Motor Insurance Claims India: भारत में सड़कों पर सबसे ज्यादा दिखने वाली कॉम्पैक्ट कारें और SUV अब बीमा कंपनियों के लिए भी सबसे बड़ा सिरदर्द बनती जा रही हैं. ANI के अनुसार PolicyBazaar की नई रिपोर्ट बताती है कि देश में होने वाले लगभग तीन-चौथाई मोटर इंश्योरेंस क्लेम इन्हीं दो कैटेगरी की गाड़ियों से आते हैं. यह रिपोर्ट न सिर्फ गाड़ी के मालिकों के लिए अहम है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कौन-सी गाड़ियां ज्यादा एक्सिडेंट-प्रोन हैं और किनकी मरम्मत जेब पर भारी पड़ती है.
कॉम्पैक्ट कार सबसे आगे
रिपोर्ट के मुताबिक, बीमा क्लेम के मामले में कॉम्पैक्ट कार सबसे आगे हैं. कुल क्लेम में इनकी हिस्सेदारी 44 परसेंट है. इसकी सबसे बड़ी वजह है शहरों में ज्यादा ड्राइविंग, ट्रैफिक और छोटी टक्करों की संख्या. इन कारों की मरम्मत की एवरेज लागत करीब 21,084 रुपये प्रति क्लेम है, जो आम कार मालिक के बजट पर सीधा असर डालती है.
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SUV पर कम क्लेम, खर्च ज्यादा
SUV क्लेम के मामले में दूसरे नंबर पर हैं. इनकी हिस्सेदारी 32 फीसदी है, लेकिन इनकी मरम्मत का खर्च ज्यादा होता है. एक SUV के क्लेम पर एवरेज 29,032 रुपये तक खर्च आता है. रिपोर्ट बताती है कि SUV की बॉडी बड़ी होती है और इनके पार्ट्स भी महंगे होते हैं, इसलिए छोटी सी टक्कर भी भारी बिल में बदल जाती है.
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EV की हिस्सेदारी कम, नुकसान ज्यादा
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या अभी कम है और कुल क्लेम में इनकी हिस्सेदारी सिर्फ 1 प्रतिशत है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि क्लेम की फ्रीक्वेंसी सबसे ज्यादा इन्हीं की है, करीब 29 प्रतिशत. EV की ऐवरेच मरम्मत कोस्ट 39,021 रुपये प्रति क्लेम बताई गई है, जो सभी कैटेगरी में सबसे ज्यादा है. बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स महंगे होने के कारण इनकी मरम्मत बहुत खर्चीली साबित होती है.
कौन-से शहर सबसे आगे
शहरों की बात करें तो लखनऊ में सबसे ज्यादा क्लेम दर्ज किए गए हैं, जहां क्लेम फ्रीक्वेंसी 17 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि यहां सड़क हादसे ज्यादा होते हैं या गाड़ियां बार-बार नुकसान का शिकार होती हैं. NCR क्षेत्र मरम्मत खर्च के मामले में सबसे ऊपर है. नोएडा में प्रति क्लेम एवरेज खर्च 25,157 रुपये है, जबकि गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी यह 22,000 रुपये से ऊपर पहुंच चुका है.
जहां खर्च ज्यादा, वहां हादसे कम
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पुणे में क्लेम की संख्या तो ज्यादा नहीं है, लेकिन मरम्मत का बिल भारी पड़ता है. इसके उलट, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में हादसों की संख्या कम है. चेन्नई में क्लेम फ्रीक्वेंसी सिर्फ 1.80 प्रतिशत और मुंबई में 1.50 प्रतिशत है, यानी यहां ड्राइविंग अपेक्षाकृत सेफ मानी जा सकती है.
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क्लेम का सबसे बड़ा कारण
बीमा क्लेम में सबसे ज्यादा हिस्सा खुद गाड़ी के नुकसान का होता है, जिसे ‘ओन डैमेज’ कहा जाता है. यह कुल भुगतान का 95 परसेंट है. छोटे एक्सिडेंट, हल्की टक्कर और बंपर रिपेयर जैसे मामले इसमें शामिल होते हैं. हालांकि चोरी, गंभीर चोट और मौत जैसे मामलों में क्लेम कम होते हैं, लेकिन इन पर खर्च बहुत ज्यादा आता है.
पेट्रोल गाड़ियां और NCB
रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल गाड़ियों की हिस्सेदारी क्लेम में 68 प्रतिशत है. वहीं, 86 प्रतिशत लोग तभी क्लेम करते हैं जब बहुत जरूरी हो. इसकी वजह है No Claim Bonus, जिसे बचाने के लिए लोग छोटे नुकसान खुद ही भरना बेहतर समझते हैं.
उत्तर भारत सबसे आगे
क्षेत्रीय तौर पर देखें तो उत्तर भारत में सबसे ज्यादा क्लेम दर्ज किए जाते हैं. इसके बाद दक्षिण भारत 31 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है. यह रिपोर्ट साफ करती है कि गाड़ी खरीदते समय सिर्फ कीमत नहीं, बीमा खर्च और मरम्मत जोखिम भी जरूर सोचने चाहिए.