जया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि चिरकाल में स्वर्ग में स्थित नंदन वन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में स्वर्ग के सभी देवी-देवता, सिद्ध गण और ऋषि-मुनि उपस्थित थे। कार्यक्रम में गंधर्व और गंधर्व कन्याओं द्वारा नृत्य गायन किया जा रहा था। यह भी पढ़ें- 8 दिन बाद ग्रहों के राजा सूर्य करेंगे नक्षत्र परिवर्तन, 3 राशियों के जीवन में होगी हलचल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गंधर्वों के समूह में नृतिका पुष्यवती की नजर माल्यवान पर पड़ गई और वह उनकी खूबसूरती पर मोहित हो गई। मोहित होने के बाद पुष्यवती का नृत्य में ध्यान भटकने लगा और माल्यवान भी बेसुरा गाना गाने लगा। माल्यवान के इस बेसुरा गाना सुनकर सभी देवी-देवता क्रोधित हो गए। तब स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र क्रोधित होकर स्वर्गलोक से माल्यवान और पुष्यवती को निष्कासित कर दिए। उसके बाद दोनों गंधर्वों को शाप भी दे दी। इंद्र देव के शाप से दोनों पिशाच योनी में अपना जीवन व्यतीत करने लगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सदियों बाद माघ माह की एकादशी के दिन माल्यवान और पुष्यवती ने कुछ नहीं खाया। बल्कि फलाहार रहकर पूरा दिन व्यतीत किया। उसके बाद रात्रि में जागरण भी किया और श्री हरि का स्मरण किया। उन दोनों की भक्ति और निष्ठा को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और दोनों गंधर्वों को प्रेत योनि से मुक्त कर दिया। उसके बाद से सभी कष्टों के निवारण और मुक्ति के लिए जया एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह भी पढ़ें- बसंत पंचमी के दिन करें राशि अनुसार ये खास उपाय, मां सरस्वती पूरी करेंगी मनोकामनाडिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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