मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एमए राजनीति विज्ञान की परीक्षा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर पूछे गए विवादित सवाल ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है। परीक्षा के प्रश्नपत्र में आरएसएस को “आतंकी संगठन” और “कट्टरपंथी समूह” से जोड़ते हुए एक आपत्तिजनक प्रश्न पूछा गया, जिसे लेकर छात्रों और विभिन्न संगठनों ने कड़ा विरोध जताया।
ABVP ने किया विरोध प्रदर्शन
शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन किया और दोषी शिक्षिका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि इस प्रकार के सवाल विद्यार्थियों की विचारधारा को प्रभावित करने के साथ-साथ देश की एक प्रतिष्ठित संस्था को गलत ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न में क्या था विवादित?
एमए राजनीति विज्ञान द्वितीय वर्ष की परीक्षा के प्रश्नपत्र में आरएसएस की धार्मिक और जातीय पहचान को राजनीति से जोड़ते हुए एक ऐसा सवाल पूछा गया, जिसमें संगठन को “आतंकी” और “कट्टरपंथी” संगठनों की श्रेणी में बताया गया था। यह सवाल सामने आने के बाद छात्रों और शिक्षकों में रोष फैल गया।
विश्वविद्यालय की सख्त कार्रवाई
मामला तूल पकड़ने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने त्वरित जांच की और सवाल तैयार करने वाली शिक्षिका प्रोफेसर सीमा पंवार को दोषी पाया। हालांकि प्रो. पंवार ने अपनी गलती मानते हुए माफी भी मांगी, लेकिन विश्वविद्यालय ने इस मामले को गंभीर मानते हुए उन्हें आजीवन डिबार कर दिया है। इसका मतलब है कि अब वह विश्वविद्यालय से किसी भी प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकेंगी।
समाज में बढ़ रही जिम्मेदारी की मांग
यह मामला एक बार फिर से उच्च शिक्षा में विचारधारा की भूमिका और शिक्षकों की जिम्मेदारी को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले विषयों को संतुलित, तथ्यात्मक और संवेदनशील होना चाहिए ताकि छात्रों को निष्पक्ष ज्ञान मिल सके।