इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर ब्रह्म मुहूर्त में ही सूर्य भगवान को जल से अर्ध्य देना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।
सूर्य देव की पूजा के बाद अपने पितरों का स्मरण करते हुए उनके लिए श्राद्ध कर्म, पिंड दान तथा तर्पण करें। इससे पितर संतुष्ट होते हैं और परिवार के सदस्यों को फलने-फूलने का आशीर्वाद देते हैं।
अमावस्या पर पितरों की पसंद का भोजन बनाकर गाय, कौए अथवा गरीब भिखारियों को खिलाना चाहिए। यथाशक्ति गरीबों अथवा अनाथ आश्रम में वस्त्र, भोजन, दवाईयां अथवा अन्य सामग्री भी दान करनी चाहिए। इससे समस्त ग्रहों का दोष दूर होता है।
इस दिन यथासंभव श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें। यदि संभव हो तो गीता के पाठ का हवन भी करवाएं। इस उपाय से घर में मौजूद समस्त नेगेटिव शक्तियां दूर होती हैं और पॉजिटिव एनर्जी आती है। साथ ही देवताओं का भी आशीर्वाद मिलता है।