हम सब जानते हैं कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन सफलता कुछ चुनिंदा मेहनती और जुझारू लोगों को ही मिलती है। इन्हीं में से एक नाम है IAS प्रीति, जिन्होंने अपने जीवन में असंभव सी लगने वाली कठिनाइयों को पार करते हुए न सिर्फ इस परीक्षा को पास किया, बल्कि देश की सेवा में खुद को समर्पित भी किया।
शुरुआती शिक्षा से बनी मजबूत नींव
प्रीति हरियाणा के डुपेड़ी गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा पास के ही गांव फाफदाना के एक प्राइवेट स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने पानीपत से 10वीं कक्षा पूरी की और शानदार अंक हासिल किए।
आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने मतलौडा से 12वीं कक्षा पास की। फिर उन्होंने इसराना कॉलेज से B.Tech और M.Tech ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की, जिससे उनकी तकनीकी शिक्षा की मजबूत नींव तैयार हुई।
सरकारी नौकरी की शुरुआत बैंकिंग से
प्रीति के पिता सुरेश कुमार थर्मल प्लांट, पानीपत में कार्यरत थे और मां बबिता एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थीं। पढ़ाई पूरी करने के बाद, प्रीति ने 2013 में ग्रामीण बैंक में क्लर्क के पद पर नौकरी शुरू की। उन्होंने यह पद बहादुरगढ़ में निभाया और 2013 से 2016 तक सेवा दी।
FCI और विदेश मंत्रालय में मिली नई पहचान
साल 2016 में उन्हें FCI (Food Corporation of India) में असिस्टेंट जनरल ग्रेड-II के रूप में चुना गया और करनाल में उन्होंने जनवरी 2021 तक काम किया। इसके बाद उन्हें विदेश मंत्रालय में सहायक अनुभाग अधिकारी (Assistant Section Officer) के पद पर नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2021 में दिल्ली स्थित मंत्रालय में कार्यभार संभाला।
ट्रेन हादसे ने बदल दी ज़िंदगी
प्रीति की जिंदगी में दिसंबर 2016 का महीना एक ऐसा मोड़ लेकर आया जिसे शायद ही वह कभी भूल पाएंगी। गाजियाबाद में FCI की विभागीय परीक्षा देने के लिए वह रेलवे स्टेशन पर पहुंची थीं। तभी उनका पैर फिसल गया और वह चलती ट्रेन के नीचे गिर गईं।
इस दर्दनाक हादसे में ट्रेन के तीन डिब्बे उनके शरीर के ऊपर से गुजर गए। हादसा इतना गंभीर था कि उन्हें 14 सर्जरी से गुजरना पड़ा, साथ ही एक बायपास सर्जरी भी करनी पड़ी।
हादसे के बाद टूटी सगाई, फिर भी नहीं टूटी उम्मीद
इस हादसे के बाद न सिर्फ उनका शरीर बुरी तरह घायल हुआ, बल्कि उनकी शादी भी टूट गई। उनके मंगेतर और ससुराल वालों ने उन्हें उस कठिन समय में छोड़ दिया। उन्होंने एक पूरा साल बिस्तर पर बिताया, चलने-फिरने तक में असमर्थ हो गई थीं। लेकिन प्रीति ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा ली और फैसला किया कि अब वो UPSC की तैयारी करेंगी।
UPSC में हासिल की सफलता, बनीं IAS अधिकारी
दो बार की असफल कोशिशों के बाद प्रीति ने तीसरे प्रयास में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। साल 2020 में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 754वीं हासिल की और अपने IAS बनने के सपने को साकार किया।
प्रीति की कहानी: एक मिसाल, एक प्रेरणा
प्रीति की कहानी सिर्फ एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि जीवन से हार मानने के बाद उठ खड़े होने की मिसाल है। उन्होंने साबित किया कि चाहे हालात कितने भी खराब क्यों न हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।