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अंतरिक्ष में टॉयलेट कैसे मैनेज करते थे एस्ट्रोनॉट्स? जानें स्पेस के रोचक तथ्य

सुनीता विलियम्स की 9 महीने बाद धरती पर वापसी हो गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके अंतरिक्ष में 9 महीने कैसे कटे। स्पेस में टॉयलेट से लेकर सोने और पीने के पानी तक को कैसे मैनेज किया जाता है। जानें सुनीता के दिलचस्प एक्सपीरियंस

Sunita williams
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथ बुच विलमोर की 9 महीने बाद स्पेस से धरती पर वापसी हो गई है। जरा सोचिए किसी की 8 दिन की यात्रा 9 महीने में तब्दील हो जाए तो कैसा एक्सपीरियंस रहता होगा। ऐसा ही कुछ सुनीती विलियम्स और उनके साथियों के साथ हुआ जो स्पेस में तकनीकी खराबी के कारण वहां फंस गईं। हमने ये देखा है कि स्पेस में ग्रेविटी जिसे सरल भाषा में गुरुत्वाकर्षण बल कहा जाता है होता ही नहीं है। यही वजह है कि हर चीज स्पेस में उड़ती हुई रहती है। ऐसे में दिमाग में ये सवाल तो आता ही होगा कि आखिर नासा के एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में टॉयलेट कैसे इस्तेमाल करते होंगे? कैसे सोते होंगे? ये जानकारी बहुत ही दिलचस्प रहने वाली है क्योंकि हर कोई इस बारे में जानने के लिए उत्सुक होगा।

अंतरिक्ष में कैसे इस्तेमाल किया जाता है टॉयलेट

जैसा की आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में ग्रेविटी न होने की वजह से हर चीज उड़ती रहती है। ऐसे में वहां एस्ट्रोनॉट्स मल-मूत्र कैसे त्यागते होंगे। दरअसल सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें दिखाया गया है कि वहां के टॉयलेट आम नहीं बल्कि खास होते हैं। टॉयलेट में एक खास तरीके एयर-प्रेशर और वैक्यूम का इस्तेमाल किया जाता है। मल त्यागने और यूरिन के लिए अलग-अलग टॉयलेट बने होते हैं। टॉयलेट में लगे एयर-प्रेशर और वैक्यूम मल को टैंक में खींचता है, जिससे वो इधर-उधर नहीं फैलता। यह भी पढ़ें:Watch: सुनीता विलियम्स की फ्लोरिडा तट पर कैसे हुई सफल लैंडिंग? देखें वीडियो

यूरिन को कैसे बदला जाता है पीने के पानी में

क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में पानी की कमी होती है। ऐसे में वहां पर यूरिन को रिसाइकल कर उसे पीने के पानी में बदला जाता है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यूरिन को एक अलग टैंक में स्टोर किया जाता है। खास प्रक्रिया की मदद से पेशाब को फिल्टर कर उसे पीने के पानी में तब्दील किया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एस्ट्रोनॉट्स पहले पेशाब करने के लिए एक खास तरह का पाउच का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद रिसाइक्लिंग सिस्टम की मदद से उसे साफ किया जाता है।

कैसे सोते हैं एस्ट्रोनॉट्स

जब एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में उड़ते रहते हैं तो सवाल ये उठता है कि वो सोते कैसे हैं। दरअसल वो सोने के लिए खुद को स्लीपिंग बैग में बंद कर लेते हैं। इससे वो आराम से सो पाते हैं। सुनीता विलियम्स ने भी इसी तरह के स्लीपिंग बैग का इस्तेमाल किया ताकि वो आराम से सो सकें। लेकिन अब सभी मुश्किलों को पार कर वो आखिरकार सफलता पूर्वक धरती पर आ गई हैं जो पूरी दुनिया के लिए खुशी की बात है। यह भी पढ़ें: दिल्ली मेट्रो की 5 रोचक बातें जो शायद आप नहीं जानते, सफर करते हैं जो जानना तो बनता है


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