अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के लिए अपने 7 अरब डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम के तहत 11 और नई शर्तों को जोड़ा है. वहीं, दूसरी समीक्षा की स्टाफ लेवल रिपोर्ट गुरुवार को जारी हुई. जिसमें शामिल शर्तों के बाद पिछले 18 महीनों में लगाई गई कुल शर्तों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है. ये नई शर्तें पाकिस्तान के सुशासन ढांचे की पुरानी कमियों, भ्रष्टाचार जोखिमों और अन्य क्षेत्रों में सुधार से जुड़ी हुई हैं. इसी कारण आईएमएफ इन शर्तों के साथ पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है. आइए जानते हैं ये शर्तें कौन -कौन सी हैं.
क्या हैं IMF की 11 शर्तें?
- दिसंबर 2025 तक सीनियर फेडरल सिविल सर्वेंट्स की एसेट डिक्लेरेशन पब्लिक की जाएंगी. बाद में इसे प्रोविंस तक बढ़ाया जाएगा.
- कंपनीज एक्ट में अमेंडमेंट्स और SEZ एक्ट में रिफॉर्म्स. रेवेन्यू कम होने पर अगले साल एक मिनी-बजट लागू करने का एग्रीमेंट.
- फाइनेंशियल इंटेलिजेंस तक एक्सेस के साथ मजबूत प्रोविंशियल एंटी-करप्शन यूनिट्स और 10 हाई-रिस्क डिपार्टमेंट्स में करप्शन से निपटने के लिए एक्शन प्लान.
- मई 2025 तक रेमिटेंस कॉस्ट और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स में रुकावटों का पूरा असेसमेंट और सितंबर 2025 तक लोकल करेंसी बॉन्ड मार्केट रिफॉर्म्स के लिए एक स्टडी और स्ट्रैटेजी.
- एलीट कैप्चर को खत्म करने के लिए जून 2025 तक एक नेशनल शुगर मार्केट लिबरलाइजेशन पॉलिसी.
- दिसंबर 2025 तक KPIs और तीन प्रायोरिटी एरियाज के जरूरी इम्प्लीमेंटेशन के साथ एक कॉम्प्रिहेंसिव FBR रिफॉर्म रोडमैप.
- पावर एंटिटीज HESCO और SEPCO में प्राइवेट-सेक्टर पार्टिसिपेशन के लिए प्री-कंडीशन्स और PSO एग्रीमेंट्स पर साइन करना.
- दिसंबर 2025 तक एक मीडियम-टर्म टैक्स रिफॉर्म स्ट्रैटेजी.
उच्च अधिकारियों की संपत्ति का करना होगा सार्वजनिक खुलासा
IMF की सबसे अहम शर्तों में से एक शर्त यह है कि दिसंबर 2026 तक सभी उच्च स्तरीय केंद्रीय सिविल सेवकों (ग्रेड-19 और ऊपर) की संपत्ति की घोषणा आधिकारिक सरकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाएंगी.
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आईएमएफ का कहना है कि इससे आय और संपत्ति में विसंगतियों का पता लगाना आसान होगा. सरकार ने प्रांतीय स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी यह नियम लागू करने का इरादा जाहिर किया है. बैंकिंग क्षेत्र को इन घोषणाओं की पूरी जानकारी दी जाएगी.
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कॉर्पोरेट और विद्युत क्षेत्र में सुधार
IMF ने पाकिस्तान के सामने बिजली क्षेत्र में लगातार हो रहे नुकसान को कम करने के लिए भी कुछ अहम शर्तें शामिल की हैं. जिसमें दिसंबर 2025 तक HESCO और SEPCO में निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए शर्तों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए. अगले संघीय बजट से पहले सात सबसे बड़ी संस्थाओं के साथ सार्वजनिक सेवा दायित्व (पीएसओ) समझौतों पर हस्ताक्षर करना होगा. नॉन लिस्टेड कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन और अनुपालन को आधुनिक बनाने के लिए कंपनी अधिनियम, 2017 में संशोधन पेश करना.
शुगर सेक्टर को लेकर ये शर्त
IMF का कहना है कि पाकिस्तान शुगर सेक्टर में पहले से जमे हुए लोगों के प्रभाव को कम करे. जिसके लिए जून 2026 तक पाकिस्तान को IMF की कुछ अहम शर्तों को पूरा करना होगा. शुगर बाजार के उदारीकरण के लिए एक नेशनल पॉलिसी बनानी होगी. इसके साथ ही IMF ने कहा है कि पाकिस्तान को लाइसेंसिंग, प्राइस कंट्रोल सहित अन्य कई सुधारों को लेकर सहमति बनानी होगी.
टैक्स सिस्टम में सुधार को लेकर रखी ये शर्त
पाकिस्तान में संघीय राजस्व बोर्ड का प्रदर्शन लगातार खराब रहा है. जिसके बाद इसमें कुछ सुधारों की जरूरत है. जिसे देखते हुए IMF ने दिसंबर 2025 तक पाकिस्तान को कर्मचारियों की आवश्यकता, सुधार, राजस्व पर पड़ने वाले असर सहित कई अहम मुद्दों पर फोकस करते हुए एक विस्तृत एफबीआर सुधार रोडमैप तैयार करना होगा. इसके अलावा, आवश्यक कानून और कर्मचारियों में बदलाव समेत मिनिमम तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सुधारों को पूरी तरह से लागू करना होगा.
फाइनेंस सेक्टर में सुधार के लिए IMF ने रखी ये शर्त
IMF के अनुसार, पाकिस्तान को मई 2026 तक सीमा पार भुगतान करने के लिए रेमिटेंट कॉस्ट और संरचनात्मक बाधाओं का आकलन पूरा करना होगा. क्योंकि अनुमान है कि रेमिटेंट लागत 1.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है.