BS7 Emission Norms: इस समय देश में मौजूदा सभी नई गाड़ियां BS6 बेस्ड हैं, और यह इसलिए लागू किया गया है ताकि प्रदूषण पर काफी हद तक रोक लगाई जा सके। लेकिन अब सरकार आगे की सोच रही है और आने वाले समय में वाहनों में BS7 नॉर्म्स लागू होगा, फिलहाल इस पर तेजी से काम चल रहा है। अब सवाल ये आता है कि BS7 आने से वाहनों पर क्या फर्क और प्रदूषण पर कितनी रोक लगेगी? और अब क्यों जरूरी है BS7 वाहनों के लिए? आइये जानते इस रिपोर्ट में ..
डीजल गाड़ियों पर क्या फर्क पड़ेगा ?
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BS7 नॉर्म्स के आने से कॉमर्शियल वाहनों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि मर्शियल वाहन BS7 के दायरे में नहीं आते। बस, ट्रैक्टर, ट्रक और निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने भारी वाहनों को फिलहाल इस नियम से दूर रखा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक डीजल वाहनों का प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद नहीं होगा। महिंद्रा और टाटा जैसी कंपनियां अपने डीजल वाहनों का एक्सपोर्ट करती हैं। फिलहाल देश में डीजल गाड़ियों का मुकाबला अभी EV या पेट्रोल से नहीं हो सकता।
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भारत में एथेनॉल को बढ़ावा देने पर जोर
इस समय देश में सरकार एथेनॉल फ्यूल को बढ़ावा दे रही है। जानकारी के लिए बता दें कि विदेशों में कई कंपनियां हाइब्रिड डीजल, बायो-डीजल (20% मिश्रण) और सिंथेटिक फ्यूल्स पर तेजी से काम कर रही हैं। ताकि डीजल को क्लीन बनाया जा सके। सरकार की तरफ से भी तक कोई ऐसा आधिकारिक बयान नहीं आया है जिसमें डीजल बैन की बात कही हो।
इतना जरूर है कि सरकार डीजल वाहनों की संख्या कम करके EVs पर ज्यादा फोकस कर रही है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में भारी वाहनों, और एक्सपोर्ट में डीजल की मौजूदगी बनी रहेगी। वैसे आज भी देश के कई इलाकों में बिजली की सप्लाई भी नहीं है। ऐसे में पूरी तरह से EV पर जोर नहीं दी जा सकता, इसलिए डीजल वाहनों को भी पूरी तरह से बंद नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं सरकार की तरह से कृषि और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में डीजल पर टैक्स और सब्सिडी अभी भी जारी है।
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