स्पेन में चमगादड़ों की गुफा में मिले महाभारत काल के सैंडल; रिसर्चर्स ने बताया-कौन पहनता था इन्हें
6,000 Year Old Sandals: ये दुनिया एक से बढ़कर एक रहस्यों से भरी पड़ी है। कब-कहां और क्या मिल जाए, कुछ भी तय नहीं है। हाल ही में यूरोपिन देश स्पेन में एक गुफा से पुराने सैंडल मिले हैं। रिसर्चर्स के दावे पर गौर करें तो ये दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता मानी जाती भारतीय पुरातन ऐतिहासिक घटना महाभारत के वक्त के हैं। इसी के साथ एक दिलचस्प बात तो इनके पहनने वालों के बारे में है। जानें क्या पूरा मामला...
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19वीं शताब्दी में खनिकों ने लूट लिया था इस गुफा को, अब मिली एस्पार्टो से बनी 22 चप्पल (सैंडल) और टोकरियों के अलावा औजारों के कुछ सैट
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्पेन के अंडालुसिया में एक गुफा में चमगादड़ों का बसेरा है, जहां बहुत सी पुरानी चीजों का एक ढेर नजर आया। बताया जा रहा है कि ये वो गुफा है, जिसे 19वीं शताब्दी में खनिकों ने लूट लिया था। बार्सिलोना की ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी और स्पेन की अल्काला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने जब इन चीजों की जांच की तो इनमें एस्पार्टो से बनी 22 चप्पल (सैंडल) और टोकरियों के अलावा औजारों के कुछ सैट मिले।
बता देना जरूरी है कि एस्पार्टो एक घास है, जिसे बहुत पहले उत्तरी अफ्रीका और इबेरियन पेनिनसुला में शिल्पकला में इस्तेमाल किया जाता था। घाय को कुचलकर और फिर गलाकर सुखा दिया जाता था। इसके अलावा घास की ही रस्सी बनाई जाती थी, जिससे चप्पलों को गूंथा जाता था।
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शोधकर्ताओं का दावा है कि ये चप्पलें लगभग 6,200 साल पुरानी यानि नवपाषाण काल की हैं। अगर इस तथ्य पर गौर करें तो ये चप्पलें 2008 में आर्मेनिया की एक गुफा में मिले पुराने चमड़े के 5,500 साल पुराने जूतों से भी ज्यादा पुरानी मानी जा रही हैं।
इस बारे में साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक लेख में इन पुरातन चीजों की जांच करने वाली एक टीम ने कहा है कि सैंडल, उपकरण और टोकरियां, जो 19 वीं शताब्दी की थी, क्यूवा डे लॉस मर्सिएलागोस में ग्रेनाडा के दक्षिणी शहर के निकट एक शिकारी-संग्रहकर्ता दफन स्थल पर मिली हैं, जिसे 'चमगादड़ों की गुफा' के रूप में भी जाना जाता है। जांच करने के बाद पहले मिल चुकी चीजों की तुलना में ये कहीं अधिक पुरानी पाई गई। कुल 76 चीजों का रेडियोकार्बन डेटिंग से अध्ययन किया गया था, जिससे पता चला कि इस साज-ओ-सामान का इस्तेमाल हजारों साल पहले उत्तरी अफ्रीका और इबेरियन प्रायद्वीप में किया जाता था।
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इस रिसर्च को लीड कर रहे अल्काला विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट फ्रांसिस्को मार्टिनेज़ सेविला ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, 'टोकरी की गुणवत्ता और तकनीकी जटिलता हमें दक्षिणी यूरोप में कृषि के आगमन से पहले मानव समुदायों के बारे में हमारी सरल धारणाओं पर सवाल उठाने पर मजबूर करती है। क्यूवा डी लॉस मर्सिएलागोस प्रागैतिहासिक आबादी की जैविक सामग्री का अध्ययन करने के लिए यूरोप में एक अद्वितीय साइट थी'।
इस रिसर्च पर इतिहासकारों और भूवैज्ञानिकों सहित विभिन्न विषयों के 20 विशेषज्ञों की एक टीम ने काम किया। अध्ययन में कहा गया है कि कुछ सैंडलों में पहने जाने के निशान मौजूद थे और कुछ बिना यूज किए लग रहे थे। माना जा सकता है कि इन्हें मृतकों के लिए बनाया गया होगा। एक निश्चित समय में, गुफा में प्रारंभिक मानव इतिहास के विशाल हिस्से से सामान दफन था, जिसमें से कुछ संभवतः 9,500 वर्ष पुराने थे।
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ये है महाभारत काल का इतिहास
उधर, इंटरनेट पर उपलब्ध प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार एवं लेखक डॉ. हेमेन्द्र कुमार राजपूत के एक लेख के मुताबिक इस वक्त कलियुग की 52वीं शताब्दी चल रही है। इससे पहले द्वापर युग में रचित महाभारत नामक महाकाव्य ग्रंथ में स्वयं महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास ने सम्पूर्ण जम्बूद्वीप का भ्रमण करके जो भौगोलिक इतिहास लिखा, वह कहीं दूसरी जगह नहीं मिलेगा। उन्होंने जम्बूद्वीप यानि अखण्ड भारत का सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक इतिहास सहेजा, जिसे आज हम हड़प्पा, मोहन जोदाड़ो और आलमगीर सभ्यता के नाम से जानते हैं। 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हड़प्पा और मोहन जोदाड़ो नामक टीलों की खुदाई की तो वहां लगभग 3 हजार साल ईसा पूर्व के कालखण्ड में बसे नगर और उस काल के हथियार और औजार भी मिले थे।
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