कौन हैं रोहिणी नीलेकणि, जिन्होंने दूसरों के लिए एक साल में दान कर दिए 170 करोड़ रुपये
नई दिल्ली: दुनिया में एक से बढ़कर एक अमीर लोग हैं, जो दूसरों की भलाई के लिए हमेशा आगे रहते हैं। हाल ही में रोहिणी निलेकणी का नाम खासा चर्चा में है, जिन्होंने इस साल परोपकार की भावना का जिंदा रखने के लिए इस एक साल में 170 करोड़ रुपए दान कर दिए। इतना ही नहीं, इन 170 करोड़ में 163 करोड़ से ज्यादा की धनराशि उन्होंने अपने शेयर बेचकर जुटाई है। इसी के साथ इस वक्त हुरुन की इस साल की टॉप परोपकारियों की लिस्ट में जगह बनाने वाली इकलौती ऐसी महिला हैं। रोहिणी ने कहा है, 'बीते कई साल से मैं शिक्षा, जल, पर्यावरण और प्रशासन सहित कई क्षेत्रों में परोपकार कार्य करती रही हूं। शेयरों की ब्रिकी आदि से मिलने वाले धन का इस्तेमाल इसी मद में किया जाएगा'। लोग रोहिणी निलेकणी के कारोबार, परिवार और शौक आदि के बारे में बातें कर रहे हैं।
अर्घ्यम फाउंडेशन की संस्थापक और फिलैंथ्रोपीज की चेयरपर्सन हैं रोहिणी नीलेकणी
दरअसल, 1960 में एक मध्यम वर्गीय परिवार (पिता इंजीनियर और मां एक गृहिणी) में जन्मी रोहिणी नीलेकणी अर्घ्यम फाउंडेशन की संस्थापक और फिलैंथ्रोपीज की चेयरपर्सन हैं। इसके अलावा एक नामी लेखिका और समाजसेविका के रूप में भी पहचान रखती हैं। आईटी कंपनी 'इंफोसिस' के संस्थापक नंदन निलेकणी की पत्नी रोहिणी ने एल्फिंस्टन कॉलेज से फ्रेंच साहित्य में डिग्री हासिल की और 1980 में बॉम्बे मैगज़ीन में एक रिपोर्टर के रूप में काम किया और फिर बैंगलोर में संडे मैगज़ीन के लिए काम किया। 1977 में रोहिणी और नंदन नीलेकणि की मुलाकात हुई एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में हुई थी। 1981 में नंदन नीलेकणि छह अन्य सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के साथ इंफोसिस की स्थापना की तो उसके तुरंत बाद रोहिणी और नंदन नीलेकणि ने शादी कर ली। नीलेकणि दंपति की जान्हवी और निहार नामक दो संतानें है। नीलेकणि ने गैर-लाभकारी शैक्षणिक मंच एकस्टेप और प्रथम बुक्स की सह-स्थापना भी की है, जो बच्चों के लिए किताबें प्रकाशित करती है।
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रोहिणी ने कहा था, 'यह नागरिक समाज को बढ़ावा देने का समय'
पर्यावरण, जल संरक्षण, शिक्षा और प्रशासन आदि समेत कई क्षेत्रों में सेवारत रोहिणी निलेकणी और इनके पति नंदन नीलेकणी ने गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए हैं, जो बिल गेट्स और वॉरेन बफेट द्वारा स्थापित एक धर्मार्थ अभियान है, ताकि धनी लोगों को अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा परोपकारी कार्यों में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। रोहिणी निलेकणी नीलेकणि चाहती हैं कि भारत में और अधिक अमीर लोग गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर करें, यह तर्क देते हुए कि सितंबर 2022 में रोहिणी ने कहा था कि नागरिक समाज को बढ़ावा देने का समय आ गया है, उन्होंने कहा कि भारत के धन सृजनकर्ताओं को इस बारे में और अधिक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन मुद्दों से निपटने में सहानुभूति की भूमिका भी महत्वपूर्ण है जो वर्तमान में लोगों को उनके विशेषाधिकार के कारण प्रभावित नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, यह देखना एक नैतिक और रणनीतिक अनिवार्यता है कि हम सभी कितने जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा था, 'भारत में सबसे अमीर 2 हजार लोगों के पास जिस तरह की संपत्ति है, उससे परिवार सात या आठ पीढ़ियों तक आराम से चल सकता है। इसलिए वास्तव में कोई असुरक्षा या डर नहीं रहना चाहिए, और मैं चाहती हूं कि और लोग प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करें'।
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16-19 जुलाई के बीच 5.77 लाख शेयर बेचकर जुटाए 163.52करोड़
30 जून 2013 तक रोहिणी नीलेकणी के पास इंफोसिस में 80,78,174 शेयर थे, जो कंपनी के कुल टर्न ओवर का 1.41 प्रतिशत बनता है। अब रोहिणी की हिस्सेदारी 75,01,174 शेयर रह गई है। जहां तक कारण की बात है, उन्होंने अपनी परोपकारी भावना के लिए इन शेयर्स को बेच दिया। कंपनी की तरफ से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को जानकारी दी गई है कि रोहिणी निलेकणी ने 16-19 जुलाई के बीच अपने हिस्से के 5.77 लाख शेयर बेचकर परोपकार कार्य के लिए लगभग 163,51,83,925 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इस ब्रिकी के बाद कंपनी में रोहिणी की हिस्सेदारी घटकर 1.31 प्रतिशत रह गई है। इसी के साथ रोहिणी नीलेकणी एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने इस साल हुरुन की शीर्ष परोपकारियों की सूची के टॉप-10 में जगह बनाई है। हालांकि 189 करोड़ रुपए के दान के साथ उनके पति नंदन नीलेकणी भी इस सूची में 8वें नंबर है।
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