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किंग चार्ल्स III ने ऐसी की 40 महिलाओं की सूनी गोद भरने में मदद

King Charles III: किंग चार्ल्स III की मदद से करीब 40 महिलाओं की सूनी गोद भर गई है। आप किसी और नतीजे पर पहुंचे, इससे पहले आपको बता दें कि मामला किंग चार्ल्स III की ‘रॉयल हेल्थ सर्विस’ से जुड़ा है। ऐसे दर्जनों कपल, जिन्हें डर था कि वे कभी माता-पिता नहीं बन पाएंगे, अब […]

King Charles III: किंग चार्ल्स III की मदद से करीब 40 महिलाओं की सूनी गोद भर गई है। आप किसी और नतीजे पर पहुंचे, इससे पहले आपको बता दें कि मामला किंग चार्ल्स III की 'रॉयल हेल्थ सर्विस' से जुड़ा है। ऐसे दर्जनों कपल, जिन्हें डर था कि वे कभी माता-पिता नहीं बन पाएंगे, अब वे अपने बच्चों के जन्म का जश्न मना रहे हैं और किंग चार्ल्स को धन्यवाद दे रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब किंग चार्ल्स ने अपनी 'रॉयल हेल्थ सर्विस' के हिस्से के रूप में समग्र प्रजनन प्रोग्राम जोड़ा था तब उन्हें इसकी सफलता पर संदेह था। 2007 में उन्होंने स्कॉटिश अलीशान घर में डम्फ्रीज हाउस की स्थापना की थी। इसकी मौलिक परियोजना गर्भावस्था की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद करना था। डम्फ्रीज़ हाउस चलाने वाले प्रिंस फाउंडेशन का कहना है कि अपनी तरह की पहली परियोजना में हिस्सा लेने वाली महिलाओं में से कुछ को बांझ माना जाता था, लेकिन वो जल्द ही मां बन गई। इसके विपरीत, यूके में IVF तकनीक से औसत जन्म दर लगभग 20 प्रतिशत है। ये भी पढ़ेंः सूडान के दारफुर में सेना और आरएसएफ के बीच रॉकेट फायरिंग, 16 नागरिकों की मौत

बच्चे को जन्म देने वाली महिला बोली- किंग ने हमारे जीवन को बदल दिया

भाग्यशाली जोड़ों में से एक डारवेल, आयरशायर के कॉलिन और स्टेसी फॉरेस्ट ने बताया कि वे दो साल से अधिक समय तक बच्चे पैदा करने की कोशिश करते रहे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद 2020 में उनके घर किलकारी गूंजी। स्टेसी फॉरेस्ट ने बताया कि वे कभी किंग चार्ल्स से कभी नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हमारे जीवन को कैसे बदल दिया है, इसके लिए मैं कभी भी अपना आभार व्यक्त नहीं कर सकती। डम्फ्रीज़ हाउस में प्रिंस फाउंडेशन के स्वास्थ्य और कल्याण समन्वयक मेघन मिलर ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम का उद्देश्य एनएचएस पहले से जो कुछ कर रहा है, उसे पूरक बनाना है। बता दें कि यहां आने वाले निराश जोड़ों का खर्च प्रिंस फाउंडेशन ही उठाती है। डम्फ्रीज़ हाउस स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे 'रॉयल एनएचएस' कहा जाता है। ये भी पढ़ेंः दुनिया से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


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