Sushila Karki Priorities: नेपाल में Gen-Z के विरोध प्रदर्शन और ओली सरकार के पतन के बाद सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं. उन्होंने बीती रात प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. 220 साल में पहली बार नेपाल को महिला प्रधानमंत्री मिली हैं, जो पद संभालते ही बनते ही एक्शन मोड में नजर आईं. उन्होंने सबसे पहले संसद को भंग किया। शपथ लेने के बाद रात 11 बजे ही कैबिनेट मीटिंग बुलाकर संसद भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
नेपाल में हिंसा और भ्रष्ट्राचार की जांच
बता दें कि सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनते ही सबसे पहले Gen-Z हिंसा, विरोध प्रदर्शन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया. उन्होंने 2 जांच आयोग गठित किए हैं. पहले न्यायिक आयोग गठित किया, जो हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की जांच करेगा. दूसरा भ्रष्टाचार निवारक आयोग गठित किया, जो नेपाल में फैले भ्रष्टाचार की जांच करेगा। दोनों आयोग को जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपने के निर्देश हैं.
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कैबिनेट बुलाकर संसद की गई भंग
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की सुशीला कार्की ने संसद भंग की. उन्होंने प्रदधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करते ही उन्होंने देररात 11 बजे कैबिनेट मीटिंग बुलाई, जो काठमांडू स्थित राष्ट्रपति आवास शीतल निवास में हुई. बैठक में उन्होंने संसद को भंग करने का प्रस्ताव रखा, जिसे राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने हस्ताक्षर करके मंजूरी दी. मंजूरी मिलते ही संसद भंग होने का ऐलान किया गया. सुशीला कार्की के लिए फिलहाल सिंह दरबार के एक कमरे में अस्थायी कार्यालय बनाया गया है.
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कैबिनेट विस्तार करेंगी सुशीला कार्की
बता दें कि अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के बाद सुशीला कार्की का तीसरा बड़ा काम कैबिनेट का विस्तार होगा. अभी सिर्फ सुशीला ने शपथ ग्रहण की है. किसी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई है. Gen-Z ने सरकार का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है, लेकिन वे सुशीला सरकार के कामकाज पर नजर रखेंगे. वहीं सुशीला अगले कुछ दिन में कैबिनेट का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सूत्रों के अनुसार, कुलमान घीसिंग, ओम प्रकाश अर्याल और बालानंद शर्मा मंत्री बन सकते हैं.
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आम चुनाव कराना बड़ी जिम्मेदारी
अंतरिम प्रधानमंत्री बनते ही सुशीला कार्की का सबसे बड़ा काम नेपाल में आम चुनाव कराना है. आम चुनाव कराने के लिए उन्हें 6 महीने का समय दिया गया है. ऐसे में आम चुनाव 5 मार्च 2026 को हो सकते हैं. सुशीला को अंतरिम प्रधानमंत्री यही कहते हुए बनाया गया है कि वह अगले 6 महीने में चुनाव कराने की जिम्मेदारी लें.