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चीन के इस कदम से रूस नाराज ! बताया- द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ; क्या बढ़ेगी दोनों देशों में टेंशन?

Tension between Russia China: पिछले महीने चीन द्वारा जारी नए मैप को ताइवान, मलेशिया और भारत समेत कई देश पहले ही खारिज कर चुके हैं। अब इस लिस्ट में रूस भी शामिल हो गया है। अब रूस ने चीन के इस मैप को खारिज करते हुए इस पर एतराज भी जताया है। दरअसल, चीन ने […]

Tension between Russia China
Tension between Russia China: पिछले महीने चीन द्वारा जारी नए मैप को ताइवान, मलेशिया और भारत समेत कई देश पहले ही खारिज कर चुके हैं। अब इस लिस्ट में रूस भी शामिल हो गया है। अब रूस ने चीन के इस मैप को खारिज करते हुए इस पर एतराज भी जताया है। दरअसल, चीन ने ताजा मैप में रूस के एक द्वीप को अपने देश में दर्शाया है। उधर, इस मैप को लेकर रूस का कहना है कि वर्ष 2008 में ही इस विवाद का निपटाया हो चुका है। ऐसे में इस पर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। बावजूद इसके चीनी मैप में रूस के द्वीप को शामिल करना एक तरह से पड़ोसी देश से तनाव को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है। रूस ने अब इस मैप को वर्ष 2005 में विवाद को समाप्त करने के लिए हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ बताया है। चीनी मैप में बोल्शोई उस्सुरीस्की द्वीप को पूरी तरह से चीनी क्षेत्र के रूप में दावा किया गया है। रूस ने अपने बयान में कहा है कि बाद चीन और रूस ने 2005 में सीमा विवाद विवाद सुलझा लिया था। इस पर द्विपक्षीय समझौता हो चुका है। ऐसे में विवाद की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। रूस के मुताबिक, समझौते के तहत चीन को द्वीप के 350 वर्ग किलोमीटर में से 170 का हिस्सा मिला था। उधर, रूस ने नेविवादित क्षेत्र का शेष भाग अपने पास रखा है।

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गौरतलब है कि नया मैप जारी होते ही चीन की दादागिरी का भारत ने करारा जवाब दिया था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि चीन में पूर्व में भी ऐसा ही करता आया है। ऐसे में इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।

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एक निजी टेलीविजन समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा था कि चीन पूर्व में भी  दूसरों के इलाकों पर अपना हक जताता रहा है। इसमें कुछ भी नया नहीं है और यह उसकी पुरानी आदत है। यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत वर्ष 1950 में हुई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसा करने से कोई इलाका किसी का नहीं हो जाता है।
   

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