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Tokenisation नियम आज से हो गए हैं लागू, क्रेडिट कार्ड से जुड़े सुरक्षा नियमों के बारे में पढ़ें

नई दिल्ली: 1 अक्टूबर यानी आज से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रेडिट और डेबिट कार्ड के लिए नए नियम लागू कर चुका है। यह एक टोकन टाइप सिस्टम है। यानी अब आपके कार्ड की जानकारी उस तक नहीं पहुंच पाएगी, जिससे आप कुछ सामान खरीद रहे हैं या फिर कहीं पेमेंच कर रहे हैं। वन-टाइम […]

नई दिल्ली: 1 अक्टूबर यानी आज से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रेडिट और डेबिट कार्ड के लिए नए नियम लागू कर चुका है। यह एक टोकन टाइप सिस्टम है। यानी अब आपके कार्ड की जानकारी उस तक नहीं पहुंच पाएगी, जिससे आप कुछ सामान खरीद रहे हैं या फिर कहीं पेमेंच कर रहे हैं। वन-टाइम पासवर्ड (OTP) भी इस प्रक्रिया का हिस्सा है। अभी पढ़ें महंगाई का सितम! सरकार ने बढ़ा दी गैस की कीमतें; CNG, PNG वालों के लिए बुरी खबर, पड़ेगा जेब पर दबाव

टोकेनाइजेशन क्या है?

टोकेनाइजेशन डेबिट या क्रेडिट कार्ड के विवरण को ऑपरेटिंग बैंक द्वारा जारी किए गए टोकन से बदल रहा है। यानी अब ऑनलाइन किसी चीज का भुगतान करते समय यूजर को अपने कार्ड पर लिखे हुए 16 अंकों में नहीं दर्ज करना पड़ेगा। इसके बदले बैंक लेनदेन के लिए एक टोकन जारी करेंगे। इससे ग्राहक के कार्ड की जानकारी अब किसी मर्चेंट, पेमेंट गेटवे या थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म के पास नहीं जा सकेगी। इस प्रक्रिया में कार्ड पर नाम, एक्सपायरी डेट और सीवीवी कोड भी अंकित होंगे। इससे दावा किया जा रहा है कि ऑनलाइन फ्रॉड पर अंकुश लगेगा और ग्राहकों के निजी डाटा सेफ रहेंगे।

टोकन कैसे प्राप्त करें?

ग्राहक द्वारा लेनदेन के लिए सभी कार्ड विवरण दर्ज करने के बाद टोकनकरण की दिशा में पहला कदम “securing your card as per RBI guidelines” पर क्लिक करना होगा। एक बार हो जाने के बाद, व्यवसाय ऑपरेटिंग बैंक से किसी विशेष लेनदेन के लिए एक यूनिक टोकन दिए जाने का अनुरोध करेगा। एक बार सहमति दिए जाने के बाद, व्यवसाय कार्ड नेटवर्क (ग्राहक) को अनुरोध भेज देगा। इसके बाद खरीदार को कार्ड जारीकर्ता से उसके मोबाइल या ईमेल पर एक ओटीपी प्राप्त होगा, जिसे बैंक पेज पर भरना होगा और फिर टोकन जेनरेट होगा। वही टोकन व्यापारी को मेल किया जाएगा। लेन-देन में कुछ तकनीकी समस्याओं का सामना करने की स्थिति में वह इसे ग्राहक के फोन और ईमेल आईडी से सहेज सकता है। अभी पढ़ें Aadhaar का इस्तेमाल करते समय क्या करें और क्या न करें? इसको लेकर UIDAI ने जारी किया सर्कुलर

क्रेडिट कार्ड की सीमा

बैंकों द्वारा अंडरराइटिंग नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से क्रेडिट सीमा निर्धारित की जाती है। यह आय स्तर, क्रेडिट स्कोर समेत जैसी कई चीजों को ध्यान में रखकर तय होती है। अभी पढ़ें – बिजनेस से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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