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Chappan Bhog: गोवर्धन पूजा में श्री कृष्ण को क्यों लगाते हैं 56 प्रकार के भोग, जानें खास वजह

Chappan Bhog: गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग क्यों लगाए जाते हैं। साथ ही छप्पन प्रकार के भोग में कौन-कौन से व्यंजक शामिल होते हैं। आइए इन सभी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Chappan Bhog
Chappan Bhog Govardhan Pooja 2023: आपने सुना होगा भगवान श्री कृष्ण के त्योहार पर 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है आखिर क्यों भगवान को 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है। साथ ही इन 56 प्रकार के व्यंजनों में आखिर कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं। आज इस खबर में जानेंगे कि भगवान को 56 प्रकार के भोग लगाने के पीछे कारण क्या है। साथ ही 56 प्रकार के भोग के बारे में भी जानेंगे।

मान्यता - 1

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवराज इंद्र के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को लगातार 7 दिनों तक भूखा रहना पड़ा था। जब भगवान श्री कृष्ण 7 दिन और आठ पहर के बाद ब्रजवासियों ने उन्हें 56 प्रकार का भोग लगाए थें। तब से लेकर गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाया जाता है।

मान्यता- 2

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गौल लोक में श्री कृष्ण और राधा एक दिव्य कमल पर विराजमान हैं। मान्यता है कि उस कमल की तीन परतों में 56 पंखुड़ियां हैं। धार्मिक मान्यता है कि प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखियों के बीच भगवान विराजते हैं। इसलिए भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है। यह भी पढ़ें- गोवर्धन पूजा पर अपने करीबियों को भेजें प्यार भरा हार्दिक शुभकाना संदेश

56 भोग का गणित

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, 56 प्रकार के भोग का स्वाद कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन और मीठा कुल 6 स्वाद होते हैं। मान्यता है कि इन 6 स्वादों के मेल से ज्यादा से ज्यादा 56 प्रकार के खाने लायक व्यंजन बनाए जा सकता है। यानी की 56 प्रकार के सभी व्यंजक जो खाने योग्य है, वे सभी भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किया जाता है।

जानें 56 प्रकार के व्यंजक में उपस्थित चीजें

भक्त (भात), सूप (दाल), प्रलेह (चटनी), सदिका (कढ़ी), दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), सिखरिणी (सिखरन), अवलेह (शरबत), बालका (बाटी), यह भी पढ़ें- गोवर्धन पूजा के दिन जरूर करें ये 6 काम, खुल जाएंगे भाग्य इक्षु खेरिणी (मुरब्बा), त्रिकोण (शर्करा युक्त), बटक (बड़ा), मधु शीर्षक (मठरी), फेणिका (फेनी), परिष्टïश्च (पूरी), शतपत्र (खजला), सधिद्रक (घेवर), चक्राम (मालपुआ), चिल्डिका (चोला), सुधाकुंडलिका (जलेबी), धृतपूर (मेसू), वायुपूर (रसगुल्ला), चन्द्रकला (पगी हुई), दधि (महारायता), स्थूली (थूली), कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), खंड मंडल (खुरमा), गोधूम (दलिया), परिखा, सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), दधिरूप (बिलसारू), मोदक (लड्डू), शाक (साग), सौधान (अधानौ अचार), मंडका (मोठ), पायस (खीर) दधि (दही), गोघृत, हैयंगपीनम (मक्खन), मंडूरी (मलाई), कूपिका (रबड़ी), पर्पट (पापड़), शक्तिका (सीरा), लसिका (लस्सी), सुवत, संघाय (मोहन), सुफला (सुपारी), सिता (इलायची), फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु, अम्ल. यह भी पढ़ें- 5 गानों के बिना अधूरा है छठ महापर्व, देखें लोकप्रिय Chhath Video Song डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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