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Dhan Yoga in Kundali: आपकी कुंडली में छिपे हैं अमीर बनने के राज, जानें कब चमकेगी किस्मत

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी इंसान की कुंडली में जीवन की सभी घटनाओं, शिक्षा, धन, विवाह, संतान आदि के योग होते हैं। आइए जानते हैं कि किसी कुंडली में समृद्धि और सफलता से जुड़े धन योग किन ग्रहों और भावों से जुड़े होते हैं और धन योग के विशेष योग-संयोग क्या होते हैं?

हर इंसान की चाहत होती है कि वो जीवन में सफलता और समृद्धि पाए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में पहले से ही कुछ ऐसे धन योग छिपे होते हैं जो सही समय पर आपकी किस्मत को चमका सकते हैं? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के कुछ विशेष ग्रह, भाव और योग आपके आर्थिक जीवन को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं।

ये हैं धन का संकेत देने वाले ग्रह

बृहस्पति: बृहस्पति को समृद्धि, सौभाग्य और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। अगर ये ग्रह कुंडली के दूसरे, पांचवें, आठवें या ग्यारहवें भाव में मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति को जीवन में आर्थिक स्थिरता और धन की प्राप्ति होती है। शुक्र: यह ग्रह विलासिता, भौतिक सुख-सुविधा और वित्तीय संसाधनों के कारक और स्वामी ग्रह हैं। कुंडली में शुक्र की स्थिति शुभ होने पर व्यक्ति को भव्य जीवन और भरपूर धन की प्राप्ति होती है। ये भी पढ़ें: धन-वैभव आने से पहले दिखते हैं ये 7 संकेत, जाग जाता है सोया भाग्य शनि: शनि मेहनत, अनुशासन और धीरे-धीरे बढ़ने वाले धन का प्रतीक है। यदि शनि शुभ भावों में बैठा हो, तो व्यक्ति अपनी मेहनत और लग्न से बड़ी संपत्ति बना सकता है। राहु: राहु अचानक और अप्रत्याशित धन देने वाला ग्रह है। व्यापार, शेयर बाजार या विदेशी स्रोतों से धन पाने में इसकी भूमिका खास होती है। चंद्रमा: चंद्रमा व्यक्ति के वित्तीय निर्णय और मानसिक संतुलन को दर्शाता है। कुंडली में स्थिर चंद्रमा अच्छे वित्तीय प्रबंधन की ओर संकेत करता है।

कुंडली के ये भाव लाते हैं धन

दूसरा भाव: कुंडले के इस भाव को “धन भाव” कहा जाता है। यह आपकी आय, बचत और धन संग्रह क्षमता को दर्शाता है। ग्यारहवां भाव: लाभ भाव कहलाने वाला यह भाव आपकी कमाई, मुनाफा और इच्छाओं की पूर्ति से जुड़ा होता है। अष्टम भाव: यह भाव विरासत, गुप्त धन या अचानक मिलने वाले लाभ को दर्शाता है। दसवां भाव: करियर और व्यवसाय का भाव है, जिससे आर्थिक सफलता जुड़ी होती है।

विशेष योग और संयोग

केंद्र और त्रिकोण भावों का संबंध: केंद्र भाव (पहला, चौथा, सातवां, दसवां) और त्रिकोण भाव (पहला, पाँचवा, नौवां) के स्वामियों के बीच संबंध धन योग का निर्माण करता है। गजकेसरी योग: चंद्रमा और बृहस्पति के बीच गजकेसरी योग का निर्माण भी धन योग के रूप में जाना जाता है। यह योग व्यक्ति को धन और यश दोनों प्रदान करता है। लग्नेश और धनेश का संबंध: लग्न का स्वामी (लग्नेश) और दूसरे भाव का स्वामी (धनेश) अगर एक साथ किसी शुभ भाव में होते हैं या एक दूसरे को देख रहे होते हैं तो यह धन योग का संकेत होता है। वहीं, कुंडली में बृहस्पति और शुक्र का शुभ भावों में मिलन एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत शुभ धन योग बनाता है। वहीं, धनु, वृषभ और मकर लग्न वाले जातकों के लिए धन संचय और आर्थिक उन्नति के योग ज्यादा माने जाते हैं।

कब चमकेगी किस्मत?

दशा और गोचर का धन प्राप्ति के समय में बड़ा योगदान होता है। यदि आपकी कुंडली में शुभ ग्रहों की महादशा चल रही हो और उनके गोचर भी अनुकूल हों, तो यह समय आर्थिक लाभ, निवेश और तरक्की के लिए सबसे उपयुक्त होता है। ये भी पढ़ें: Vidur Niti: ये 5 गलतियां इंसान को सुख-शांति से रखती हैं वंचित, अंधकारमय हो जाता है जीवन डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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