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फिर सामने आया PAK सेना का आतंकवाद प्रेम, सैफुल्लाह की शोक सभा में फील्ड मार्शल मुनीर की शान में पढ़े गए कसीदे

Pakistan Army Alliances Terrorism: भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और लश्कर-ए-तैयबा में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अबु सैफुल्लाह के जनाजे और शोक सभा में पाकिस्तान का आतंक प्रेम एक बार फिर उजागर हुआ है। दरअसल, रविवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने ताबड़तोड़ गोलिबारी कर अबु सैफुल्लाह की हत्या कर दी थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैफुल्लाह को लश्कर की तरफ से घर से ज्यादा बाहर नहीं निकलने को कहा गया था और सैफुल्लाह की सुरक्षा भी बढ़ाई गई थी।

सैफुल्लाह की शोक सभा में दिखा पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों का गठजोड़।
पाकिस्तान आतंकियों का पनाहगार और मददगार है, यह बात किसी से छुपी नहीं है। हालांकि, पाकिस्तान हमेशा से इस बात से इनकार करता आया है और भारत ने कई बार उसे आईना दिखाया है। ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी नजर आए थे और अबु सैफुल्लाह की मौत के बाद भी उसकी शोक सभा में भी यही नजारा देखने को मिला। इतना ही नहीं अबु सैफुल्लाह के जनाजे में ताबुत को पाकिस्तानी झंडे में लिपटा गया, जबकि वह एक मोस्ट वॉन्टेड आतंकी था। सैफुल्लाह की मौत पर शोक सभा का आयोजन पाकिस्तान मरकज मुस्लिम लीग (PMML) की ओर से किया गया था। बता दें कि रविवार (18 मई) को सिंध प्रांत के मतली इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी रजाउल्लाह निजामनी उर्फ अबु सैफुल्लाह को अज्ञात हमलावरों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। इस घटना के बाद पाकिस्तान में जो प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, उसने पाकिस्तान के आतंकवादियों से गठजोड़ को एक बार फिर बेनकाब कर दिया।

आर्मी चीफ असीम मुनीर की शान में पढ़े गए कसीदे

अबु सैफुल्लाह की शोक सभा का आयोजन लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद के बेटे ने कराया था। सूत्रों के मुताबिक, इस शोक सभा के आयोजन के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। शोक सभा की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस और सेना के कंधों पर था। इस प्रेयर मीट का आयोजन पाकिस्तान मरकज मुस्लिम लीग (PMML) की सिंध यूनिट ने किया था। यह पार्टी लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद के बेटे ताल्हा सईद की है। इस सभा में आतंकी अबु सैफुल्लाह उर्फ रजाउल्लाह निजामनी को आजादी के लिए लड़ने वाला योद्धा और शहीद बताया गया। इतना ही नहीं, इस सभा में पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख जनरल से फील्ड मार्शल बने आसिम मुनीर की खुलकर प्रशंसा की गई और उनकी शान में कसीदे पढ़े गए। यह सभा ‘मार्का-ए-हक’ के नाम से आयोजित की गई, जिसमें सेना और आतंकी संगठनों की नजदीकी को एक बार फिर उजागर कर दिया।

भारत विरोध की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा

शोक सभा में जिस तरह एक आतंकी की मौत को शहादत बताया गया, उससे यह बात एक बार फिर साबित हो गई कि पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां और सेना मिलकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं। भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयर स्ट्राइक्स में मारे गए लश्कर के आतंकियों की नमाज-ए-जनाजा की अगुवाई करने वाला हाफिज अबदुर्र रऊफ भी PMML का ही कार्यकर्ता था। यह बात खुद पाकिस्तान ने दुनिया को सफाई देते हुए मानी थी। हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में सेना और आतंकी संगठनों के गठजोड़ का पर्दाफाश हुआ है, लेकिन हर बार पाकिस्तान की सरकार और फौज खुद को पाक-साफ बताने की नाकाम कोशिश करती रही है।

भारत में इन हमलों में शामिल था सैफुल्लाह

  • अबु सैफुल्लाह उर्फ रजाउल्लाह निजामनी ने महाराष्ट्र के नागपुर में RSS मुख्यालय में साल 2006 में हमले की साजिश रची थी। आतंकी एंबेसडर कार में पुलिस के कपड़े पहनकर आए थे। हालांकि, हमला करने से पहले पुलिस ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। इन लोगों के पास से AK-56 राइफल, हैंड ग्रेनेड और आरडीएक्स बरामद किए गए थे।
  • 2008 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में स्थित CRPF कैंप पर हमला करवाया था। इस हमले में करीब 7 जवान शहीद हो गए थेय़ इस मामले में NIA ने 3 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
  • बेंगलुरु में 2005 में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था सैफुल्लाह। उस दौरान भारतीय विज्ञान संस्थान के एक ऑडिटोरियम में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद बाहर निकल रहे लोगों पर आतंकियों ने गोलीबारी की थी जिसमें एक प्रोफेसर की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हो गए थे।


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