Shani Sadesati Dhaiya: नया साल 2026 बदल जरूर जाएगा, लेकिन कई राशियों के लिए चुनौतियों का साथ बना रहेगा. कारण है, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या. ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता कहा गया है, जो कर्मों के आधार पर फल देते हैं. शनि की ढाई और साढ़े सात वर्ष की अवधि जीवन में धैर्य, परीक्षा और सीख का समय मानी जाती है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि 2026 में किन राशियों को शनि की विशेष परीक्षा से गुजरना होगा और इससे कैसे निपटा जाए?
2026 में नहीं है कोई शनि गोचर
ज्योतिषीय गणना के अनुसार शनि ग्रह ने मार्च 2025 में मीन राशि में प्रवेश किया था और जून 2027 तक वे वहीं रहेंगे. यानी, 2026 में शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं होगा. यही कारण है कि जिन राशियों पर फिलहाल साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उन पर इसका प्रभाव पूरे साल बना रहेगा.
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2026 में साढ़ेसाती से प्रभावित रहेंगी ये राशियां?
कुंभ राशि: कुंभ जातक अपने साढ़ेसाती के अंतिम चरण में पहुंच चुके हैं. यह समय समापन और समाधान का होता है. प्रयास करेंगे तो सफलता मिलेगी, पर मानसिक दबाव बढ़ सकता है. छोटे कामों में भी अधिक धैर्य चाहिए होगा.
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मीन राशि: मीन राशि पर साढ़ेसाती का मध्य यानी दूसरा चरण चल रहा है, जिसे सबसे चुनौतीपूर्ण कहा जाता है. स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है. आर्थिक उतार-चढ़ाव भी परेशान कर सकते हैं. फिर भी यह समय आत्मज्ञान और आत्मविश्वास बढ़ाने का अवसर देता है.
मेष राशि: मेष जातकों के लिए साढ़ेसाती का पहला चरण यानी शुरुआत है. मन अस्थिर हो सकता है और पारिवारिक माहौल प्रभावित हो सकता है. इस समय जल्दबाज़ी से बचना और संयम रखना बेहद जरूरी है. सही योजना आपको आगे बढ़ाएगी.
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इन राशियों पर रहेगा ढैय्या का असर
सिंह राशि: सिंह जातकों पर भी ढैय्या जारी रहेगी, हो 2027 में शनि के राशि परिवर्तन के बाद समाप्त होगा. खर्चों में बढ़ोतरी, यात्राओं की अधिकता और थकावट इस अवधि की खास पहचान है. स्वास्थ्य और व्यवहार में सावधानी जरूरी है. अपने निर्णयों में स्थिरता बनाए रखें.
धनु राशि: धनु राशि वालों के लिए 2026 उतार-चढ़ाव भरा रहेगा. इस राशि के लिए यह ढैय्या का दूसरा साल है. शनि चतुर्थ भाव से गुजरते हुए संपत्ति, जमीन या परिवार से जुड़े मामलों में रुकावटें ला सकते हैं. लेकिन यह समय धैर्य और सीख देकर आगे बढ़ाता है.
2026 में शनि को ऐसे करें शांत
शनिवार को विशेष पूजा: शनिवार के दिन शनि देव और हनुमान जी की पूजा करें. इससे मन को स्थिरता और कार्यों में गति मिलने लगती है.
पीपल की परिक्रमा: सुबह पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं. सरसों तेल का दीप जलाकर परिक्रमा करें. यह उपाय शनि के कठोर प्रभाव को नरम बनाता है.
दान से मिलेगी राहत: शनिवार को काला तिल, उड़द दाल, काला छाता, जूते-चप्पल और सरसों तेल का दान शुभ माना गया है. यह कर्म शनि की बाधाओं को कम करता है.
इनका करें नियमित पाठ: शनि चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक शांति देता है. नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।