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प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर में होगी ‘पंचगव्य पूजा’, जानें इसके बारे में

Panchgavya Importance In Puja: अयोध्या राम मंदिर में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले आज पंचगव्य पूजन किया जाएगा। जानिए पूजा-पाठ में पंचगव्य का धार्मिक महत्व।

पंचगव्य।
Ayodhya Ram Temple Panchgavya Importance Hindi: अयोध्या राम मंदिर में चार दिन बाद यानी 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस कड़ी में 17 जनवरी, बुधवार को जल यात्रा का आयोजन किया गया। इसके बाद आज यानी 18 जनवरी को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर गणेश अंबिका, वास्तु पूजा, पंचगव्य पूजा सहित अन्य पूजन किए जाएंगे। इसके अलावा शाम में पूजा-आरती की जाएगी। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि पचंगव्य क्या होता है, इसका पूजा में क्या महत्व है और पंचगव्य कैसे बनाया जाता है।

पंचगव्य क्या है?

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार पंचगव्य, गाय के दूध, दही, मूत्र, घी और गोबर से मिलाकर बनाया जाता है। पूजा में पंचगव्य का खास तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। पंचगव्य के बिना प्रमुख अनुष्ठान (पूजा-पाठ) पूरे नहीं होते हैं।

पंचगव्य का पूजा में महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूजा-पाठ में पंचगव्य का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसके बारे में मान्यता यह है कि गाय में सभी देवी-देवता निवास करते हैं। यही वजह है कि गाय से मिलने वाली पांच चीजें (पंचगव्य) पवित्र होती हैं। जिस प्रकार गाय का दूध पवित्र होता है ठीक उसी तरह अन्य चार चीजें भी पवित्र मानी गई हैं।

दूध

गाय के दूध को पवित्र मानकर पंचामृत बनाया जाता है। गाय का दूध नवजात शिशु (बच्चे) से लिए भी फायदेमंद बताया गया है। शिवजी को गाय का दूध चढ़ाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, ऐसी मान्यता है। गाय के दूध से बनी मिठाइयां भगवान को चढ़ाई जाती हैं। यह भी पढ़ें: यूपी के 700 गावों में क्यों नहीं होती चने की खेती? माता सीता ने दिया था यह श्राप!

गोबर

पूजा-पाठ में गाय के गोबर का खास महत्व है। मान्यता है कि पूजा-पाठ में इसका इस्तेमाल करने से पवित्रता आती है। इसके अलावा पहले पूजे जाने वाले गणेश जी की मूर्ति भी गोबर से बनाई जाती है।

घी

गाय के घी का पूजा-पाठ और हवन में खास महत्व है। पूजा-पाठ के दौरान दीप जलाने में गाय के घी का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि गाय के घी का दीपक जलाने से सेहत अच्छी रहती है। साथ ही देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

दही

गाय के दूध से बनी दही का खास धार्मिक महत्व है। भोलेनाथ का अभिषेक करने के दौरान शिवलिंग पर दही चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है।

गोमूत्र

गोमूत्र को पूजा पाठ में शुद्धता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गोमूत्र को गंगाजल के समान पवित्र माना गया है। मान्यता है कि गोमूत्र का छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। इसके अलावा पूजा-पाठ के दौरान गोमूत्र का छिड़काव करने से मन में शुद्धता का भाव आता है। यह भी पढ़ें: यहां पत्नी के साथ मौजूद हैं ‘लक्ष्मण’, 300 साल पुराना है यह मंदिर डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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