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आपकी जेब से गुपचुप कैसे पैसा निकालते हैं बैंक, सांसद ने बताई पूरी कहानी, क्या आपको है खबर?

बैंकों द्वारा गुपचुप तरीके से लगाए जाने वाले शुल्क का मुद्दा संसद में उठा। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने बताया कि किस तरह बैंक ग्राहकों की जेब काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंक में मामूली से काम के लिए भी शुल्क लिया जाता है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 28, 2025 12:01
New Banking Rules Effective from April 1

बैंक अपने खाताधारकों से कई तरह के शुल्क लेते हैं। कुछ शुल्क तो ऐसे होते हैं, जिनके बारे में ग्राहकों को खास जानकारी ही नहीं होती। उसे तब पता चलता है कि जब खाते से पैसा कट जाता है। कई बार ग्राहक शुल्क को मामूली समझकर नजरंदाज भी कर देते हैं, लेकिन प्रत्येक ग्राहक से वसूला गया ये मामूली शुल्क बैंकों की बड़ी कमाई का जरिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया।

बैंकों की भर रही जेब

राघव चड्ढा ने बताया कि बैंक किस तरह से ग्राहकों की जेब काटते हैं। उन्होंने कहा कि बैंक अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न होने पर 100 से 600 रुपये प्रति माह काट लिया जाता है। इस चार्ज के अमल में आने के बाद से बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 3500 करोड़ रुपये लोगों की जेब से वसूले हैं।

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कुछ भी नहीं है फ्री

सांसद चड्ढा ने एटीएम चार्ज का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नाममात्र एटीएम ट्रांजेक्शन ही फ्री होते हैं। इसके बाद हर ट्रांजेक्शन पर 20 रुपये का शुल्क बैंक वसूलते हैं।यहां गौर करने वाली बात यह है कि 1 मई से ATM से पैसा निकालना और महंगा होने वाला है। मौजूदा व्यवस्था के तहत मेट्रो शहरों में ग्राहकों को फ्री 5 ट्रांजेक्शन की अनुमति है, जबकि नॉन-मेट्रो शहरों में यह संख्या 3 है। फ्री ट्रांजेक्शन की संख्या पार होने पर ग्राहकों को अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता है।

SMS पर भी है चार्ज

उन्होंने बैंकों द्वारा ली जाने वाली इनएक्टिविटी फीस का मुद्दा भी उठाया। राघव चड्ढा ने कहा कि यदि कोई ग्राहक अपना खाता ज्यादा इस्तेमाल नहीं करता। उसका बैंक खाता निष्क्रिय है, तो उससे भी सालाना 100 से 200 रुपये वसूले जाते हैं। इसके अलावा, बैंक स्टेटमेंट जारी करने के लिए भी 50-100 रुपये का चार्ज लगाते हैं। SMS चार्ज के नाम पर हर तिमाही 20 से 25 रुपये शुल्क लिया जाता है। इसके अलावा, ऑनलाइन पेमेंट के लिए ट्रांजेक्शन फीस लगती है।

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इन पर भी लगती है फीस

बात केवल इतनी ही नहीं है, साधारण से काम जैसे कि नॉमिनी का विवरण, हस्ताक्षर आदि में बदलाव पर भी बैंकों को फीस का भुगतान करना पड़ा है। बैंक इसके लिए 200 रुपये तक चार्ज करते हैं। इसी तरह डिमांड ड्राफ्ट और पे ऑर्डर के लिए भी 100 से 200 रुपये लगते हैं। आप लीडर ने लोन का मुद्दा भी उठाया। सांसद ने कहा कि लोन प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 1 से तीन प्रतिशत शुल्क बैंक लगाते हैं। इतना ही नहीं समय से पहले लोन भुगतान पर भी प्री-पेमेंट पनेल्टी लगाई जाती है।

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Neeraj

First published on: Mar 28, 2025 12:01 PM

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