भारत पर अमेरिकी टैरिफ के दबाव के बीच रूस की तरफ से बड़ा बयान आया है. क्रेमलिन (रूस) के स्पोक्सपर्सन दिमित्री पेसकोव ने रूस से तेल खरीदने पर, भारत पर US के ऊंचे टैरिफ लगने की चिंताओं पर बात करते हुए कहा कि मॉस्को इस चुनौती को पहचानता है. लेकिन वह अमेरिका और भारत के बाइलेटरल मामलों में दखल नहीं देगा. पेसकोव ने कहा कि हम US और भारत के बीच डिप्लोमैटिक रिश्तों में दखल नहीं दे सकते. हम समझते हैं कि भारत पर दबाव है. उन्होंने कहा कि यह दबाव अब यह तय करता है कि रूस भारत के साथ अपनी पार्टनरशिप को कैसे देखता है.
भारत और रूस के रिश्ते पर कही ये बात
दिमित्री पेसकोव ने ये भी कहा कि भारत और रूस को रिश्ते का ऐसा आर्किटेक्चर बनाने में सावधानी रखनी होगी, जो किसी भी तीसरे देश के असर से मुक्त हो. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को तय करने के लिए आजाद है और हम भारत के इस खासियत की तारीफ करते हैं.
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पुतिन के आने से ठीक पहले आया बयान
पेसकोव की यह बात ऐसे समय में आई है जब नई दिल्ली, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे की तैयारी कर रही है. इस मुलाकात में व्यापार से लेकर स्ट्रेटेजिक सहयोग जैसे विषयों पर बात हो सकती है. क्रेमलिन ने ये भी कहा कि पुतिन के इस दौरे से दोनों देश, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने संबंधों के बड़े एजेंडे को रिव्यू कर पाएंगे.
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अमेरिका का दबाव
रूस की ओर से रिश्तों में यह नई ऊर्जा, ऐसे समय में आई है जब अमेरिका की ओर से भारत पर टैरिफ का दबाव बढ़ा है. भारत के रूसी कच्चे तेल का इंपोर्ट करने के फैसले से नाराज अमेरिका ने भारतीय सामान पर ज्यादा टैरिफ लगाकर, रूसी तेल की खरीद में कटौती करने का दबाव बनाया है.
आगे ये प्लान कर रहा है अमेरिका
रूस से तेल नहीं खरीदने के लिए भारत पर अमेरिका पहले ही काफी दबाव डाल चुका है. लेकिन अब वह एक नया कानून लाने पर विचार कर रहा है. अगर ये नया कानून आता है तो उन देशों पर और पेनल्टी लग सकती है, जो रूसी एनर्जी खरीदना जारी रखते हैं.
4-5 दिसंबर को पुतिन भारत में
पिछले चार साल में पुतिन का यह पहला भारत दौरा होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर पुतिन 23वें भारत-रूस सालाना समिट के लिए 4-5 दिसंबर 2025 तक भारत आएंगे. वह PM मोदी से मिलेंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बातचीत करेंगे.