Working Hour Debate: कर्मचारियों के कामकाजी घंटे कितने होने चाहिए , इसे लेकर सबका अपना नजरिया है। इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति सप्ताह में 70 घंटे काम की सलाह देते हैं। जबकि एलएंडटी के चेयरमैन का मानना है कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 दिन काम करना चाहिए। वह सन्डे को भी काम के पक्षधर हैं। इस बीच, सॉस बनाने वाली दिग्गज कंपनी वीबा ने एक बड़ा कदम उठाया है।
केवल 40 घंटे काम
वीबा के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विराज बहल ने लंबे समय तक काम करने के विचारों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे पुराना और कर्मचारियों के लिए अनुचित करार दिया है। साथ ही अपनी कंपनी में काम के घंटे घटाकर 40 कर दिए हैं। हाल ही में चित्रांगदा सिंह के साथ द रॉकफोर्ड सर्कल पर पॉडकास्ट में बहल ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से देर तक काम लेना पूरी तरह से गलत है।
फाउंडर्स के लिए सही
विराज बहल ने कहा कि कंपनी के फाउंडर लंबे समय तक काम कर सकते हैं, क्योंकि कंपनी की सफलता का बड़ा फाइनेंशियल लाभ उन्हें ही मिलता है। लेकिन कर्मचारियों से बिना सही मुआवजे के देर तक करवाना अनुचित है। दूसरे बिजनेस लीडर्स के विपरीत बहल ने इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारियों को बिना किसी इक्विटी हिस्सेदारी या पर्याप्त वित्तीय प्रोत्साहन के अत्यधिक काम करने के लिए मजबूर करना एक पुराना और अस्थिर दृष्टिकोण है।
पहले आए बयान
इस मामले में विराज बहल की सोच नारायण मूर्ति और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम से बिल्कुल अलग है। मूर्ति ने 2023 में कहा था कि भारत की तरक्की के लिए युवाओं को 70 घंटे काम करना चाहिए। वह अब भी अपने इस बयान पर कायम हैं। हाल ही में सुब्रमण्यम ने 90 घंटे काम करने की सलाह देकर मूर्ति को भी पीछे छोड़ दिया। उन्होंने कर्मचारियों को रविवार को भी काम करने की सलाह देते हुए यहां तक कह डाला कि कोई अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकता है।
यह सही नहीं
विराज बहल का कहना है कि बिजनेस के शुरुआत में कड़ी मेहनत जरूरी है। लेकिन एक हद के बाद लगातार देर तक काम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह है। उनका कहना है कि जब कंपनी की कमाई स्थिर हो जाए तो लीडर्स को सिर्फ मेहनत से आगे बढ़कर सोचना होगा। गौरतलब गई कि नारायण मूर्ति और एसएन सुब्रमण्यम के बयानों को लेकर काफी बवाल हुआ था। खासकर, सुब्रमण्यम की सलाह अधिकांश लोगों को पसंद नहीं आई है, इसमें कई बिजनेस लीडर्स भी शामिल हैं।
कितनी बड़ी है कंपनी?
वीबा की स्थापना 2013 में विराज बहल ने की थी। अगस्त 2024 तक वीबा का रेवेन्यू 1,000 करोड़ से अधिक था. नॉन-केचप सॉस, मेयोनीज और डिप मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 50% से अधिक है। बहल की कंपनी को सिक्स्थ सेंस वेंचर्स, वर्लिनवेस्ट, सामा कैपिटल और डीएसजी कंज्यूमर पार्टनर्स जैसे निवेशकों का समर्थन प्राप्त है। कंपनी ने कुछ वक्त पहले अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए WokTok इंस्टेंट नूडल्स लॉन्च किया है।
जब बेचना पड़ा घर
विराज शार्क टैंक इंडिया 4 में बतौर जज शामिल हैं। हाल ही में उन्होंने बताया था कि सॉस का बिजनेस शुरू करने के लिए उन्हें अपना घर बेचने पड़ा था। उन्होंने बताया, ‘मैं अपनी पत्नी के पास गया और कहा कि रिद्धिमा मैं अपना घर बेचना चाहता हूं और सॉस बनाने का व्यवसाय शुरू करना चाहता हूं। उसने हां कहने में 30 सेकंड भी नहीं लगाये’। बहल का कहना है कि वीबा से पहले वह बिजनेस की फील्ड में असफल थे। हालांकि, वीबा ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया।