Stock Market Update: शेयर बाजार आज भी बड़ी गिरावट से गुजर रहा है। बाजार के इस हाल के लिए मुख्य तौर पर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी, फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती को लेकर चिंता और दुनिया भर में टैरिफ युद्ध के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली जिम्मेदार हैं। FIIs ने इस साल अब तक 1.12 लाख करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं, जिससे दलाल स्ट्रीट पर एक बार नहीं बल्कि कई दिनों से मातम छाया हुआ है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़े बताते हैं कि एफआईआई ने जनवरी में 81,903 करोड़ रुपये और फरवरी में 14 तारीख तक 30,588 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए।
यहां से निकाल रहे पैसा
FIIs ने अक्टूबर 2024 से अब तक भारतीय कंपनियों में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की अपनी हिस्सेदारी बेची है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि एफआईआई मुख्य रूप से बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के शेयर बेच रहे हैं। इसके साथ ही वे कमजोर आय और धीमी वृद्धि की चिंताओं के कारण फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) और कैपिटल गुड्स कंपनियों में भी अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं।
जल्द सुधार नहीं
मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि हालात तुरंत सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है। भारत में आर्थिक वृद्धि बढ़ने के बाद ही एफआईआई भारतीय शेयरों में फिर से पैसा लगा सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि टैरिफ युद्ध के और बढ़ने की आशंका है और भारत के लिए फिलहाल कोई राहत नहीं दिख रही है। अमेरिका में टैरिफ वृद्धि के कारण व्यापार में होने वाला बदलाव भारत को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि चीन और वियतनाम जैसे देश भारत में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपने उत्पाद बेच सकते हैं। हालांकि अमेरिका और भारत ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर जोर दिया है, लेकिन उन्हें किसी समझौते पर पहुंचने में महीनों लग जाएंगे।
इस वजह से बिगड़ा मूड
पिछले सप्ताह ही संकेत मिल गए थे कि 24 फरवरी को मार्केट दबाव में नजर आएगा, लेकिन यह आशंका नहीं थी कि गिरावट इतनी बड़ी होगी। माना जा रहा है कि इसकी वजह भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज का लेटेस्ट अनुमान हो सकता है। मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 2024 के 6.6 प्रतिशत से घटकर 2025 में 6.4% रह सकता है। इसके अलावा, S&P ग्लोबल का फ्लैश यूएस कंपोजिट PMI आउटपुट इंडेक्स फरवरी में 50.4 पर आ गया, जो सितंबर 2023 के बाद से सबसे कम रीडिंग है। यह इंडेक्स इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मेन्युफेक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को ट्रैक करता है।
चीन से मोह भंग नहीं
ऐसे में एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि GDP ग्रोथ रेट का धीमा अनुमान भारतीय शेयर बाजार से मुंह मोड़े बैठे निवेशकों को लंबे समय तक भारत से दूर कर सकता है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का शासन शुरू होने के बाद माना जा रहा था कि चीन का बाजार बुरी तरह प्रभावित होगा, क्योंकि ट्रंप चीन पर टैरिफ लगाएंगे। इसके बाद विदेशी निवेशकों का रुझान फिर से भारत की तरफ बढ़ेगा। ट्रंप ने बाकायदा ऐसा किया भी, लेकिन विदेशी निवेशकों का चीन से मोह भंग नहीं हुआ। वह अब भी भारत से पैसा निकालकर चीन में लगा रहे हैं। इसके चलते भारत का बाजार गिर रहा है। इसकी एक वजह यह है कि चीन में शेयरों का मूल्य अभी भी काफी आकर्षक बना हुआ है।
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