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Credit Card के जाल में नहीं फंस सकेंगे आप, इन बातों का रखें ध्यान

Credit Card Debt Management: आजकल लगभग हर कोई क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करता है। लोग ऑनलाइन-ऑफलाइन शॉपिंग, ट्रांजेक्शन जैसी कई सुविधाओं के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं लेकिन अक्सर कर्जे में डूब जाते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि इसका यूज कैसे करना है और लालच के चक्कर में कर्जा होता रहता है। यहां जानिए क्रेडिट कार्ड के ब्याज और पेमेंट के जाल से कैसे बचा जा सकता है।

Edited By : Prerna Joshi | Updated: Feb 29, 2024 15:41
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Credit Card Debt Management Plan
Credit Card Debt Management Plan

Credit Card Debt Management: आज के जमाने में लगभग हर कोई क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करता है। इसे कई तरह से यूज किया जाता है और इससे काफी फायदे होते हैं। लोग शॉपिंग से लेकर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने पर इसे यूज करते हैं लेकिन यह कार्ड अक्सर लोगों को अपने लालच के जाल में ऐसा फंसाता है कि निकलना मुश्किल हो जाता है। यह लोगों को कर्जे में भी दाल सकता है। ऐसे में जानिए कि क्रेडिट कार्ड के ब्याज और पेमेंट के जाल में फंसने से आप कैसे बच सकते हैं।

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कैसे काम करता है क्रेडिट कार्ड?

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल लोग ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन शॉपिंग और बिल पेमेंट के लिए तब तक कर सकते हैं जब तक टोटल पेमेंट आपकी क्रेडिट लिमिट के अंदर हो। क्रेडिट कार्ड देने वाले बैंक 20 से 50 दिनों तक का इंटरेस्ट-फ्री पीरियड देते हैं। यह पीरियड/टाइम आमतौर पर खरीदारी की डेट से शुरू होकर अगली पेमेंट देय डेट (Due Date) पर खत्म होती है।

क्रेडिट कार्ड के जाल से कैसे बचा जा सकता है?

ज्यादातर मामलों में क्रेडिट कार्ड इशू करने वाले डेली बेसिस पर कस्टमर का इंटरेस्ट कैलकुलेट करते हैं जिससे कंपाउंडिंग बढ़ती है। ज्यादातर यह सलाह दी जाती है कि किसी की हर महीने की पैसे भरने की कैपेसिटी को ध्यान से समझें और फिर पक्का करें कि बचा हुआ बिल इससे ज्यादा न हो। इसके अलावा यह सलाह दी जाती है कि अनावश्यक शुल्कों (Unnecessary Charges) से बचने के लिए देय डेट का ध्यान रखें।

क्रेडिट कार्ड ड्यूज़ पर इंटरेस्ट रेट कब चार्ज किया जाता है?

अगर कोई व्यक्ति जिसके पास क्रेडिट कार्ड है और वह देय डेट तक पूरा बकाया बिल नहीं भर पाता तो उस बकाया बिल के पैसों पर ब्याज और पेनल्टी लग जाती है।

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आपको बता दें कि ईएमआई समेत सभी नए लेनदेन/ट्रांजेक्शन पर पिछले पूरे बकाया बिल की पेमेंट तक ब्याज लगता है जिसे फाइनेंस चार्जेज के नाम से जाना जाता है। ऐसा ही बची हुई ईएमआई के साथ भी होता है। अगर कस्टमर बिल पेमेंट करने में नाकाम रहता है या देय डेट (Due Date) से पहले मिनिमम बैलेंस भी नहीं भरता तो उससे ट्रांजेक्शन डेट से पूरे बचे बिल पर ब्याज लिया जाता है। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ATM मशीन से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर कैश निकालने पर भी फाइनेंस चार्जेज लगते हैं। हालांकि, अलग-अलग तरह के क्रेडिट कार्ड पर इंटरेस्ट रेट भी अलग-अलग होता है।

क्रेडिट स्कोर पर कैसे पड़ता है असर?

हर महीने भरे जाने वाले बिल में बताई गई मिनिमम अमाउंट भरने में नाकाम होना क्रेडिट स्कोर पर भी असर डालता है। दरअसल, ऐसा होने पर क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव (नेगेटिव इम्पैक्ट) पड़ता है।

First published on: Feb 29, 2024 03:41 PM

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