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एक देश, जो औलाद के लिए तरसा; 3 महीने में नहीं हुई एक भी डिलीवरी, आई इमरजेंसी की नौबत

Worrying Reason of Low Birth Rate in Italy: घटती जवान उम्र की महिलाओं की गिनती और शिशु जन्म दर की वजह से इटली पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस साल की पहली तिमाही में एक भी बच्चा पैदा नहीं होने के बाद यहां इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं। हालांकि इसके पीछे भी एक और वजह है, जो चिंताजनक है।

बुढ़ापे की मार झेल रहे चीन और जापान जैसे देशों की फेहरिस्त में अब इटली भी जुड़ता नजर आने लगा है। इसकी बड़ी वजह है, यहां मांओं की कोख सूनी होने लगी हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों में पूरे देश में एक भी बच्चा पैदा नहीं हुआ। इसके बाद हालात बेहद चिंताजनक हो चले हैं और प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इस परेशानी को एक नेशनल इमरजेंसी के रूप में ले लिया है। हालांकि इससे पहले पिछले साल भी वह इसे चुनावी मुद्दा बना चुकी हैं।
  • 2022 की पहली छहमाही के मुकाबले साढ़े 3 हजार से कम रही 2023 के जनवरी से जून तक जन्मे बच्चों की गिनती

अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट मीडियम की एक रिपोर्ट के अनुसार इटली में पिछले तीन महीने के भीतर किसी भी जगह कोई बच्चा नहीं जन्मा है। रॉयटर्स की लिखावट पर भरोसा करें तो नेशनल स्टेटिक्स ब्यूरो ISTAT के आंकड़े बताते हैं कि देश में जनवरी 2023 से जून 2023 के बीच दर्ज की गई शिशु जन्म दर जनवरी 2022 से जून 2022 की तुलना में साढ़े 3 हजार से कम है, वहीं आखिरी तीन महीने में तो एक भी डिलीवरी देश के किसी अस्पताल में नहीं हुई। यह भी पढ़ें: चांद पर बसने के सपने देखने वालों के लिए काम की खबर; ESA ने वीडियो शेयर करके बताया-कैसे दौड़ेंगी कारें जहां तक इसकी वजह की बात है, देश में 15 से 49 साल के उम्र की महिलाएं न के बराबर हैं। यह एक ऐसी उम्र है, जिसे प्रजनन के सबसे योग्य माना जाता है। पिछले करीब दो साल से यानि कि 2021 के मुकाबले 2023 में देश में इस आयुवर्ग की महिलाओं की संख्या में खासी गिरावट दर्ज की गई। इसके पीछे भी एक और वजह है, जो बड़ी अहम है। देश में पिछले साल यहां 7 की जन्मदर के मुकाबले 12 की शिशु मृत्यु दर दर्ज की गई थी।

जीने से भर चुका इटली के लोगों का मन, प्रधानमंत्री ने माना इंमरजेंसी

रिपोर्ट्स के मुताबिक इटली के बाशिंदों का मानना है कि इस दुनिया में अब जिंदगी जैसी कोई चीज नहीं बची। इसी सोच की वशीभूत होकर वो सृष्टिचक्र चलाने में कोई योगदान नहीं देना चाहते। लोगों का मानना है कि दुनिया का लिविंग स्टैंडर्ड अब गिर चुका है और इसमें खुश रहने की वजह जैसी कोई बात नहीं है। इसका सीधा-सीधा सा एक मतलब निकलता है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही यह देश बुढ़ों के देश में तब्दील हो जाएगा। यह भी पढ़ें: जनसंख्या में नम्बर 1 भारत के पास चुनौतियों का अंबार, लेकिन अवसर कम उधर, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने नेशनल इमरजेंसी जैसी बात कह डाली। उल्लेखनीय है कि पिछले साल जॉर्जिया मेलोनी ने देश की घटती जन्मदर को अपने चुनावी अभियान में सबसे प्रमुख मुद्दे के रूप में लिया था।


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