्षा पूरी करें: छात्र कक्षा 12वीं में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी और इंग्लिश जैसे मुख्य विषयों के साथ अपनी परीक्षा को पास कर अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करें। इसके अलावा यह सुनिश्चित करें कि आप इन विषयों में उच्च अंक प्राप्त करें क्योंकि यह मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
2. प्रवेश परीक्षा पास करें: भारत में मेडिकल के अंडरग्रेजुएट कोर्स (MBBS/BDS) में एडमिशन के लिए सबसे कॉमन एंट्रेंस टेस्ट नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की प्रवेश परीक्षा है। इस परीक्षा में पास होने पर ही अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में एडमिशन दिया जाता है।
3. मेडिसिन में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करें: प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद, किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में बैचलर ऑफ मेडिसिन (Bachelor of Medicine), बैचलर ऑफ सर्जरी (Bachelor of Surgery) या एमबीबीएस (MBBS) कार्यक्रम में दाखिला लें। एमबीबीएस कोर्स की अवधि आम तौर पर साढ़े पांच साल होती है, जिसमें साढ़े चार साल की क्लासरूम और क्लिनिकल ट्रेनिंग और एक साल की अनिवार्य इंटर्नशिप शामिल होती है।
4. कंप्लीट करें रोटेटरी इंटर्नशिप: एमबीबीएस प्रोग्राम पूरा करने के बाद, आपको एक साल के लिए अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप से गुजरना होगा। इस इंटर्नशिप के दौरान आप अस्पताल के विभिन्न विभागों में घूम-घूम कर प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस प्राप्त करेंगे।
5. पोस्ट ग्रेजुएशन की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करें (ऑप्शनल): अगर आप किसी स्पेशल फील्ड में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं, तो आप ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जामिनेशन (AIPGMEE), नीट पीजी (NEET PG), या स्पेसिफिक इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित पोस्ट ग्रेजुएशन एंट्रेंस एग्जामिनेशन में शामिल हो सकते हैं।
6. पोस्टग्रेजुएट डिग्री (एमडी/एमएस/डिप्लोमा) हासिल करें: एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के बाद आप डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (MD) या मास्टर ऑफ सर्जरी (MS) जैसे पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम में एडमिशन ले सकते हैं। इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने में आम तौर पर तीन साल लगते हैं. बाकी वैकल्पिक रूप से, आप एक डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं, जिसमें आमतौर पर दो साल लगते हैं।
7. एक लाइसेंस प्राप्त करें: अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री या डिप्लोमा पूरा करने के बाद, आपको मेडिसिन की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना होगा, जिसके लिए आपको मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) या संबंधित स्टेट मेडिकल काउंसिल (SMC) के साथ रजिस्ट्रेशन करना होगा। बता दें कि भारत में प्रत्येक राज्य का अपना स्टेट मेडिकल काउंसिल है।