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Kundali Dosh: कुंडली के 5 खतरनाक दोष जो बदल देते हैं जीवन की दिशा, आती हैं बड़ी मुसीबतें

Kundali Dosh: कुंडली के कुछ विशेष दोष जीवन की दिशा बदल देते हैं. ये दोष तरक्की रोककर संघर्ष, तनाव और अचानक आने वाली बाधा का कारण बन जाते हैं. लेकिन आखिर वे कौन से 5 खतरनाक दोष हैं जो भाग्य को गहराई से प्रभावित करते हैं और क्यों इन्हे सबसे असरदार माना जाता है?

Kundali Dosh: ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है. शुभ ग्रह सुख और तरक्की देते हैं, जबकि कुछ विशेष स्थितियां दोष उत्पन्न कर देती हैं. ये दोष कई बार जीवन में रुकावट, संघर्ष और मानसिक दबाव का कारण भी बन जाते हैं. आइए जानते हैं कि कुंडली के वे कौन से 5 प्रमुख दोष हैं जो व्यक्ति के भाग्य और जीवन की गति को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं?

कालसर्प दोष

कालसर्प दोष तब बनता माना जाता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं. इसे ज्योतिष में सबसे चुनौतीपूर्ण दोष माना गया है. इस दोष वाले लोगों को अक्सर ऐसा महसूस होता है कि मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पा रहा है. काम बिगड़ना, अचानक बाधा आना, मन में बेचैनी रहना जैसी स्थितियां भी समय-समय पर सामने आती हैं. हालांकि कई बार यह दोष व्यक्ति को अत्यंत परिश्रमी और जुझारू भी बनाता है, जिससे वह कठिन हालात में भी डटा रहता है.

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मांगलिक दोष

मंगल दोष या मंगलीक दोष तब माना जाता है जब मंगल ग्रह लग्न, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो. इस दोष को विवाह योग के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता है. मांगलिक अवस्था कई बार व्यक्ति के स्वभाव को उग्र, जल्दबाजी वाला और अस्थिर बना देती है. रिश्तों में गलतफहमी, तनाव या बेमतलब विवाद भी इसका असर माने जाते हैं. हालांकि सही समझदारी और संतुलन से मंगलीक व्यक्ति भी बेहद सफल वैवाहिक और सामाजिक जीवन जी सकता है.

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केंद्राधिपति दोष

जब बृहस्पति या बुध अपनी विशेष स्थितियों के कारण कमजोर प्रभाव देने लगते हैं, तब केंद्राधिपति दोष का निर्माण होता है. यह खास तौर पर करियर, नौकरी और प्रतिष्ठा से जुड़ा माना जाता है. इस दोष के कारण व्यक्ति को मेहनत के बावजूद पहचान मिलने में देर हो सकती है. निर्णय लेने में उलझन, अवसर हाथ से निकल जाना और आत्मविश्वास कम होना भी कई बार देखने को मिलता है.

पितृ दोष

पितृ दोष तब माना जाता है जब सूर्य का राहु या केतु के साथ संयोजन बन जाए.ज्योतिष मान्यता के अनुसार यह दोष पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं या उनसे जुड़ी ऊर्जा असंतुलन का संकेत देता है.घर-परिवार में मतभेद, आर्थिक अड़चन या अचानक होने वाले खर्च कई बार इसी दोष से जोड़े जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि पितृ कार्य और परिवार में सामंजस्य इस दोष को शांत करने में सहायक होते हैं.

गुरु चांडाल दोष

जब राहु और बृहस्पति एक ही भाव में साथ हों, तब गुरु चांडाल दोष बनता है. यह दोष निर्णय क्षमता और आर्थिक स्थिरता पर कमजोर असर डाल सकता है. फिजूल खर्च, भ्रम की स्थिति, और स्वास्थ्य में हल्की परेशानियां जैसे असर भी माने जाते हैं. हालांकि यह दोष कई बार व्यक्ति को नई सीख और अनुभव भी देता है, जिससे वह आगे जीवन में अधिक परिपक्व बनता है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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