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SCO आखिर है क्या? बैठक में कौन-कौन होगा शामिल और क्या हैं समिट के मुद्दे, पढ़ें पूरी अपडेट

SCO Summit 2025 China: चीन के तियानजिन शहर में हो रहे SCO समिट में 5 बड़े मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनमें सबसे खास ट्रंप के टैरिफ हैं, जिन्होंने दुनिया में व्यापार युद्ध छेड़ दिया है। वहीं अमेरिका और भारत के लिए यह समिट काफी अहम है।

SCO समिट इस साल चीन के तियानजिन शहर में आयोजित किया जा रहा है।

SCO Summit 2025 China: चीन में आज से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट 2025 शुरू हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शिरकत करेंगे। समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होगी। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के साथ वे द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं। वहीं शिखर सम्मेलन में चर्चा के खास मुद्दे ट्रंप टैरिफ, रूस-यूक्रेन की जंग, इजरायल-हमास का युद्ध, गाजा में नरसंहार और पश्चिमी तट पर कब्जे के बीच हो रहा है।

भारत के लिए कितना जरूरी है समिट?

बता दें कि भारत के लिए चीन की यात्रा और SCO समिट काफी अहम है, क्योंकि 7 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार चीन यात्रा पर गए हैं। वहीं साल 2020 में गलवान में चीन और भारत के सैनिकों में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन के साथ रिश्ते खराब हुए थे, जिन्हें सुधारने के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी चीन की यात्रा पर गए हैं, जहां रेड कारपेट के साथ उनका शानदार स्वागत हुआ।

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तियानजिन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस दौरान भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने, अमेरिका के 50% टैरिफ के बीच कूटनीतिक संतुलन साधने, आर्थिक सहयोग बढ़ाने, सीमा विवाद सुलझाने और वैश्विक सुरक्षा जैसे मुद्दे पर दोनों के बीच अहम बातचीत होगी।

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अमेरिका के लिए कितना जरूरी है समिट?

अमेरिका के लिए भी SCO समिट बेहद जरूरी है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन की सदस्यता वाले संगठनों को पसंद नहीं करते। उन्होंने ब्रिक्स के सदस्यों पर टैरिफ लगाकर उसे पंगु बनाने की चेतावनी दी हुई है, क्योंकि वे ब्रिक्स देशों को अमेरिका विरोधी मानते हैं। यह सम्मेलन दिसंबर 2025 में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए बेस तैयार करेगा, जिसकी मेजबानी भारत करेगा, लेकिन टैरिफ विवाद के चलते अमेरिका की सम्मेलन में शिरकत करने की प्लानिंग नहीं है।

अमेरिका की नजर भारत के प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात पर रहेगी, क्योंकि दोनों देश द्विपक्षीय तनाव को सुलझाने और एक दूसरे के करीब आने का प्रयास कर रहे हैं। यह मुलाकात अमेरिका के लिए टेंशन हैं, क्योंकि भारत के अमेरिका के साथ संबंध टैरिफ के कारण खराब हो गए हैं और अमेरिका चीन का विरोधी है। ऐसे में अगर भारत और चीन के रिश्ते मजबूत होते हैं तो अमेरिका के लिए मुश्किलें हो सकती हैं। PM मोदी समिट को लेकर बड़ा दांव खेल सकते हैं।

अमेरिका समिट पर इसलिए भी नजर रखेगा, क्योंकि अमेरिका जानना चाहता है कि SCO शिखर सम्मेलन में न केवल भारत, बल्कि पाकिस्तान, ईरान, रूस और चीन के बीच कई मुद्दों और व्यापार पर बातचीत कर सकते हैं। यह बातीचत क्या और कैसे होती है? यह जानने में अमेरिका की रुचि है। SCO शिखर सम्मेलन में टैरिफ लगने के बाद देशों का अमेरिका को लेकर क्या रुख है और अमेरिका को क्या संदेश मिलता है, राष्ट्रपति ट्रंप के लिए यह जानना भी जरूरी होगा।

कब हुई थी समिट की शुरुआत?

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की शुरुआत 1996 में हुई थी, जिसे शंघाई फाइव भी कहते थे। शीत युद्ध और सोवियत संघ के पतन के बाद सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान ने मिलकर इस संगठन को बनाया था, जून 2001 में यह SCO बन गया। इसका मुख्यालय बीजिंग में है। साल 2017 में भारत और पाकिस्तान संगठन का हिस्सा बने। साल 2023 में ईरान और साल 2024 में बेलारूस भी इसके सदस्य बने। संगठन के 14 वार्ता साझेदारों में सऊदी अरब, मिस्र, तुर्की, म्यांमार, श्रीलंका और कंबोडिया भी शामिल हैं। SCO के सदस्य देशों में आबादी दुनियाभर की आबादी का 43 प्रतिशत हिस्सा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों का 23 प्रतिशत यानी एक चौथाई योगदान है।


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