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Durga Ashtami Upay: मेष से लेकर मीन राशि वाले अष्टमी पर करें ये खास उपाय, जमकर होगी धन की बरसात

Durga Ashtami Upay: नवरात्रि के अष्टमी पर मां दुर्गा के श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। तो आइए श्री दुर्गा चालीसा का पाठ के बारे में जानते हैं।

Durga Chalisa Paath
Shardiya Navratri Durga Ashtami Upay: सनानत धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष का बहुत ही अधिक महत्व होता है। आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज शारदीय नवरात्रि के सातवां दिन हैं। आज मां कालरात्रि की पूजा होती है। मान्यता है कि जो जातक मां दुर्गा के लिए 9 दिनों का व्रत रखता है, उसकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति भी मिलती है। लेकिन इसके लिए कुछ उपाय करना होता है। तो आइए इच्छापुर्ति करने वाले उपायों के बारे में जानते हैं। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि जो जातक नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन श्री दुर्गा अष्टमी का पाठ करता है, उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। तो आइए श्री दुर्गा चालीसा का पाठ के बारे में जानते हैं। यह भी पढ़ें- जल्द ही बदलेगी शनि देव की चाल, धनतेरस पर होगी छपर फाड़ धन की कमाई

दुर्गा चालीसा का पाठ

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥ यह भी पढ़ें- रावण दहन की राख से कर लें बस 1 काम, कभी खाली नहीं होगी तिजोरी सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥ शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तन बीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥ आभा पुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ यह भी पढ़ें- हिंदू धर्म में क्यों है इतना रावण संहिता मंत्र का महत्व, धनवान बनने के थे कई गुप्त रहस्य शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥ शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।। जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥ देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ ॥इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण॥ यह भी पढ़ें- नवरात्रि में करें महिषासुर मर्दनी स्तोत्र का पाठ, मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद (Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। न्यूज 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)


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