RBI New Rules from 1 January 2026: जुलाई में जारी एक ड्राफ्ट पर इंडस्ट्री के फीडबैक के बाद, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल चैनल के जरिए बैंकिंग सर्विस देने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं. ये नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे. इनसे बैंकों के अप्रूवल प्रोसेस सख्त होंगे, कम्प्लायंस और कस्टमर प्रोटेक्शन की जरूरतें बढ़ेंगी और डिस्क्लोजर और शिकायत सुलझाने के स्टैंडर्ड मजबूत होंगे.
नए नियमों की जरूरत क्यों पड़ी?
ये नियम उन बढ़ती शिकायतों के जवाब में आए हैं जिसमें ये सामने आया है कि बैंक इंटरनेट बैंकिंग सर्विस का फायदा उठाने या कार्ड एक्टिवेट करने के लिए कस्टमर्स पर मोबाइल ऐप डाउनलोड करने का दबाव डाल रहे थे. ये नियम ऐसे समय में आए हैं जब रेगुलेटर कस्टमर एक्सपीरियंस पर ध्यान दे रहा है और सर्विस को एक साथ जोड़ने से रोकने के लिए बैंकों पर सख्ती कर रहा है.
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डिजिटल बैंकिंग चैनल क्या हैं?
डिजिटल बैंकिंग चैनल वे चैनल हैं जिनके जरिए बैंक इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर सर्विस देते हैं. इनमें पूरी तरह से ट्रांजैक्शन वाली बैंकिंग सर्विस (जैसे लोन, फंड ट्रांसफर) और सिर्फ देखने वाली सर्विस (जैसे बैलेंस चेक, स्टेटमेंट डाउनलोड) दोनों शामिल हैं.
नए नियम किस पर लागू होंगे?
इंडस्ट्री ने मांग की थी कि इन गाइडलाइंस को नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) और फिनटेक तक बढ़ाया जाए, लेकिन RBI ने इन्हें बैंकों की अलग-अलग कैटेगरी तक सीमित कर दिया है. हालांकि, अगर बैंक थर्ड पार्टी या फिनटेक को सर्विस आउटसोर्स करते हैं, तो उन्हें यह पक्का करना होगा कि वे सर्विस मौजूदा नियमों का पालन करें.
डिजिटल बैंकिंग सर्विस देने के लिए किन मंजूरियों की जरूरत होती है?
कोई भी बैंक जिसके पास कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) और इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्शन 6 (IPv6) ट्रैफिक को हैंडल करने में सक्षम पब्लिक IT इंफ्रास्ट्रक्चर हो, वह सिर्फ देखने वाली डिजिटल बैंकिंग सर्विस दे सकता है, लेकिन ट्रांजैक्शनल डिजिटल बैंकिंग शुरू करने के लिए RBI से पहले मंजूरी लेनी होगी.
बैंकों को कई और शर्तें पूरी करनी होंगी, जैसे कि मजबूत फाइनेंशियल और टेक्निकल क्षमताएं, साइबर सिक्योरिटी कम्प्लायंस का मजबूत रिकॉर्ड और मजबूत इंटरनल कंट्रोल.
बैंकों के लिए क्या नियम हैं?
इस फ्रेमवर्क के तहत, डिजिटल बैंकिंग सर्विस के रजिस्ट्रेशन या कैंसलेशन के लिए कस्टमर की साफ, डॉक्यूमेंटेड सहमति जरूरी है. एक बार कस्टमर के लॉग इन करने के बाद, बैंक तब तक थर्ड-पार्टी प्रोडक्ट या सर्विस नहीं दिखा सकते जब तक कि खास तौर पर इजाजत न दी गई हो.
बैंकों को सभी फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल ट्रांज़ैक्शन के लिए SMS या ईमेल अलर्ट भेजने होंगे. इसके अलावा, जहां RBI और पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर, दोनों के नियम लागू होते हैं, वहां ज्यादा सख्त नियम लागू होंगे.
नए नियम यूजर्स की कैसे मदद करेंगे?
कस्टमर्स को डेबिट कार्ड जैसी दूसरी सर्विस एक्सेस करने के लिए डिजिटल चैनल चुनने की जरूरत नहीं होगी. वे डिजिटल-बैंकिंग सर्विस का कोई भी कॉम्बिनेशन चुन सकते हैं, और बैंक उन्हें बंडल नहीं कर सकते.
रजिस्ट्रेशन के लिए, बैंकों को नियम और शर्तें साफ, आसान भाषा में बतानी होंगी, जिसमें फीस, हेल्प डेस्क की जानकारी और शिकायत सुलझाने के चैनल शामिल हैं. इन उपायों से डिजिटल-बैंकिंग सर्विस के यूज़र्स के लिए सिक्योरिटी और क्लैरिटी बेहतर होने की उम्मीद है.