गायत्री मंत्र जितना ही शक्तिशाली है ‘राम’ नाम का जप, हर दुख दूर कर देता है सुख-सौभाग्य-संपत्ति
Jyotish Tips: शास्त्रों में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग मंत्र तथा उपाय बताए गए हैं। इनमें से कई उपाय ऐसे हैं जो कुछ समय लेते हैं परन्तु एक ही उपाय आदमी की सभी इच्छाएं पूरी कर देता है। गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, नवार्ण मंत्र इसी तरह के कुछ उदाहरण हैं। हालांकि इनका प्रयोग केवल गुरु से दीक्षा लेने के बाद ही करना चाहिए। तभी ये फलदायी सिद्ध होते हैं, अन्यथा भारी नुकसान भी कर सकते हैं।
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पंडित कमलेश शास्त्री के अनुसार भगवान का नाम स्मरण भी ऐसा ही एक उपाय है। इस उपाय को करने के लिए आपको न तो किसी से दीक्षा लेनी होती है, न आचार्य चाहिए। बस शुभ मुहूर्त में शुभारंभ कर दीजिए और चमत्कार देखिए। यदि आप केवल राम नाम का जप करें तो इससे भी आपको वे सभी लाभ मिल सकते हैं जो गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र से प्राप्त होते हैं। यद्यपि इसकी साधना अन्य मंत्रों की तुलना में बहुत सरल और सहज है।
कैसे करें राम नाम का जप (Jyotish Tips)
गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है, ‘कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।’ अत: आप जिस भी उद्देश्य के लिए नाम जप करना चाहते हैं, कर सकते हैं। ध्यान रखें कि यदि सच्चे विश्वास और श्रद्धा के साथ शुभ कार्य किया जाए तो अवश्य सफलता मिलती है। इसलिए अनुष्ठान के समय मन में कभी कोई संदेह न रखें।
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- यदि आप जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य पाना चाहते हैं तो हरदम राम नाम जपते रहिए। आपका कार्य स्वत: ही बनते चले जाएंगे। परन्तु यदि आपके मन में कोई इच्छा है जिसे पूरा करने के लिए आप राम नाम का जप करने के इच्छुक हैं तो इसके लिए पुरश्चरण करना चाहिए। पुरश्चरण करने के लिए राम नाम का सवा लाख, चौबीस लाख और सवा करोड़ मंत्र जाप करना चाहिए। इसके लिए कुछ नियम भी होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य हैं। ये नियम इस प्रकार प्रकार हैं
- राम नाम मंत्र का जप अनुष्ठान किसी शुभ मुहूर्त में आरंभ करना चाहिए। इसके बाद अपना मंत्र जाप शुरु करें, नाम जप आप जितना अधिकाधिक कर सकते हैं, उतना करें। फिर भी आपको नियम ले लेना चाहिए कि प्रतिदिन कम से कम इतने हजार नाम जप तो करना ही है। मंत्र का कम से कम सवा लाख जप अवश्य ही करना चाहिए।
- भगवान के नाम जप को कभी भी, कहीं भी, किसी भी स्थिति में किया जा सकता है। परन्तु इसे शौचालय, अपवित्र स्थान या अशुद्ध स्थान पर नहीं जपना चाहिए। साथ ही जब आप अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में हो तब भी माला पर नाम जप नहीं होना चाहिए। मानसिक जप कर सकते हैं।
- अनुष्ठान के दौरान यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें। अपने जीवनसाथी के अतिरिक्त अन्य किसी की ओर देखना भी नाम जप के प्रभाव को धीमा कर देता है।
- नाम जप में भोजन संबंधी विशेष नियम का पालन करना होता है। आपको इस दौरान पूरी तरह से अंडा, मांस, मछली, शराब, तम्बाकू, सिगरेट आदि सभी तामसिक पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
- न केवल जप अनुष्ठान के समय वरन बाद में भी सात्विकता के साथ रहें और जीवन में कभी भी किसी को कष्ट या दुख पहुंचाने का विचार भी मन में न लाएं। ऐसा होते ही साधना का पूरा पुण्य नष्ट हो जाता है।
- पंडित कमलेश शास्त्री
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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