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Putin torture Room: दुनिया के सामने आया पुतिन का टॉर्चर रूम, दीवारें-कुर्सी दे रहीं बर्बरता के सबूत

Vladimir Putin torture Room: रूस और यूक्रेन के बीच 18 महीने से जंग जारी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दुनिया के खूंखार तानाशाहों में शुमार हैं। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन ने खेरसॉन में टॉर्चर रूम बना रखा है, जहां की कुछ तस्वीरें पहली बार दुनिया के सामने सामने आई हैं। इस […]

Vladimir Putin torture Room
Vladimir Putin torture Room: रूस और यूक्रेन के बीच 18 महीने से जंग जारी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दुनिया के खूंखार तानाशाहों में शुमार हैं। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन ने खेरसॉन में टॉर्चर रूम बना रखा है, जहां की कुछ तस्वीरें पहली बार दुनिया के सामने सामने आई हैं। इस कालकोठरी में पकड़े गए सैकड़ों यूक्रेनी सैनिकों, टीचर और डॉक्टरों के साथ बर्बरता की गई। कैदियों को बिजली के झटके दिए गए। उन्हें शारीरिक और मानसिक यातना दी गई। यातना भी इतनी की हर कोई सिर्फ मौत की दुआ मांगता रहा। ग्लोबल राइट्स कंप्लायंस की जांच के अनुसार, खेरसॉन की कालकोठरी में रखे गए लगभग 50 प्रतिशत लोगों को दम घुटने, पानी में डुबाने, यौन हिंसा का सामना करना पड़ा। एक पीड़ित को दूसरे कैदी का रेप होते देखने के लिए मजबूर किया गया। [caption id="attachment_291631" align="alignnone" ] Vladimir Putin torture Room[/caption]

कैदियों के प्राइवेट पार्ट पर लगाया करंट

विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश मानवाधिकार बैरिस्टर वेन जोर्डाश केसी के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ यूनिट ने रूसी समर्थक अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली घृणित रणनीति के सबूत भी उजागर किए। बताया गया कि एक रूसी सैनिक ने खेरसॉन में 17 पीड़ितों के प्राइवेट पार्ट पर बिजली के झटके दिए। वेन ने कहा कि सबूत सामने आने से पता चलता है कि पुतिन की यूक्रेनी पहचान को खत्म करने की प्लानिंग में नरसंहार के कई क्राइम शामिल हैं।

35 टॉर्चर रूम का पता चला, जांच जारी

फर्म की मोबाइल जस्टिस टीम पुतिन के युद्ध अपराधों की जांच में यूक्रेन के अभियोजक जनरल के कार्यालय का समर्थन कर रही है। उन्होंने अब मुक्त हो चुके खेरसॉन क्षेत्र में 35 से अधिक रूम की पहचान की है। अपराधियों की तलाश जारी है। अक्टूबर में संकटग्रस्त खेरसॉन ओब्लास्ट का एक बड़ा हिस्सा मुक्त होने के बाद से विशेषज्ञ टीमें क्षेत्र में हिरासत के 300 से अधिक मामलों का विश्लेषण कर रही हैं। उन पीड़ितों में से कम से कम 43 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वहां यौन हिंसा आम थी। यूक्रेनियनों को हिरासत के दौरान रूस का राष्ट्रगान और रूस समर्थक नारे लिखने और सीखने के लिए मजबूर किया गया था। टॉर्चर रूम में डरावने गलियारे हैं। दीवारों पर लिखा है कि सूर्यास्त के बाद सुबह होती है।

पुतिन के खिलाफ जुटाए सबूत

ग्लोबल राइट्स कंप्लायंस में वरिष्ठ कानूनी सलाहकार और यूक्रेन कंट्री मैनेजर अन्ना मायकीटेंको ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन भविष्य में दोषसिद्धि हो सकती है। उन्होंने तस्वीरें खुद यातना की कहानी बयां कर रही हैं। हमारे पास पीड़ितों के बयान, मेडिकल रिपोर्ट और खुफिया जानकारी के साथ-साथ हथकड़ी जैसे सबूत भी हैं। अन्ना ने चेतावनी दी कि खेरसॉन में जो खुलासा हुआ है, वह पूरी आबादी को खत्म करने की पुतिन की बर्बर योजना में हिमशैल का सिरा मात्र है। उन्होंने कहा कि रूस के युद्ध अपराधों का असली पैमाना अज्ञात है, लेकिन हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि यूक्रेनी लोगों पर इन क्रूर अपराधों के मनोवैज्ञानिक परिणाम आने वाले वर्षों में उनके दिमाग में बने रहेंगे। यूक्रेन के बचे लोगों को न्याय दिलाया जाएगा क्योंकि हम अपराधियों की पहचान करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने का अपना मिशन जारी रखेंगे।

बच्चों और बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा था कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में बड़े पैमाने पर अत्याचार किया है। बच्चों और बुजुर्गों सहित सैकड़ों पीड़ितों को हिरासत केंद्रों में अत्याचार का सामना करना पड़ा है। कई लोगों ने कहा कि उन्हें यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा।

टॉचर रूम में बिजली की कुर्सी

टॉचर रूम में एक ऐसी कुर्सी थी, जिसमें करंट का प्रवाह रहता था। रूसी सैनिक यूक्रेनियन को उस कुर्सी पर बैठाकर टॉर्चर करते थे। यूक्रेनी सेना के विशेष बलों के इवान बोहुन ब्रिगेड के साथ काम करने वाले तारास बेरेजोवेट्स ने कहा कि रूसियों ने युद्ध के कैदियों और नागरिकों को यातना देने के लिए बिजली के झटके का इस्तेमाल किया। यह भी पढ़ें: Mountain Climber: 37 साल बाद ग्लेशियर में मिला पर्वतारोही का शव, जूतों से हुई पहचान


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