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वैज्ञानिकों का करिश्मा, बिना बड़े ऑपरेशन के लकवाग्रस्त मरीज फिर चले

कोई इंसान जो सालों से व्हीलचेयर पर है, अचानक अपने पैरों पर खड़ा हो जाए और चलने लगे। यह किसी चमत्कार से कम नहीं लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत बना दिया है। बिना बड़े ऑपरेशन के बस छोटी सर्जरी से लकवाग्रस्त मरीजों को फिर से चलने में सफलता मिली है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Mar 21, 2025 16:45
Paralysis Treatment china Fudan University
Paralysis Treatment china Fudan University

कोई इंसान जो सालों से अपने पैरों को हिला तक नहीं सकता, अचानक खड़ा होकर चलने लगे यह किसी चमत्कार से कम नहीं लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत बना दिया है। शंघाई के फुदान विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने चार लकवाग्रस्त लोगों को सिर्फ कुछ घंटों में उनके पैरों की हरकत लौटा दी। बिना किसी बड़े ऑपरेशन के बस छोटे से सर्जरी से यह करिश्मा हुआ। जो लोग व्हीलचेयर तक सीमित थे, वे दो हफ्तों में खुद चलने लगे। यह खोज न केवल विज्ञान की जीत है बल्कि लाखों उम्मीदें फिर से जगा रही है।

लकवे को ठीक करने में मिली बड़ी सफलता

शंघाई के फुदान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लकवाग्रस्त लोगों के लिए एक चौंकाने वाली सफलता हासिल की है। उन्होंने चार लोगों को सिर्फ कुछ घंटों के अंदर अपने पैरों को फिर से हिलाने में मदद की। यह एक साधारण सर्जरी के जरिए हुआ, जिसमें कोई बड़ा चीरा नहीं लगाया गया। लंबे समय तक यह माना जाता था कि रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से होने वाला लकवा ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस नई खोज ने इस धारणा को बदल दिया है।

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दिमाग और रीढ़ की हड्डी में लगाए गए खास चिप्स

वैज्ञानिकों ने मरीजों के दिमाग और रीढ़ की हड्डी में छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड चिप लगाए, जिनका आकार सिर्फ 1 मिलीमीटर था। ये चिप्स उस तंत्रिका प्रणाली (नर्वस सिस्टम) को दोबारा सक्रिय कर देते हैं, जो चोट के कारण काम करना बंद कर देती है। इस तकनीक को “न्यूरल रिमॉडलिंग” कहा जाता है, जिसमें सोई हुई नसों को जगाकर शरीर को फिर से सक्रिय किया जाता है। इस तकनीक की मदद से पहली सर्जरी 8 जनवरी को 34 वर्षीय व्यक्ति पर की गई, जो गिरने के कारण चलने-फिरने में असमर्थ था। सर्जरी के 24 घंटे के भीतर उसने अपने पैरों को हिलाना शुरू कर दिया और दो हफ्तों में वह खुद से खड़ा होकर चलने लगा।

पहले से कहीं तेज रिकवरी, मरीजों को तुरंत मिला फायदा

इस रिसर्च के नतीजे बेहद आश्चर्यजनक हैं। जहां स्विट्जरलैंड में हुई पहली रिसर्च में इसी तरह की रिकवरी में छह महीने लगे, वहीं चीन की इस तकनीक से मरीज सिर्फ दो हफ्तों में सुधार देखने लगे। सर्जरी के बाद पहले मरीज ने कहा, “अब मेरे पैर गर्म और पसीने से भीगने लगते हैं और मुझे झनझनाहट महसूस होती है। जब मैं खड़ा होता हूं तो अपनी मांसपेशियों को कसता हुआ महसूस कर सकता हूं।” इतना ही नहीं उसने यह भी बताया कि उसे अब बाथरूम जाने की जरूरत का अहसास होने लगा है, जो संकेत देता है कि उसकी नसें धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं।

लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण

चीन में 37 लाख से ज्यादा लोग रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण लकवाग्रस्त हैं और हर साल 90,000 नए मामले सामने आते हैं। ऐसे में यह नई तकनीक लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है। इस रिसर्च से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक जिया फूमिन ने कहा कि “अगर मरीज को रीढ़ की हड्डी में इंटरफेस लगाया जाए और 3-5 साल तक सही रीहैबिलिटेशन ट्रेनिंग दी जाए तो नसें आपस में जुड़ सकती हैं और बदलाव ला सकती हैं।” इस खोज से यह संभव हो सकता है कि भविष्य में लकवाग्रस्त लोग बिना किसी उपकरण की मदद के फिर से सामान्य जीवन जी सकें।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Mar 21, 2025 04:45 PM

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