1953 में हुआ था सूडान में पहला चुनाव, भारत के टॉप निर्वाचन अधिकारी ने करवाई थी तैयारी
भारत के पहले मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुकुमार सेन (सोशल मीडिया)
Sudan Invited India's Top Election Officer Sukumar Sen For Its First Parliamentary Election : भारत में पहला लोकसभा चुनाव 1951-52 में हुआ था और इसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। सूडान इस चुनाव से इतना प्रभावित हुआ था कि उसने 1953 में हुए अपने पहले संसदीय चुनाव आयोजित कराने के लिए भारत के तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुकुमार सेन को आमंत्रित किया था। निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड्स के अनुसार सेन ने सूडान में चुनाव कराने के लिए वहां 14 महीने गुजारे थे। निर्वाचन आयोग के अनुसार पहले आम चुनाव की सफलता ने भारत को लोकतंत्र का मजबूत आधार दिया था।
रिकॉर्ड्स के अनुसार भारत के पहले चुनाव को लेकर विस्तृत जानकारी पाने के लिए मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और साउथ अमेरिका के कई देशों की ओर से कई एन्क्वायरी मिली थीं। सुकुमार सेन को सूडान में चुनाव आयोजित कराने के लिए एक इंटरनेशनल कमीशन का अध्यक्ष नामित किया गया था। सूडान पहले एक ब्रिटिश कॉलोनी हुआ करता था। यहां चुनाव कराने के लिए वह 14 महीने रहे थे। इस दौरान उन्होंने चुनाव को लेकर भारतीय कानूनों और प्रक्रिया में इस तरह बदलाव किए थे जो इस अफ्रीकी-अरबी देश के लिए बेहतर थे। केवल 2 प्रतिशत साक्षरता दर के बावजूद सूडान में हुए सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित चुनाव सफल रहे थे।
पद्म भूषण से सम्मानित किए गए थे सुकुमार सेन
साल 1954 में जब भारत सरकार ने नागरिक पुरस्कार दिए जाने की व्यवस्था की शुरुआत की थी, तब सुकुमार सेन को उनके योगदानों के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह भारतीय सिविस सेवा के अधिकारी थे। भारत का पहला मुख्य निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किए जाने से पहले सुकुमार सेन पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके कार्यकाल के दौरान 1952 के पहले आम चुनाव को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी दौरान आगामी चुनावों के लिए मानक तय हुए थे। तब न तो स्टाफ था और न ही कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर या ट्रेनिंग फैसिलटी ही थी। सुकुमार सेन ने देश के पहले आम चुनाव की शून्य से तैयारी की थी।
सेन ने भारतीय चुनावों को बनाया ग्लोबल बेंचमार्क
देश के 17वें मुख्य निर्वाचन अधिकारी एसवाई कुरैशी ने अपनी किताब 'एन अनडॉक्यूमेंटेड वंडर: द ग्रेड इंडियन इलेक्शन' में भी सुकुमार सेन की भूमिका की तारीफ की थी। कुरैशी ने अपनी किताब में लिखा है कि सात दशक से ज्यादा समय के बाद अब भारतीय चुनाव मुक्त, निष्पक्ष और भरोसेमंद चुनावों के लिए एक ग्लोबल बेंचमार्क बन गए हैं। तब से लेकर अब तक देश की चुनावी प्रक्रिया में काफी बदलाव आया है लेकिन 80 प्रतिशत व्यवस्था वैसी ही है जैसी सुकुमार सेन ने तैयार की थी। बता दें कि भारत इस साल 18वीं लोकसभा के चयन के लिए आम चुनाव की तैयारी कर रहा है। आगामी चुनाव के लिए शिड्यूल का ऐलान अगले महीने किया जा सकता है।
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