Bharat Ek Soch: भारत के हर हिस्से में भगवान सूर्य को समर्पित छठ पर्व जारी है। रविवार की शाम डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा और सोमवार की सुबह उगते सूरज को। संभवत: छठ एक ऐसा महापर्व है- जो इंसान को याद दिलाता है कि वो प्रकृति का ही अंग है…किसी भी जीव का वजूद बिना प्रकृति के संभव नहीं है। क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय संस्कृति में सूर्य को देवता क्यों माना जाता है? सुबह-शाम उनकी पूजा क्यों होती है … आयुर्वेद के बड़े-बड़े डॉक्टरों ने सूर्य की रोशनी में बीमारियों का इलाज क्यों देखा है? अगर सूर्य न हों तो क्या होगा? क्या बिना सूर्य के धरती पर जीवन संभव है? मौजूदा समय की बड़ी-बड़ी समस्याओं से निपटने का रास्ता किस तरह सूर्य शक्ति से निकल सकता है? सूर्य शक्ति किस तरह किसी मुल्क की स्वतंत्रता और सुरक्षा दोनों की गारंटी है? क्या सोलर एनर्जी पेट्रोल-डीजल का विकल्प बन सकती है? सूरज से निकलती शक्ति का भारत अभी कितना इस्तेमाल कर पा रहा है और कितनी गुंजाइश बची है? आज ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे- अपने खास कार्यक्रम सूरज का ‘शक्ति शास्त्र’ में।
दुनिया में सभी चर-अचर की आत्मा सूरज ही है
सूरज की शक्ति और सृष्टि के संचालन में भूमिका को हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले ही समझ लिया था। ऋग्वेद में लिखा गया है- आप्रा द्यावापृथिवी अंतरिक्षः सूर्य आत्मा जगतस्थश्च। मतलब दुनिया में सभी चर-अचर की आत्मा सूरज ही है। पृथ्वी पर दिन-रात, मौसम में बदलाव, बारिश, सूखा, हरियाली, जीवन सबका आधार सूर्य हैं। इस दिव्य और अलौकिक शक्ति को हर इंसान खुली आंखों से देखता है। लेकिन, वैज्ञानिकों के लिए आज भी सूर्य सबसे बड़ा रहस्य हैं। भले ही वैज्ञानिक और खगोलशास्त्री सूरज को रहस्यों को डीकोड करने में पूरी ताकत के साथ जुटे हैं…लेकिन, भारत ही नहीं पूरी दुनिया ने सूर्य की शक्ति को हमेशा पहचाना और नमन किया है । सूर्य में अपना कल्याण देखा है। ऐसे में सबसे पहले ये समझते हैं कि भारतीय परंपरा में सूर्य किस तरह से सभी समस्याओं का समाधान करते रहे हैं। कभी देवता के रूप में कभी असीमित ऊर्जा के स्वामी के रूप में…कभी डॉक्टर के रूप में।
महाभारत में कर्ण को सूर्य का पुत्र बताया गया
ऋग्वेद में तो सूर्यग्रहण का भी जिक्र है। त्रेतायुग के श्रीराम सूर्यवंशी बताए गए। महाभारत में कर्ण को सूर्य का पुत्र बताया गया। महाभारत में युद्ध के दौरान एक ऐसे सूर्यग्रहण का जिक्र है…जब दिन में ही रात हो गई । आज की तारीख में प्रदूषण की वजह से महानगरों में ऐसी स्थिति पैदा होने लगी है – जब धुंध की वजह सूरज दिखाई नहीं देते। दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण की वजह से नवंबर-दिसंबर महीने में लोगों की सांसों पर संकट मंडराने लगता है…दम फूलने लगता है। साफ हवा के लिए लोग तरसने लगते हैं…लोगों की उम्र भी जहरीली हवा की वजह से लगातार कम हो रही है। अब सवाल उठता है कि क्या इस स्थिति को सूर्य शक्ति के उपयोग से बदला जा सकता है? अभी Energy का सबसे बड़ा Source पेट्रोल-डीजल, प्राकृतिक गैस और कोयला है। जिससे प्रदूषण फैसला है… लेकिन, सूर्य से मिलने वाली Energy को Clean energy माना जाता है… Solar Power से जो बिजली तैयार की जाती है…उससे प्रदूषण नहीं फैलता है। अब सवाल ये है कि क्या महानगरों के प्रदूषण का बहुत हद तक इलाज सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में छिपा है।
भारत में अभी 70 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है। इसमें टॉप पर राजस्थान है, जिसकी हिस्सेदारी 17,839 मेगावाट है…दूसरे नंबर पर गुजरात है, जो 10, 133 मेगावाट Solar Power Generate करता है। तीसरे नंबर 9,050 मेगावाट उत्पादन के साथ कर्नाटक है। उसके बाद नंबर आता है- मध्य प्रदेश का। गुजरात में एक गांव है मोढेरा। मेहसाणा जिले में आता है- ये भारत का सौर ऊर्जा संचालित गांव है। वहां के लोगों के घर रौशन होते हैं- तो सोलर पावर से…टीवी-पंखा, गीजर चलता है तो सोलर पावर से। सूर्य की रौशनी से पैदा बिजली प्रकृति की सेहत के लिए भी फायदेमंद है और लोगों की जेब के लिहाज से भी। लेकिन, वो दिन कब आएगा जब भारत में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सूरज की रोशनी बनेगी? देश की ऊर्जा जरूरतों यानी पेट्रोल-डीजल के लिए दुनिया के दूसरे देशों की ओर नहीं देखने की जरूरत महसूस नहीं होगी। सूरज की शक्ति से ही हर घर रौशन होगा…फैक्ट्रियों में मशीनें चलेगी और सड़कों पर गाड़ियां दौड़ेंगी। मतलब, देश ऊर्जा जरूरतों के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर रहेगा।
टॉप पर राजस्थान
भारत में अभी 70 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है। इसमें टॉप पर राजस्थान है… जिसकी हिस्सेदारी 17,839 मेगावाट है…दूसरे नंबर पर गुजरात है, जो 10, 133 मेगावाट Solar Power Generate करता है। तीसरे नंबर पर 9,050 मेगावाट उत्पादन के साथ कर्नाटक है। उसके बाद नंबर आता है – मध्य प्रदेश का। गुजरात में एक गांव है मोढेरा, मेहसाणा जिले में आता है- ये भारत का सौर ऊर्जा संचालित गांव है। वहां के लोगों के घर रौशन होते हैं- तो सोलर पावर से…टीवी-पंखा, गीजर चलता है तो सोलर पावर से।
सूर्य की रौशनी से पैदा बिजली प्रकृति की सेहत के लिए भी फायदेमंद है और लोगों की जेब के लिहाज से भी। लेकिन, वो दिन कब आएगा जब भारत में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सूरज की रौशनी बनेगी? देश की ऊर्जा जरूरतों यानी पेट्रोल-डीजल के लिए दुनिया के दूसरे देशों की ओर नहीं देखने की जरूरत महसूस नहीं होगी। सूरज की शक्ति से ही हर घर रौशन होगा…फैक्ट्रियों में मशीनें चलेगी और सड़कों पर गाड़ियां दौड़ेंगी। मतलब, देश ऊर्जा जरूरतों के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर रहेगा।
विस्तार की राह में कुछ स्पीड ब्रेकर
पूरी दुनिया ये तो महसूस कर रही है कि सोलर एनर्जी का जितना ज्यादा इस्तेमाल होगा…प्रकृति और जेब दोनों की सेहत के लिए फायदे का सौदा होगा। लेकिन, सोलर एनर्जी के विस्तार की राह में कुछ स्पीड ब्रेकर भी महसूस किए जा रहे हैं – मसलन, पावर ग्रिड की उपलब्धता, विकासशील देशों में सोलर फाइनेंसिंग, जिस मौसम में सूरज कम चमकता है – उस दौरान वैकल्पिक ऊर्जा का इंतजाम। भारत के साथ सबसे अच्छी बात ये है कि यह पूरे साल सौर ऊर्जा हासिल करता है…जो करीब तीन हजार घंटे धूप के बराबर है। ऐसे में भारत न सिर्फ सूर्य देव से अपनी जरूरत भर ऊर्जा तैयार करने की क्षमता रखता है… बल्कि, पड़ोसी देशों की ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करने में दमदार भूमिका निभा सकता है। ऐसे में अगर देश के शहरी क्षेत्र के लोगों के फेफड़ों को काला होने से बचाना है … लोगों के लिए साफ हवा का इंतजाम करना है तो बिना एक पल की देरी किए सौर ऊर्जा अपनाने की ओर तेजी से कदम बढ़ाना होगा।